मां बेटी में अकसर ही बहस चलती रहती थी। कभी-कभी यह बहस लड़ाई का मुद्दा भी बन जाती थी और मां बेटी में अबोला भी हो जाता था। सलमा नहीं चाहती थी
कि वो अपने ममेरे भाई से शादी करे। उसे शोएब कभी से ही पसंद नहीं था , दूसरी बात वह कोई काम भी नहीं करता था ।
पिता की अच्छी खासी प्रॉपर्टी थी और वह खाली बैठकर उस प्रॉपर्टी पर ऐश कर रहा था। एक ओर बात सलमा अपने साथ ऑफिस में काम करने वाले जतिन को वह बहुत पसंद करती थी।
वह बहुत सुलझा हुआ था , घर परिवार को संभालने वाला था और दोनों के विचार भी बहुत मिलते थे। जतिन भी सलमा को बहुत पसंद करता था
जतिन के परिवार वालों को कोई आपत्ति नहीं थी सलमा के मुसलमान होने पर ,उन्हें लगता था घर में आने वाली बहू के विचार अच्छे होने चाहिए
और वह सबको साथ लेकर चलने वाली हो। सलमा के अब्बू की मृत्यु हुए कई साल हो गए थे । मामू ने ही उसकी पढ़ाई लिखाई का सारा खर्च किया था
और अब वह चाहते थे कि सलमा उनके घर की बहू बन जाए ताकि उनका बिगड़ा हुआ लड़का उनके काबू में रहे । आए दिन इस बात पर मां बेटी की बहुत बहस होती थी।
आए दिन इस बात पर मां बेटी की बहुत बहस होती थी। हर तरह से सलमा ने मां को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन मां अपने भाई के अहसानों तले दबी हुई थी इसलिए वह चाहती थी
कि सलमा शोएब से ही शादी कर ले। दूसरी बात वह बेटी को हिंदू परिवार में नहीं भेजना चाहती थी, अगर हिंदू परिवार में सलमा ने शादी कर ली
तो उसके भाई और बाकी रिश्तेदार भी उससे रिश्ता तोड़ देंगे। इसलिए वह सलमा की बात मानने के लिए तैयार ही नहीं होती थी। एक दिन फैसला सुनाते हुए
सलमा ने कहा कि अगर आप मुझे सुखी देखना चाहती हैं तो मेरी शादी जतिन से करवा दीजिए नहीं तो मैं आजीवन शादी नहीं करूंगी ।
आपका ख्याल रखूंगी लेकिन किसी भी कीमत पर शोएब से शादी नहीं करूंगी। मैं अपने दिल की आवाज सुनने वाली हूं और जो मेरा दिल कह रहा है मैं वही करूंगी।
एक दिन फैसला सुनाते हुए सलमा ने कहा कि अगर आप मुझे सुखी देखना चाहती हैं तो मेरी शादी जतिन से करवा दीजिए नहीं तो मैं आजीवन शादी नहीं करूंगी ।
आपका ख्याल रखूंगी लेकिन किसी भी कीमत पर शोएब से शादी नहीं करूंगी। मैं अपने दिल की आवाज सुनने वाली हूं और जो मेरा दिल कह रहा है मैं वही करूंगी।
नीलम नारंग
मोहाली पंजाब
#दिल पर कोई जोर चलता नही