आज कीर्ति जी के बेटे की शादी का लेडीज संगीत है।
कीर्ति जी की सोसायटी की उनकी सारी सखियां खूब नाच गा रही थी। उनकी सोसायटी में ज्यादातर लोग कम पढ़े लिखे और अनुसूचित जाति से थे।
उनकी नाचने वाली सखियों में एक सखी वर्षा जो कि काफी पढ़ी लिखी कॉलेज में प्रोफेसर है और ब्राह्मण जाति से है,,,सबसे ज्यादा नाच रही थी।
वो सब मेहमानों को चाय नाश्ता भी सर्व कर रही थी।
“ये कौन है?? ये तो अपनी जात की नहीं लगती है और बहुत पढ़ी लिखी मेम जैसी दिखती है।” कीर्ति जी के यहां आए
उनके रिश्तेदारों में से एक ने वर्षा को नाचते गाते और कीर्ति जी के घर में एक सदस्य की तरह काम करते देख कर पूछा।
कीर्ति जी ने जवाब दिया, “ये मेरी सखी है और इसी मोहल्ले में रहती है। ब्राह्मण है और कॉलेज में प्रोफेसर है।”
तब सारे रिश्तेदार आश्चर्यचकित हो गए और कहा, “ब्राह्मण है और प्रोफेसर है
फिर भी तेरे घर में सबके साथ काम कर रही है,,घर की सदस्य के जैसे सबके साथ मिल जुल कर खा रही है?”
कीर्ति जी ने हंस कर गर्व से जवाब दिया,
“हां मेरे मोहल्ले में तारक मेहता का उल्टा चश्मा जैसे यहां भी एक छोटा भारत बसता है। यहां कोई ऊंची या नीची जाति का भेदभाव नही है
और ना ही अनपढ़ या पढ़े लिखे में कोई भेदभाव है। यहां सभी एक दूसरे को एक समान एक आंख से देखते है।
रेखा जैन
अहमदाबाद