पहले बचत फिर खर्च करना चाहिए। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

ममता जी का इकलौता बेटा रोहित आज भी इंटरव्यू देने गया था, वो लगातार भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि किसी भी तरह से बस रोहित की नौकरी लग जाएं । 

सुबह से शाम हो गई पर रोहित अभी तक नहीं आया, यूं तो उन्होंने कई बार फोन कर दिया पर रोहित ने दिलासा दी कि वो आ जायेगा, थोडा दोस्तों के साथ समय लग गया।

रात को रोहित बड़ा खुश नजर आ रहा था, “मम्मी आपके लिए एक सरप्राइज है, मेरी नौकरी लग गई हैं।”

“तूने मुझे फोन पर क्यों नहीं बताया? मै कुछ मीठा बनाकर भगवान को भोग लगा देती।”

“मम्मी, ये लो मीठा और रोहित ने केक का डिब्बा थमा दिया, वो दोस्तों को पार्टी दी थी, नौकरी लगने की खुशी में, इसीलिए देर हो गई, सबको केक खिलाया था, इसीलिए घर के लिए भी ले आया हूं।”

“लेकिन रोहित, अभी तो सिर्फ नौकरी लगी है, तू एक दिन भी काम पर नहीं गया, और तूने दोस्तों पर इतना पैसा लुटा दिया, वो भी क्रेडिट कार्ड से, पगार तो आने देता, खुशी की बात है कि तेरी नौकरी लगी है, पर फिर भी तुझे गिन-गिन कर पैर रखना चाहिए , ममता जी बोली।

“तेरे पापा के जाने के बाद मैंने भी गिन-गिन कर पैर रखें, तभी तो तुझे इतना बड़ा कर पाई और आज तू अपने पैरों पर खड़ा है, मै पहले बचत के पैसे अलग रख देती थीं, फिर घर खर्च चलाती थी, सुखी गृहस्थी का यही नियम है कि पहले बचत फिर खर्च करना चाहिए।

रोहित ने सुना और चुपचाप अपने कमरे में चला गया, अगले दिन वो काम पर नहीं गया तो ममता जी को हैरानी हुई,” रोहित क्या हुआ? आज तो नौकरी का पहला दिन है, तुझे जाना चाहिए।”

“मम्मी, कंपनी से ये मेल आया है, उन्होंने दूसरा बंदा रख लिया है, रातों रात उन्होंने अपना फैसला बदल लिया और मुझे काम पर रखने से मना कर दिया।” ये कहकर रोहित उदास हो गया।

“बेटा, दुखी मत हो, एक नौकरी नहीं मिली तो क्या हुआ? दूसरी मिल जायेगी, पर अब की बार तू सावधानी रखना, दो-चार महीने हो जायें तभी सबको बताना और क्रेडिट कार्ड की जगह अपनी पगार से पार्टी देना।”

अभी तो मै घर खर्च चला पा रही हूं क्योंकि मैंने हमेशा पहले बचत को प्राथमिकता दी है, फिर खर्चा किया है।

ममता जी की बात रोहित को अच्छे से समझ आ गई, कुछ महीनों बाद उसकी अच्छी कंपनी में नौकरी लग गई, ममता जी की सलाह अनुसार उसने दो-तीन महीने काम किया फिर सबको पार्टी दी और पहले पगार में से बचत के पैसे निकाल कर रखने लगा, फिर वो खर्च करने लगा, गिन-गिन कर पैर रखने लगा।

 # गिन-गिन कर पैर रखना 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

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