” राम लला चोरी हो गये।” ” रात में कोई राम लला की मूर्ति चुरा ले गया ” सुबह सुबह हर व्यक्ति के मुॅह पर वही बात थी, जिसे देखो वही मन्दिर की ओर भागा जा रहा है। जिस मन्दिर के प्रांगण में इस समय मोहिनी छवि वाले मुस्कराते
राम लला के श्रद्धालुओं की भीड़ भरी रहती थी, वहीं पर इस समय पुलिस की वर्दी दिख रही थी। भक्तों को ह्रदयगत भावों के अनुसार आशीर्वाद देने वाले राम लला का सिंहासन सूना था, आरती के स्वर के साथ बोलती दीवारें मौन थीं। धूप, अगर और कपूर का सुवासित वातावरण आज लुप्त था।
भीड़ बढ़ती जा रही थी। इसलिये मन्दिर का द्वार बन्द करके सबका प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया था। सबके चेहरों पर दुख, परेशानी और चिन्ता के भाव थे। रामलला तो सबके थे, उन्हें चुराने का पाप किसने किया है? महारानी मोहना की एक अनजान में की गई
छोटी सी भूल का कठोर दण्ड देने वाले राम लला क्या उस चोर को दण्ड नहीं दे सकते थे? क्या रामलला हम सबसे नाराज होकर खुद अपना स्थान छोड़कर चले गये? क्या रामलला दुबारा लौटकर आयेंगे ?
पुलिस ने मन्दिर में तो प्रवेश निषिद्ध कर दिया लेकिन मन्दिर के बाहर हजारों की भीड़ मन्दिर को चारो ओर से घेरकर पर बैठ गयी।
सबका कहना – ” जब तक हमारे रामलला का चोर पकड़ा नहीं जायेगा और रामलला पुन: अपने आसन पर विराजमान नहीं होंगे, हम सब ऐसे ही बैठे रहेंगे।” कुछ अधिक समृद्ध लोगों ने तो यहाॅ तक कह दिया कि रामलला को ढूढने और चोर को पकड़ने में जो भी पैसा खर्च होगा, वे लोग देने के लिये तैयार हैं।
हर क्षण बढती भीड़ के कारण शान्ति व्यवस्था खतरे में पड़ गई। मुख्य बाजार में मन्दिर होने के कारण यातायात व्यवस्था भी बाधित हो रही थी। पुलिस को डर था कि कहीं अराजक तत्व इस घटना को दंगे में परिवर्तित न कर दें। पुलिस के लिये स्थिति सम्हालनी मुश्किल होती जा रही थी।
” रामलला को वापस लाओ” के गगनभेदी नारे बढते जा रहे थे। श्रद्धालु भीड़ पुलिस से चोरों को पकड़ने की निश्चित अवधि जानना चाहती थी। पुलिस का कोई भी आश्वासन कार्य नहीं कर रहा था। कुछ लोगों ने वहाॅ राम के बाल रूप की तस्वीर रखकर भजन कीर्तन करना प्रारम्भ कर दिया।
पुलिस अधीक्षक खुद भीड़ के सामने आये और उन्होंने यथाशीघ्र चोरों को पकड़ने और रामलला को वापस लाने का आश्वासन दिया लेकिन श्रद्धालु कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। आखिर प्रदेश के मुख्यमंत्री को मीडिया के सामने आकर कहना पड़ा
कि चौबीस घंटे के अन्दर चोर पकड़ लिये जायेंगे और रामलला वापस आयेंगे। भीड़ इस आश्वासन के बाद कम होनी तो शुरू हो गई लेकिन सबके हस्ताक्षर युक्त एक ज्ञापन जिलाधीश महोदय को सौंप दिया गया कि यदि चौबीस घंटे में उनके रामलला वापस न आये तो वे सब इसी मन्दिर के सामने आमरण अनशन प्रारम्भ कर देंगे और जब तक रामलला वापस नहीं आयेंगे, वहॉ से नहीं हटेंगे।
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एक भूल …(भाग -2) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi
बीना शुक्ला अवस्थी, कानपुर