रिश्तों की डोर ना हो कभी कमजोर – कमलेश आहूजा: Moral Stories in Hindi

नेहा की माँ का देहांत हो गया था।तेरहवीं की रस्म करके अभी अपने घर आई थी कि भाभी का फोन आ गया  -“हैलो दीदी,आपसे एक बात पूछनी थी प्लीज बुरा नहीं मानना।”

“हां रीना,पूछो क्या बात पूछनी है?”

“दीदी मम्मी जी की दो सोने की चूड़ियां एक गले की चैन,एक जोड़ी टॉप्स और कान की बालियां जो वो हमेशा पहने रहती थीं कहीं मिल नहीं रहीं। हमने उनकी अलमारी पूरी देख ली।हमारे आने से पहले वो आपके पास रह रहीं थी तो उन्होंने आपको गहनों के बारे में कुछ बताया था क्या?”

“रीना,आखिरी बार मेरे पास जब वो रहने आई थीं तो उन्होंने कोई जेवर नहीं पहना हुआ था।उल्टा मैंने उनसे पूछा था कि आपने अबकी बार क्यों नहीं कुछ पहना?खाली हाथ और गला अच्छे नहीं लगते,तो वो बोलीं अब इस उम्र में गहने कहां अपने साथ साथ लेकर घूमूं?कौन जाने सफर में कोई चोरी कर ले।

इसलिए गहने मैं तेरी मामी के पास ही रख आईं हूं।”

दरअसल नेहा के भाई की नौकरी विदेश में लग गई थी।वो अपनी पत्नी व बच्चों संग माँ को भी साथ ले गया था।एक साल बाद आया फिर एक महीना रहकर जब जाने लगा तो माँ का वीजा नहीं लगा इसलिए उन्हें नेहा के पास छोड़कर चला गया।अब उसको एक साल बाद ही आना था।

नेहा की माँ को लगा कि इतने समय तक बेटी के घर कैसे रहेगी?इसलिए उसने नेहा से कहा कि वो कुछ दिनों के लिए अपने भाई भाभी (जो कि नेहा की माँ के घर के पास ही रहते थे)के पास जाना चाहती है।नेहा ने अपने बेटे के साथ माँ को मामा के घर भेज दिया।

इस तरह दो तीन महीने नेहा की माँ अपने भाई भाभी के पास रहती और फिर नेहा के पास आ जाती।

देखते देखते कब समय बीत गया पता ही नहीं चला।जब नेहा के भाई को आने में एक महीना रह गया तो उसकी माँ ने घर जाने की इच्छा जताई ये कहकर कि बहु बेटे के आने से पहले घर की सफाई करवा देगी।नेहा ने माँ को बेटे के साथ भेज दिया था।

भाई आ गया,नेहा की माँ बेटे बहु और पोते पोती के साथ इतनी व्यस्त हो गई कि गहनों की बात कहने का उसे अवसर ही नहीं मिला।फिर एक दिन वो बाथरूम में गिर गई उसके कूल्हे का फ्रैक्चर हो गया।उसका बड़ा ऑपरेशन हुआ और ऑपरेशन के कुछ दिन बाद वो चल बसी।

नेहा बेचारी का तो वैसे ही रो रोकर बुरा हाल था।उसने सोचा भी नहीं था कि माँ उसके घर से हमेशा के लिए जा रही थी।उसपर ये गहनों की बात ने उसे और दुखी कर दिया।

नेहा से बात करने के बाद उसकी भाभी ने मामी से बात की तो वो तो साफ मुकुर गईं कि उनको तो बहन जी ने कोई गहने रखने के लिए नहीं दिए थे।उल्टा बिरादरी में शोर मचाना शुरू कर दिया कि माँ मरने से पहले बेटी के घर रह रही थी उसने ही रख लिए होंगे माँ के गहने।

नेहा बेचारी दुखी थी कि परिवार वाले उसके बारे में क्या सोचेंगे?वैसे नेहा के भाई भाभी को उसपर पूरा विश्वास था क्योंकि नेहा के पास ईश्वर का दिया सब कुछ था और वो अपनी माँ से बहुत प्यार करती थी ऐसी ओछी हरकत करने की वो सोच भी नहीं सकती थी।जब कभी भी वो फोन पर भाई या भाभी से पूछती

कि गहनों के बारे में पता चला तो वो यही कहते कि-” दीदी,आप परेशान न हों मिल जाएंगे गहने।”

एक दिन मामी ने नेहा को भी फोन किया और बोली-“तुम अपने घर में अच्छे से देख लो कहीं गलती से बहन जी तुम्हारे घर तो नहीं छोड़ गईं अपने गहने?” नेहा मामी की बात को अच्छे से समझ रही थी कि वो क्या कहना चाह रहीं हैं?

“मामी जी,मुझे अच्छे से याद है कि उन्होंने मुझसे कहा था कि वो आपके पास अपने गहने रखकर आईं हैं।”

तो तुम्हारा मतलब मैं चोर हूं?मैने तुम्हारी माँ के गहने रख लिए हैं?”

मामी,मैं ये कब कह रहीं हूं कि आप चोर हैं? मैंने तो बस जो माँ ने कहा वही आपसे बोला।”नेहा की बात सुनकर मामी ने गुस्से से फोन रख दिया और उसकी भाभी के घर लड़ने पहुंच गईं।

“भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा।रीना एक तो तुम्हारी सास को मैंने अपने घर रखा और तुम्हारी ननद मुझपे ही शक कर रही है कि मैंने उसकी माँ के गहने चुराएं हैं।मैं भला किसी के गहने क्यों चुराऊंगी?”मामी ने चिल्ला चिल्लाकर पूरा मोहल्ला इकट्ठा कर लिया।

मामी की बहु को ये सब देखकर बहुत बुरा लग रहा था  क्योंकि एक तो वो नेहा के परिवार से बहुत स्नेह करती थी उसे मालूम था कि ये बहुत ही नेक लोग हैं दूसरा वो सच जानती थी कि गहने उसकी सासु मां के पास ही हैं उसने खुद नेहा की माँ को अपनी सास को वो गहने देते हुए देखा था।

उन्होंने ये भी कहा था कि जब वो नेहा के घर से लौटकर आएंगी तब ले लेंगी।उसने अपनी सास को आज सबक सिखाने की ठान ली।वो भी नेहा की भाभी के घर पहुंच गई और सास से बोली -“माँ जी,आप क्यों हंगामा मचा रहीं हैं?सबको सच क्यों नहीं बता देतीं कि बुआ जी(नेहा की माँ) के गहने आपने अपने लॉकर में छुपाकर रखें हैं।

” बहु की बात सुनकर मामी की हालत ऐसी हो गई मानों काटो तो खून नहीं। इससे पहले कि बात और बड़ती मामी चुपचाप अपने घर चली गई।

नेहा के मामा को इस बात की खबर नहीं थी पर जब उन्हें बहु ने सारा किस्सा सुनाया तो वो पत्नी पर बहुत भड़के।बोले-“भाग्यवान तूने मेरी बहन और उसके बच्चों का इतने सालों का विश्वास थोड़े से गहनों के लालच में आकर हमेशा के लिए तोड़ दिया।

मेरी बहन के पति नहीं थे वो और उसके बच्चे मुझे कितना मान देते थे,मेरे पर आंख मूंदकर विश्वास करते थे।उस बेचारी के पास तो तेरा जितना जेवर भी नहीं था।ले देकर ये दो चार चीजों थीं उसपे भी तूने अपनी नियत खराब कर ली।”पति की बात सुनकर मामी रोने लगी और बोली -“मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई।”

दूसरे दिन मामा जी लॉकर जाकर अपनी बहन के गहने लेकर आए और माफी मांगते हुए उनके बहु बेटे को सौंप दिए।नेहा को भी मामा जी ने फोन किया और उससे पत्नी की गलती के लिए माफी मांगी ताकि..रिश्तों की डोर ना हो कमजोर..!

कमलेश आहूजा

“रिश्तों की डोर टूटे ना”

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