” हुर्रे ! इस साल भी हमें विभा मेम ही विज्ञान पढाएंगी। ” पाँचवीं कक्षा के बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं है।
आदि ताली बजाता है, ” हाँ ना, मेम का भी जवाब नहीं। खेल खेल में सब समझा देती है। “
कक्षा में सभी शिक्षकों से डाँट खाने वाला विभोर तो बस नाचने ही लगता है , ” दोस्तों, विभा मेम की कक्षा में तो मेरी नींद भी नौ दो ग्यारह हो जाती है। “
तभी शुभ्रा एक और खुशखबरी सुनाती है,
” भाइयों और बहनों इस साल हमारी क्लास टीचर भी हमारी विभा मेम ही है। चलो क्लास में वो आ रही हैं। “
विभा मेम आते ही सबका नाम पुकार कर हाल चाल पूछती हैं। जिज्ञासु सना आश्चर्य जताती है, ” मेम ! आपको अभी तक हमारे नाम याद है। “
” अरे ! इतने प्यारे बच्चों के नाम कौन भूल सकता है भला ? अच्छा आज हम सूर्यदेव के परिवार के बारे में कुछ गपशप कर लेते हैं। सौर मण्डल का मुखिया है सूरज और आठ ग्रह हैं सदस्य। “
आदित्य झट से बोल पड़ता है। हाँ मेम, सूर्य है दादा जी। “
मेम बताती है, ” सूरज है सबसे बड़ा तारा। तारे अनगिनत होते हैं और इनका ख़ुद का प्रकाश होता है। ग्रह, सूर्य से प्रकाश पाते हैं। ये तारों जैसे नहीं चमकते हैं। “
आदित्य बीच में ही अपना ज्ञान बघारता है, “जैसे हमारी पृथ्वी भी सूर्य भगवान से रोशनी व गर्मी लेती है। “
मेम मीठी सी डाँट लगा कर कहती हैं, ” आदित्य! अपना हाथ उठा कर जवाब दो। ये ग्रह भी अनुशासन सिखाते हैं। पता है आपको, ये आठों ग्रह अपनी निश्चित राहों पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं। कभी दूसरों के ट्रैक पर नहीं जाते हैं। “
अति उत्साही मायरा पूछ बैठती है, ” मेम मेम ! फ़िर हम भी धरती के साथ चक्कर लगाते हैं क्या ? लेकिन हमें महसूस क्यों नहीं होता है ? “
मेम समझाने के पूर्व कहती है कि सब बच्चों को मायरा की तरह अपनी शंका का समाधान करना चाहिए। ऐसे ही हमारा ज्ञान बढ़ता है। आप जब चलती ट्रेन से बाहर देखते हो तो बाहर के पेड़ आदि चलते हुए दिखते हैं न। लेकिन असल में हमारी ट्रेन चलती है। ऐसे ही हम सब चक्कर लगाती ट्रेन में यानी पृथ्वी पर सवार हैं। “
सब बच्चे खुश होकर खेल के पीरियड में ट्रेन बनने का प्लान मेम को बताते हैं।
हाथ उठाते हुए प्रखर बताता है , ” मेम ग्रहों के आसपास घूमने वाले उपग्रह होते हैं, जो कुल एक सौ छाछट हैं। मैंने डिस्कवरी चैनल पर देखा है। “
मेम शाबाशी देती हैं, ” हाँ तो बच्चों ! ये उपग्रह भी दो तरह के होते हैं… प्राकृतिक व मानव निर्मित। कौन बताएगा इनके बारे में ? “
अहाना शर्माती हुई कहती है कि उसने अपनी दीदी के प्रोजेक्ट में देखा है। भास्कर है मानव निर्मित और चंदा मामा हमारी धरती का उपग्रह है। “
नटखट आदित्य चुटकी लेता है, ” तो क्या चाँद को तुम्हारे नाना ने बनाया है ? “
सब बच्चे मुँह पर हाथ रख कर हँसने लगते हैं। विभा मेम सबको चुप कराती है और बताती है कि चाँद, पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है। यह अपने ग्रह पृथ्वी के ही चक्कर लगाता है, अच्छे बच्चे की तरह। इन उपग्रहों के अलावा आकाश से गिरते हुए पुच्छल तारे भी होते हैं।
विभा अब आठ बच्चों को सौरमंडल बनाने को कहती है।बीच में एक बड़े बच्चे को सूरज बनने का आदेश देती है , “अच्छा अब आठ ग्रह बन जाओ और अपनी जगह पर खड़े हो जाओ। “
सबसे लम्बा आदित्य बीच में खड़ा होकर सूर्य बन जाता है। अन्य आठ बच्चे ग्रह बन कर अपने अपने गोलों पर सूर्य के चारों ओर खड़े हो जाते हैं। मायरा पृथ्वी व सना शुक्र बन जाती है।
लेकिन कक्षा का सबसे शालीन बच्चा ध्रुव, सूर्य या ग्रह बनने से इंकार कर देता है,
” मेम ! मुझे चाँद ही बनना है। वही एक है जो माँ पृथ्वी के आसपास घूमता है। मुझे भी मेरी मम्मा को नहीं छोड़ना। “
और ध्रुव, पृथ्वी बनी मायरा के आसपास चक्कर लगाने लगता है।
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर
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