“लोगों का तो काम ही होता है बातें बनाना आप किसी की बातों पर ध्यान मत दीजिएगा ताई जी…कमली के लिए आपलोग नहीं सोचेंगे तो फिर कौन सोचेगा….अभी उसकी उम्र ही क्या है? इक्कीस की ही तो हुई है…आप उसकी शादी तय करें… हम लोग एक दो दिन पहले आ जाएँगे आप किसी बात की चिंता न करें…मैं अम्मा को भी बता दूँगी ।”कहते हुए महक ने फोन काट दिया।
“किसका फोन था बहू?”बाहर से घर के अंदर आती हुई अम्मा जी ( सासु मां) ने सवाल किया
“अम्मा जी पहले आप बैठिए फिर बताती हूँ….वो ताई जी का फोन था….आपको खोज रही थी पर आप पार्क गई हुई थी तो मैंने ही बात कर ली।”महक ने कहा
“हाँ हां ये तो बता क्या बोल रही थी दीदी? सब ठीक तो है ना? “अम्मा जिज्ञासु हो कर पूछी
‘‘हाँ अम्मा सब ठीक है….ताई जी बता रही थी कमली की फिर से शादी करवाने का सोच रहे हैं…आपसे उनको सलाह लेनी थी इसलिए फोन किया था।” महक ने कहा
अम्मा और ताई दोनों सगी बहनों की शादी एक ही घर में हुई थी।ताऊ जी खेती करते थे तो उनका पूरा परिवार गाँव में ही रह गया…पर पिताजी अच्छी पढ़ाई कर के नौकरी करना चाहते थे इसलिए नौकरी मिलते अम्मा भी उनके साथ शहर आ कर यही रह गई पर सोच में ताई जी के जैसी बिल्कुल नहीं थी।
मेरी बात सुनते ही अम्मा बोली ,”दीदी पगला गई है क्या? हम लोगों में कहाँ किसी विधवा का विवाह हुआ है? तुम फोन लगाओ मैं बात करती हूं दीदी से।”
“आप भी ना अम्मा जी जाने कौन से जमाने की बात कर रही है….अब समय बहुत बदल गया है…कमली की अभी उम्र ही क्या है? रमेश भैया के चले जाने से वैसे ही वो दुखी रहती है…बाकी की जिंदगी कैसे काटेंगी? पहले संयुक्त परिवार होते थे उसमें एक दूसरे के बच्चों के साथ भी समय कट जाता था पर अब ताई जी ताऊ जी ही है बड़े भैया भी शहर में रहते हैं उनका अपना परिवार है…अम्मा जी ताई जी गाँव में रहकर भी नई सोच रखती है एक आप हैं कि शहर में रह कर भी ऐसा कह रही है?” महक सास की बात सुन आश्चर्य से बोली
“ पता नहीं ये नयी पीढ़ी को क्या हो गया है?” अम्मा मन ही मन बड़बड़ाने लगी
उसी वक्त विनय आफिस से घर आया। अम्मा को बडबडाते देख कर पूछा,” क्या हुआ अम्मा? किस पर गुस्सा निकाला जा रहा है?”
“अरे वो तेरी ताई जी रमेश की बहू की दूसरी शादी करवाने का सोच रही है….बता भला ये सही है क्या…..लगता है दीदी सठिया गईं हैं….भैया भी पता नहीं कैसे तैयार हो गये….पूरा गाँव बातें बनाएगा उपर से हम पर हँसेगा वो अलग…तू आ ही गया है तो फोन लगा ताई जी को जरा बात करूँ….बहु का भी दिमाग़ ख़राब हो गया है कहे जा रही है ताई जी ठीक ही तो कर रही है ।” अम्मा ग़ुस्से में बोली
‘‘हां माँ महक ठीक ही तो कह रही है….लोगों का तो काम ही होता है बातें बनाना… कब वो कहाँ किसी का अच्छा होते हुए देखते हैं….कमली की अभी पूरी जिंदगी बाकी है….अच्छा तो है ….उसकी जिंदगी अगर फिर से संवर जायेगी….तुम ताई जी से बात कर लो और हाँ उनके साथ हो उनको ऐसा बताओ अम्मा….बहुत अच्छी सोच है ताई जी की….उनको अभी हमारे साथ की जरूरत है अम्मा….हम साथ रहेंगे तो दुनिया वाले क्या बोलते उससे क्या फर्क पड़ता….वो तो वैसे भी बस बातें बनाना जानते हैं कौन सा मुसीबत में साथ खड़े रहते हैं।”विनय की बातें शायद अम्मा जी के भी समझ में आने लगी थी,
ये सुनकर बोली ,”अच्छा अच्छा तू फोन तो लगा।”
‘‘हैलो प्रणाम दीदी , कैसी हो? महक ने बताया कमली के बारे में…. आप लोगों को जो सही लग रहा है वो करिए दीदी …बस हमारे लिए कोई काम हो तो आप बता देना….सब तय कर लो फिर हमें भी खबर कर देना ….हम पहले ही आ जायेगे।”अम्मा जी ने जब ये कहा तो हम दोनों एक दूसरे को देखने लगें।
अगले महीने शादी तय हो गई। हम जब गाँव गये तो महसूस हुआ लोग आपस में काना फूसी कर रहें थे पर हमने सोच लिया था कोई कुछ भी कहे हम इस सराहनीय कार्य में ताऊ ताई जी के साथ है।
कमली भी खुश थी पर ताऊ ताई जी को छोड़ कर जाने का उसे दुःख भी था ….कमली के माता-पिता ताऊ जी से बोले ,”हम तो आपके आभारी रहेंगे …आपलोगो ने हमारी बिटिया की जिन्दगी संवार दी।”
तब ताऊ जी समधी का हाथ पकड़कर बोले,” ये हमारी बेटी है समधी जी इसकी डोली हमारे घर से जायेगी।”
कमली के माता-पिता ताऊजी ताईजी की बात काट ना सके आख़िर लोगों की बातों को दरकिनार कर इतना बड़ा कदम जो उठाया गया था उनकी बिटिया के लिए ।
सच ही तो है अगर आप चलन से अलग हटकर कुछ करने जाओ तो लोग बातें ही बनाते हैं पर जरूरत ये समझने की है कि जो भी कदम उठाया जा रहा है वो सही है और नही।लोगो की बातों में न आकर उन दोनों ने कमली के भले का सोचा। बेटा तो खो ही चुके थे बेटी को खोना नहीं चाहते थे इसलिए उसके भविष्य का सोचते हुए उनका प्रयास पूरे गाँव के लिए नज़ीर बन गया।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
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