सही राह बनाए रिश्तों मैं चाह – अंजना ठाकुर  : Moral stories in hindi

आज नमिता अपनी ननद विधि के कमरे से बाहर से गुजर रही थी तो उसे सुनाई दिया की विधि अपने पति से बात करती हुई कह रही है की तुम जब तक अलग रहने का इंतजाम नहीं कर लेते मैं वापस नहीं आने वाली ।

विधि की शादी को अभी सात महीने ही हुए थे ,इन बातों से नमिता को आने वाले खतरे का अंदेशा हुआ वो कमरे मै जा कर पूछने वाली थी लेकिन ये वक्त सही नही है सोच कर कमरे मै आ गई ।नमिता का पति राघव बोले क्या बात है इतनी चिंता मैं क्यों हो।

नमिता ने विधि वाली बात बताते हुए कहा की ये विधि कैसी बात कर रही है आखिर उन्हे  अपनी सास से क्या दिक्कत हो सकती है वो तो कुछ बोलती भी नही बल्कि विधि को बेटी की तरह ही रखती है और रोहन भी अपनी मां को कितना प्यार करते है और इस उम्र मैं वो अकेली कैसे रहेगी उनकी बेटी भी अपने ससुराल मैं है ।

और इस बारे मैं विधि ने मांजी को भी कुछ नहीं बताया कल आई थी तो कह रही थी की ऐसे ही कुछ दिन रहने आई है ।चलो कल बात करेंगे अभी सो जाओ

नमिता लेट गई पर नींद कोसों दूर थी। उसे लगा कि रोहन जी ने अगर बात नही मानी और विधि नही गई तो एक रिश्ता टूट जायेगा ।सब परेशान हो जायेगे पहले विधि से पूरी बात पूछनी पड़ेगी।

नमिता एक समझदार लड़की थी । रिश्तों का महत्व समझती थी और वो नही चाहती की बिना वजह रिश्ता टूटे ।।

दूसरे दिन नमिता सुबह के काम निपटा कर विधि के कमरे मै गई और बातों बातों मैं पूछा की  रोहन जी को आज खाने पर बुला लेते है मिलना भी हो जाएगा ।

विधि बोली कोई जरूरत नहीं है उन्हें बुलाने की।

नमिता ने सर पर प्यार से  हाथ  फेर कर पूछा क्या हुआ विधि आपके ससुराल मैं कोई दिक्कत है क्या आप खुश तो है ना रोहन जी आपको खुश रखते है ना ।

विधि स्पर्श पा कर रो पड़ी बोली- भाभी रोहन मुझसे प्यार तो करते है ,पर मुझसे ज्यादा अपनी मां को प्यार करते है कुछ मंगाओ तो अपनी मां से पहले पूछेंगे ,कहीं घूमने जाना हो तो मां की इजाजत चाहिए । खाना बनाओ तो कहते है मां के हाथ जैसा नही बना ,तो रहे अपनी मां के पास ही..

विधि गुस्से से बोली ।

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उसकी बातें सुन नमिता को हंसी आने लगी वो मन ही मन मुस्कुराई बोली देखो विधि रोहन अभी तक अपनी मां के साथ रहे है उन्हे बदलने मैं थोड़ा वक्त लगेगा ।तुम्हे याद है जब मैं शादी हो कर आई थी तब राघव भी ऐसा ही करते थे बल्कि तुम भी कहती थी कि मां के हाथ जैसा खाना नही बना । हर बात अपनी मां से पूछते थे कई बार तो तुम भी जिद्द करती थी की मुझे भी साथ जाना है ।

अगर मैं भी उस समय राघव को ले कर अलग हो जाती तो ,तो सोचो मां ,पिताजी ,और तुम्हे कितना बुरा लगता ।नए लोगों के साथ थोड़ा वक्त लगता है

सामंजस्य बैठाने में ,मैं रोहन से भी बात करूंगी वो तुम्हारी भावना को भी समझे पर इतनी छोटी बातो पर अलग होना ठीक नहीं है ।

विधि को याद आया की भाभी ने कितना सामंजस्य किया इसलिए आज सब उल्टा उनसे पूछा जाता है

उसने कहा भाभी आप बेस्ट हो ।आपने मुझे सही राह दिखा दी मै जरा सी बात पर घर तोड़ने चली थी ।मैं अभी रोहन को फोन कर के माफी मांग लेती हूं और हम मिलकर खाने की तैयारी करते है आप मां को कुछ नही बताना ।

नमिता बोली नहीं इसलिए पहले मैं तुमंसे बात करने आई थी ।मैने कल तुम्हारी बात सुन ली थी अनजाने मैं ..

नमिता खुश थी की चलो एक रिश्ता टूटने से बच गया ।

कई बार घर टूटने की वजह बहुत छोटी होती है यदि उस समय कोई सही राह दिखा दे तो घर बच जाता है और गलत राह से टूट जाता है क्योंकि हमारा मन उस समय सिर्फ अपने बारे मैं सोचता है ।

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मौलिक रचना

अंजना ठाकुर 

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