रम्या सुबह चार बजे ही उठकर घर के सारे काम करने लगी थी । बच्चों को उठाने के लिए आई तो देखा पति किशोर गहरी नींद में सो रहे हैं । बच्चों को उठाकर नहलाने के लिए बाथरूम में भेजकर जल्दी से रसोई में काम करते हुए भी उन पर नज़र रखी हुई थी ।
दोनों जैसे ही तैयार हो कर आए तो उन्हें दूध पीने के लिए दे कर किशोर को उठाती है ।
सास अरुंधती बहुत पहले ही उठ गई थी परंतु रम्या सुबह सुबह उनका मुँह देखना पसंद नहीं करती थी । इसलिए वे रम्या के ऑफिस जाने के बाद ही कमरे से बाहर निकलती थीं ।
किशोर के आते ही रम्या उसे चाय नाश्ता देती है । बच्चों को लंचबॉक्स देकर स्कूल के लिए भेजती है और किशोर से कहती है कि तुम्हारा लंचबॉक्स टेबल पर है जाते समय बिना भूले ले जाना कहते हुए ऑफिस के लिए निकल गई थी ।
रम्या दिखने में जितनी सुंदर थी उतनी ही काम काज में निपुण थी । उसे सिर्फ़ अपने ससुराल वाले ही पसंद नहीं है वरना वह सर्वगुण संपन्न थी । उसके इसी निपुणता के कारण किशोर उसे पसंद करता था ।
रम्या के जाने के बाद अरुंधती अपने कमरे से बाहर आई । उन्हें देखते ही किशोर ने पूछा माँ तुम्हें कुछ चाहिए है क्या?
अरुंधती ने कहा कि नहीं मुझे कुछ नहीं है । तुम्हारी बहन और जीजा कल आ रहे हैं उसने चिट्ठी लिखी है । किशोर उसके हालात अच्छे नहीं हैं। हम कुछ मदद कर सकते हैं क्या?
किशोर —- माँ हम पैसों से उसकी मदद करना चाहेंगे तो वह लेना नहीं चाहेगी उसका स्वाभिमान आड़े आएगा मुझे लगता है कि माँ आप अपने गहने उसे दे दें तो वही उसके लिए बहुत हैं । उन्हें वह मना नहीं कर सकती है ।
किशोर तुम्हें तो मालूम ही है ना अपने घर की सारी बातों को मैं इसमें क्या कर सकती हूँ ?
किशोर सोचने लगा कि सही तो है गहने तो माँ के हैं । वह भी उनके मायके से मिले हुए हैं फिर भी रम्या उन पर डोरे डाल कर बैठी हुई है कहती है कि मैं इन गहनों को किसी को भी नहीं दूँगी।
किशोर ने कहा कि ठीक है माँ मुझे देर हो रही है मैं निकलता हूँ फिर हम बात करेंगे कहते हुए वह घर से निकल गया था ।
अरुंधती हर रोज सबके जाने के बाद नहा धोकर पूजा अर्चना करके अपने लिए चाय बनाकर फिर नाश्ता करती है । इस बीच कामवाली बाई लक्ष्मी आती है और पूरे घर का काम करके चली जाती है ।
उस दिन लक्ष्मी देर से आई थी और उसके हाथों में एक बहुत बड़ा डिब्बा था । अरुंधती के पूछने पर कि यह क्या है तो उसने कहा कि बाहर किरोसिन नहीं मिल रहा है । बड़ी मुश्किल से मैं पाँच लीटर लाई हूँ । हमारे घर में रखूँगी तो आस पड़ोस के लोग माँगने के लिए आ जाते हैं और मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती हूँ । इसलिए मैं सोच रही थी कि यह डिब्बा आपके घर में रखूँगी थोड़े दिन बाद ले जाऊँगी कहते हुए अरुंधती के कमरे में रख देती है । यह कहकर कि आपके कमरे में तो कोई आता भी नहीं है । उसके काम ख़त्म होते होते एक बज गया और वह चली गई । उसके जाने के बाद अरुंधती दोपहर को एक डेढ़ बजे तक खाना खाकर थोड़ी देर टी वी देखते हुए अपना समय गुजारती है ।
जब पति थे तब अरुंधती ही सारे घर के काम कर लिया करती थी उन्हें टी वी देखने के लिए क्या साँस लेने की भी फ़ुरसत नहीं मिलती थी ।
रम्या को कोई भी काम करने नहीं देती थी । बच्चों को तैयार करने से लेकर नाश्ता बनाना लंचबॉक्स तैयार करना सारे काम अरुंधती ही करती थी।
जब से पति गुजर गए तब से रम्या उन्हें सुबह बाहर आने नहीं देती थी कि वह विधवा है और सुबह उनका चेहरा देखना पाप है ।
किशोर सोचता था कि इतनी पढ़ी लिखी होकर भी यह क्या सेटिमेंट है कि माँ का चेहरा सुबह उठते ही नहीं देखना है ।
आज ऑफिस से आते समय ही रम्या का मूड अच्छा नहीं था । इसलिए घर में शांति बनी हुई थी । उसने सबको आठ बजे तक खाने के लिए बुलाया तो सब चुपचाप टेबल पर बैठ गए और बिना कुछ बोले खाना खा लिया था क्योंकि सब रम्या के ग़ुस्से से वाक़िफ़ थे ।
कमरे में जाते ही वह किशोर पर बरस पड़ी थी कि अभी तुम्हारी बहन क्यों आ रही है । उनकी हालत कितनी भी बुरी क्यों ना हो मैं कहे देती हूँ कि मैं गहने उन्हें नहीं दूँगी । किशोर कुछ कहता इसके पहले ही चद्दर तान कर सो गई थी ।
दूसरे दिन सुबह उसने सारे काम किए । ननंद नर्मदा और उसके पति को आया देख कर हेलो हाय कहकर यह कहते हुए निकल गई थी कि ऑफिस में बहुत सारा काम है ।
उसने ऑफिस में अभी कदम रखा ही था कि नहीं !!! रागिनी दौड़ते हुए आई और कहने लगी थी कि रम्या बहुत बुरी खबर है ।
तेरी सहेली मीना को उसके ससुराल वालों ने कल रात किरोसिन डालकर जला दिया है ।
रम्या चकित रह गई थी क्योंकि मीना बहुत ही अच्छी लड़की थी । उसके मुँह में ज़ुबान ही नहीं थी । वह सोचने लगी थी कि ससुराल वालों ने इतनी अच्छी बहू का यह हाल है किया है तो मेरी जैसी मुँहफट बहू का क्या हाल होता होगा ।
मेरे ससुराल वाले तो बहुत ही अच्छे हैं । सास तो सास मेरे पति भी मुझे कुछ नहीं कहते हैं । मैं ही हूँ जो उनको बहुत सताती हूँ । सोचने वाली बात तो यह है कि सास के मायके से आए हुए गहनों को भी मैंने हथिया लिया है ।
इस बार तो बिचारी ननंद को पैसों की तंगी है और उसे हमारी मदद की ज़रूरत है । मैंने उसके माँ के गहने उसे देने के लिए मना कर दिया था । मैं उन गहनों को उन्हें दे दूँ तो शायद वह मुसीबत से बाहर निकल आएगी ।
अचानक उसे लगा यह क्या मैं क्या सोचने लगी हूँ मैं गहने क्यों दूँ ? मेरे भी बच्चे हैं । कबसे सोच रही थी कि इन पुराने गहनों को बेचकर नए बनवा लूँगी तोमेरी बेटी के भी काम आ जाएँगे ।
विचारों का सिलसिला है कि ख़त्म नहीं हो रहा था । जिससे मेरे सर में दर्द होने लगा था तो हाफ़ डे की छुट्टी ले कर ऑटो में घर के लिए निकल गई थी ।
घर के बाहर किशोर का स्कूटर खड़ा हुआ था । किशोर अभी से ही गया है सोचते हुए अंदर गई तो घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा था ।
वह पिछवाड़े में जाकर मुँह धोकर पलटीं तो उसने देखा कि एक कोने में किशोर, सास और ननंद खुसुर फुसुर कर रहे थे ।
रम्या को अचानक वहाँ देखा तो तीनों चुप हो गए और किशोर ने कहा कि रम्या तुम इतनी जल्दी ऑफिस से आ गई हो ।
रम्या ने कहा कि किशोर मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा था तो मैं जल्दी आ गई थी । यहाँ कहते हुए अपने कमरे में चली गई । जब बहुत देर तक सोने की कोशिश करने पर भी उसे नींद नहीं आ रही थी ।
उसने सोचा सास के कमरे में झंडुबाम है लाकर लगा लेती हूँ । वह सास के कमरे में गई वहाँ जाकर झंडुबाम हाथ में लेकर पलटती है तो उसे बड़ा सा किरोसिन का डिब्बा दिखाई देता है ।
जिसे देखते ही उसके हाथ पैर काँपने लगे और डरकर वह वहीं फ़र्श पर गिर गई थी । किशोर ने कमरे में कुछ गिरने की आवाज़ को सुनकर भाग कर आता कमरे में आता है । रम्या को वहाँ ज़मीन पर गिरा हुआ देख कर उसे उठाकर अपने कमरे में ले जाकर सुलाता है । रम्या क्या हो गया है उठो । उसने देखा कि उसका शरीर बुख़ार में तप रहा था । थर्मामीटर से टेंपरेचर देखा तो उसे एक सौ से भी अधिक बुख़ार था ।
बुख़ार में तपते हुए वह अपने आप में बड़बड़ा रही थी कि प्लीज़ मुझे मत मारो मेरे बच्चे अनाथ हो जाएँगे ।
मैं आप लोगों की सारी बातों को सुनूँगी । माँ जी आपके गहने आपको दे दूँगी । किशोर ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया । डॉक्टर ने रम्या को इंजेक्शन दिया और आराम करने के लिए कहा । रम्या की सास , ननद और किशोर ने उसकी खूब सेवा की थी ।
घर में सब लोगों की सेवा से रम्या का बुख़ार कम हो गया था । वह सबसे अच्छे से बातें करने लगी थी । जब ननंद अपने घर वापस जा रही थी तो उसने ननंद को सास के गहने और साड़ी लाकर दिया और कहा कि दीदी यह सब आपका ही है ।
किशोर ने देखा कि माँ अब सुबह सुबह कमरे से बाहर आती है तो भी रम्या ने उन्हें ना रोका ना टोका । अरुंधती और किशोर रम्या के इस बदलाव को देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे ।
लक्ष्मी दो दिन बाद अपनी किरोसिन का डिब्बा लेकर चली गई थी । जिसके बारे में रम्या को पता ही नहीं चला था । रम्या को बुख़ार क्यों आया था । वह बुख़ार में जो कुछ भी बड़बड़ा रही थी वह क्यों बड़बड़ा रही थी इसका कारण घरवालों को भी नहीं मालूम था । चलिए कारण कुछ भी हो रहस्य को रहस्य ही रहने दें तो बेहतर होगा । किशोर को भी लगा था कि घर में ख़ुशहाली तो आ गई है वही बस है ।
के कामेश्वरी
बेटियाँ जन्म दिवस प्रतियोगिता नंबर- (४)