मां मां जानकी ने आवाज लगाते हुए कहा तो प्राची की नींद टूटी मां आप ये नींद में क्या कह रही थी कि जो मेरे साथ हुआ बो तुम्हारे साथ नहीं होने दूंगी मेरी बच्ची,
प्राची ने कहा -कुछ नहीं बेटा ओर बात को टालते हुए पूछा अच्छा ये बताओ कैसी रही आज की क्लास मां क्या बताऊ एक दम फर्स्ट क्लास, सर तो कह रहे थे जिस तरह से तुम मेहनत कर रही हो जरूर सेलेक्ट हो जायोगी बहुत अच्छा बेटा ऐसे ही मेहनत करती रहो वो दोनो बातें कर ही रहे थे कि तभी अपनी ट्यूशन क्लास से जनक भी आ गया , मां बहुत भूख लगी है जल्दी से कुछ अच्छा बना दो ना प्राची भी हा में सर हिलाती हुई कह गई जाओ तुम फ्रेश हो जाओ वही लाती हूं फिर दोनो बच्चे अपने रूम में मैं चले गए
काम करते हुए प्राची भी अपने बीते दिनों में खो गई कितना अच्छा लगता था उसे भी डांस, जब भी दादी रेडियो पर गाना चलाती थी तो वो फुदकने लगती थी लेकिन क्या पता था कि छोटे बच्चों की जो ये हरकतें बड़े लोगों को बचपन में अच्छी लगती है बड़े होते ही उसमें कमियां नजर आने लगती है छोटे होते हैं तो नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं लेकिन बड़े होने पर जो करना हमें अच्छा लगता है
उसको ये बड़े लोग क्यों नहीं समझते मुझे डांस बहुत पसंद था ओर उसकी क्लासेस लेना चाहती थी उसमें कुछ करना चाहती थी लेकिन ना तो दादी ने ना ही पापा ने मेरी बात समझी ओर दादी ने तो फरमान ही सुना दिया था कि हमारे घर की लडकियां डांस नहीं करती, मैंने मन में कहा डांस नहीं करती ,क्या खराबी होती है डांस में वो भी तो एक कला है जिससे हम अपने भावो की अभिव्यक्ति दूसरे तक पहुचातें हैं मुस्कान का दूसरा नाम उस समय मेरे लिए मेरा डांस हुआ करता था मां ये समझती थी लेकिन अब वो भी पापा या दादी के सामने हार चुकी थी
उधर से जनक की आवाज़ आयी मां जल्दी लाओ तो बीती बातों से कब बहार आयी पता ही नही चला
आज रात में जानकी के पापा भी अपने 2 महीने के टूर से वापस आ रहे थे वो ज्यादातर समय बाहर ही रहते थे टूर के सिलसिले में ,यहीं सोच रही थी कि अब तक तो छुपा लिया अब तो इन्हें बताना होगा उधर से जानकी भी आयी माँ आज पापा को बता देंगे तो वो मुझे खेलने से रोकेंगे तो नहीं क्योंकि मुस्कान का दूसरा नाम मेरे लिए क्रिकेट है,
क्रिकेट हां सही सुना आपने मेरी बेटी को क्रिकेट बहुत पसंद है ये मुझे पता है वो उसमें बहुत अच्छा कर सकती हे आज उसकी इस बात को सुनकर मुझे अपनी कही हुई वही बात याद आ गई जो बहुत साल पहले मैंने अपनी मां से कही थी
मैंने जानकी को समझाया बेटा हम पापा को मना लेंगे वो भी ओके मां कहकर कमरे में चली गई मैंने कह तो दिया था लेकिन ये इतना आसान नहीं था मैं बहुत कसमकस में थी कि ये सब जानकर ये कैसे रिएक्ट करेंगे
ओर वो घड़ी भी आ गई जब संकेत आ चुके थे जब बो खाली थे तो मैंने सोचा यही समय है बात करने का
क्योंकि जानकी भी वही बैठी हुई थी ओर जनक भी कमरे में सो चुका था
मैंने संकेत को पूरी बात बताई मुझे ये पहले से पता था कि ये पुराने विचारो के है पता नहीं कैसे रिएक्ट करेगें जब मैंने उन्हें बताया तो वो मुस्कुराने लगे तो जानकी ओर मैं एक दूसरे को देखने लगी, तो इन्होने कहा कि मुझे सब पहले से पता था, आपको पता है पर कैसे, 2 महीने पहले जब में जानकी के स्कूल गया था उनकी मैडम से मिलने उन्हें कुछ काम था, तब उन्होने जानकी के खेल के बारे में बताया था तो एक पल को तो मुझे बहुत गु्ससा आया लेकिन जब मैं स्कूल से बाहर निकला तब मैंने जानकी को प्रैक्टिस करते हुए देखा तो मुझे इतना गर्व महसूस हुआ कि मैं जानकी का पिता हूं, मैंने तुम्हें इसलिए नहीं बताया, मैंने सोचा था कि तुम मुझे खुद बताओगी, किसी डर से नहीं अपनी इच्छा से,
उस दिन मैंने फैसला कर लिया था जो कुछ भी मेरी पत्नी के साथ हुआ वो में अपनी बेटी के साथ नहीं होने दूंगा ओर अपनी बेटी के हर सपने को पूरा करने में उसका साथ दूगा क्योंकि तुम्हारा दर्द मुझसे छुपा नहीं है तुम्हारे अभी तक इतने सभालकर रखे गए घुघुरू, या टीवी पर चलते हुए गाने ,जिससे तुम्हारे पेर आज भी थिरकने लगते है तो सोचो कितना अटूट सपना देखा होगा तुमने जो तुम्हारा पूरा नहीं हुआ, कितना प्यार होगा तुम्हें अपने डांस से जिसका तुम्हे मौका नही मिला आज भी तुम्हारा
दर्द झलक आता हैं , तुम्हारे पिता ने तुम्हारा साथ नहीं दिया तो वो तीस आज भी तुम्हे चुभती हे
में ऐसा पिता नहीं कभी नही बनना चाहता ,अपनी जानकी का हर सपना पूरा करना चाहता हूँ जो इसके मुस्कुराने की वजह है
ये सब सुनकर आज फिर से प्राची बही कह रही थी
जो कुछ मेरे साथ हुआ वो
तेरे साथ कभी नहीं होगा मेरी बच्ची बस अंतर इतना था पहले सोते हुए सपने में कहती थी जो उसे खुद नही पता था
लेकिन आज खुली आंखों से, अपनी बेटी के सपने को पूरा होते हुए देखकर कह रही थी
आज उसकी बेटी को उसकी जानकी को मुस्कुराने की वजह जो मिल गई थी।
प्राची संकेत