कल चित्रा अमन की दुल्हन बनने जा रही है। उम्र के तीसरे पड़ाव पर आकर कल वो कोर्ट में एक दूसरे के जीवनसाथी बन जायेंगे। चित्रा को बार बार अपनी पिछली जिंदगी का बीता हुआ हर लम्हा याद आ रहा था। उसे लग रहा था कि हम चाहें कितनी भी योजनाएं बना लें पर होता वही है जो विधाता ने हमारे लिए तय किया है। बात शुरू होती है जब चित्रा अपने माता पिता की इकलौती लाड़ली बेटी थी। वो अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रही थी। वैसे तो उनके खानदान में लड़की को ज्यादा पढ़ाने का रिवाज़ नहीं था क्योंकि सबको लगता था कि पढ़ी-लिखी लड़की के लिए लड़का ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। चूंकि वो इकलौती थी और अपने माता-पिता की लाड़ली थी इसलिए उसकी कॉलेज की पढ़ाई के बाद शादी की शर्त मान ली गई थी।
वो कॉलेज के आखिरी वर्ष में थी।उनके मोहल्ले में सामने वाला घर जो सालों से खाली पड़ा था। उस घर में चार सदस्यों का एक परिवार रहने के लिए आया था। उस घर में लड़की जिसका नाम मीना था,चित्रा की ही उम्र की थी। यहां तक की दोनों के विषय और कॉलेज भी समान था। लड़का अमन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। एक बार चित्रा बीमार होने की वजह से काफ़ी दिन तक कॉलेज नहीं जा पाई। परीक्षा सर पर थी। तब मीना ने ही उसकी काफ़ी मदद की थी। परीक्षा के दिनों में नोट्स की वजह से चित्रा का सामने वाले घर में मीना के पास काफ़ी आना-जाना रहा। यहां आने पर अमन से भी उसका सामना हो जाता था।
अमन व्यवहार से बहुत ही मितभाषी और सौम्य था। कई बार अगर मीना और चित्रा को कोई विषय समझ नहीं आता तो वो भी इन दोनों की मदद कर देता था। उसका मित्रवत व्यवहार और विनम्रता चित्रा को उसकी तरफ आकर्षित कर रही थी। वैसे भी ये उम्र भी कुछ ऐसी ही होती है जिसमें प्यार और आकर्षण की डोर कुछ जल्दी ही बंध जाती है। इस तरह रोज मिलते-मिलाते चित्रा और अमन भी पास आते चले गए। वैसे तो वो दोनों जब भी मिलते थे तो मीना उनके आस-पास ही होती थी।
एक दिन मीना कॉलेज नहीं गई थी।चित्रा को रास्ते में ही अमन मिल गया था। दोनों हंसते-बोलते घर वापिस आ रहे थे। रास्ते में चित्रा की बिरादरी के कुछ लोगों ने उन दोनों को साथ देख लिया था। इस खबर को उन लोगों ने नमक-मिर्च के साथ चित्रा के घर पहुंचा दिया था।जब चित्रा के माता-पिता ने चित्रा से इस बारे में पूछा तो उसने कुछ ना छुपाकर अपने और अमन के प्यार का सच स्वीकार कर लिया। उसने ये भी कहा कि उन दोनों का प्यार सच्चा है और वो दोनों एक-दूसरे के परिवार की सहमति के बाद शादी भी करना चाहते हैं
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परिणय सूत्र (भाग 2) – डॉ. पारुल अग्रवाल
डॉ. पारुल अग्रवाल,
नोएडा