Moral stories in hindi : ‘‘माँ इस बार बारहवीं बोर्ड के बाद मुझे नया मोबाइल दिला दोगी?‘‘ कुशल ने अपनी माँ पूछा
‘‘ अरे हर साल क्या मोबाइल ही बदलते रहोगे? अभी नहीं बाद में देखेंगे।‘‘ कहकर गार्गी बेटे को मना कर दी
जब रिजल्ट आया तो कुशल के अच्छे नम्बर और रैंक देख पापा समर ने बोला ,” वाह बेटा …. शाबाश….बोलो तुम्हे क्या चाहिए।”
कुशल के मन की बात पूरी होने वाली थी ये सोच कर उसने कहा ,”पापा मुझे ऐसा मोबाइल दिला दीजिए जिसका कैमरा बहुत बढ़िया हो।”
“बढ़िया कैमरा से क्या मतलब ?” समर ने कहा
तब कुशल ने अपने पुराने मोबाइल में कुछ तस्वीरें दिखाते हुए कहा,”पापा ये फोटोज मैंने इस मोबाइल से ही लिए ….सब बोलते हैं तुम बहुत अच्छी फोटोग्राफी करते हो पर तुम्हारे मोबाइल का कैमरा ठीक नही है….तो मैं चाहता हूं मुझे अच्छे कैमरा वाला मोबाइल दिला दो जिससे अच्छी फोटोग्राफी कर सकूँ…..वैसे पापा अभी मैं कैमरे की माँग करूंगा तो आप दोनों डाँट देंगे….इसलिए मोबाइल ही दे दो ना।”कुशल सिर झुकाए अपनी बात मनुहार करते हुए कह गया
‘‘ ये क्या बेकार का शौक पाल रहे हो? ….अरे पढ़ो लिखो अच्छी नौकरी करो….इन सब बातों में आकर अपना वक्त बर्बाद करने की जरूरत नहीं है।” अधिकांश बच्चों के पिता की तरह समर ने भी थोड़े सख्त लहजे में कुशल से कह दिया
ये सुनकर कुशल का चेहरा उतर गया… वो चुपचाप वहाँ से अपने कमरे में चला गया ।
माँ तो माँ होती है….बेटे की रोनी सूरत देख उसका दिल पसीज गया।
समर से मिन्नतें करने के बाद बेटे के लिए नए फोन पर रजामंदी मिल गई पर इस शर्त के साथ की पढ़ाई में कोई समझौता नहीं होगा।
बी. कॉम की पढ़ाई के साथ साथ कुशल का फोटोग्राफी का जूनून भी सिर चढ़कर बोलने लगा था।
इंस्टाग्राम पर फोटोज़ पर अच्छे वयूज देखकर वो खुश होता और अपनी माँ से सब शेयर करता रहता बेटे की ख़ुशी देख माँ भी बलाएँ लेती रहती ….बस अब कुशल का एक ही सपना था उसके पास एक बढ़िया कैमरा हो …..पर इसके लिए वो बोले तो बोले किसको।
बहुत हिम्मत जुटा कर एक दिन माँ के पास आकर बोला,” माँ मुझे एक अच्छा कैमरा दिला दो ना….अभी जॉब में वक़्त है और मेरी फ़ोटोग्राफ़ी तो तुम जानती ही हो….मेरी इच्छा है माँ इस क्षेत्र में भी मेरा नाम हो.. मेरी एक पहचान हो …..मेरे पास कुछ बचत है थोड़ी तुम मदद कर दो प्लीज़ ….बस पापा को अभी कुछ मत बताना ।”
“ बेटा यूँ पापा से छिपा कर तेरे लिए कैमरा लेने को बोल रहा है….वो जानेंगे तो जानता है कितना ग़ुस्सा होंगे….वैसे कितने का आता कैमरा?”गार्गी ने पूछा
“माँ मेरे पास पच्चीस हज़ार है तुम पन्द्रह हज़ार दे दो ना।मेरा कैमरा आ जाएगा।” कुशल ने कहा
“ इतने पैसे कहाँ से आए तेरे पास?” गार्गी आश्चर्य से पूछी
“माँ मेरे जो फोटोज लोगों को पसंद आते हैं….वो मुझसे लेते है और बदले में पैसे देते हैं…..जो भी मिलते गए वो सब मैंने सँभाल के रखे हुए हैं…..मैं तो अपनी मेहनत के पैसे से ही कैमरा लेता पर एक प्रतियोगिता होने वाली जिसमें अच्छी फ़ोटोग्राफ़ी के लिए बहुत बड़ी रकम और नाम के साथ साथ अच्छी जॉब भी मिल जाएगी….बस इसके लिए मुझे कैमरा ही चाहिए….एक तुमसे ही उम्मीद है मना मत करना।” कुशल माँ से इतना मनुहार करने लगा कि गार्गी मना ना कर पाई कई बार माँ बच्चों के लिए पति से भी बहुत कुछ छिपा जाती हैं ये सोच कर की बच्चों की ख़ुशी उन्हें सर्वोपरि लगती है….
और सच यही है माँ ठहरी बच्चों के प्यार में पगली बस गार्गी ने भी बेटे को अपने बचत खाते से पैसे दे दिए।
कुशल ने कैमरा लिया और लग गया प्रतियोगिता की तैयारी में पर जब समर घर में होते अपने कॉलेज की पढ़ाई पर वो पूरा ध्यान देता ।
कुछ दिनों बाद प्रतियोगिता में विजेता के नाम में कुशल को चुन लिया गया। सबने उसकी बहुत तारीफ़ की।
जब ये बात समर को पता चली तो वो बहुत नाराज़ हुए और कुशल को डाँटते हुए बोले,”पता नहीं ये बेकार का शौक़ क्या पाल रखा है तुमने….. पढ़ाई लिखाई कर कुछ काम करो अपनी पहचान बनाओ ये सब नहीं करना बस फ़ोटोग्राफ़ी का शौक़ पाल कर आगे बढ़ना है…तुम दोनों माँ बेटा मिलकर क्या कर रहे हो समझ आएगा एक दिन।”
“आप जो नाराज़ हो रहे हैं हम दोनों से इस बात के लिए हम आपसे माफ़ी माँग ले पर एक नज़र देख तो लीजिए किस तस्वीर के लिए इसको पुरस्कार मिला है ।” गार्गी बेटे की तरफ़ से लगभग सफ़ाई देते हुए बोली
“पापा मैं जानता हूँ आपको मेरा फ़ोटोग्राफ़ी करना कभी पसंद नहीं आया पर ये मेरा जुनून बन गया है मैं चाह कर भी इससे दूर नहीं रह पाया….मैंने कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया पापा बस इस शौक़ से भी अपनी पहचान बना सकता हूँ बस आप भरोसा तो कर के देखिए ।”कहते हुए कुशल ने वो तस्वीर समर के सामने रख दी जो सर्वश्रेष्ठ रही थी और जिसके लिए उसे विजेता घोषित किया गया था ।
तस्वीर देखते ही समर आश्चर्य से कुशल को सवालिया नज़रों से देखने लगे…..तस्वीर ख़ुद समर की थी वो भी बिल्कुल आत्मविश्वास से लबरेज़ स्वाभाविक मुद्रा में खड़े हो कर बाहर बगीचे में खड़े होकर आसमान को निहारते हुए।
“ये तस्वीर कब ले लिया तुमने?….मेरी तस्वीर इतनी अच्छी आ सकती आश्चर्य हो रहा है।”समर ख़ुद की तस्वीर देख कर गौरवान्वित महसूस कर रहा था
“ वो पापा आप जब बाहर गार्डन में खड़े थे तो मैंने चुपके से लिया था….बहुत सारी फ़ोटोज़ में आपकी ये तस्वीर सबको पसंद आई देखिए कितने लोगों ने तारीफ़ की है।” कहकर कुशल अपने मोबाइल पर सबके कमेंट्स पढ़ाने लगा
“ बेटा तेरी अगर यही इच्छा है तो मैं अब मना नहीं करूँगा।क्यों तेरी इच्छाओं पर रोक लगाऊँ बस बेटा अपने भविष्य के बारे में भी सोचना…बाक़ी अब मैं तुम्हारे इस जुनून को रोक नहीं सकता।” समर कुशल पर गर्व महसूस कर रहे थे पर दिखाने में कंजूसी कर रहे थे
आज वही बेकार का शौक बेटे की पहचान बन गया था और उसके साथ साथ समर भी चर्चा में आ गया था।
वक़्त बीते कुशल एक कम्पनी में अच्छी नौकरी करने लगा पर अपने जुनून को आज भी क़ायम रखे हुए हैं जो उसकी अपनी अलग पहचान बनाती है।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#पहचान