Moral stories in hindi :
“हैलो… मम्मी..?” “हां बोलो नवीन” फोन उठाते हुए सुषमा जी ने बेटे को जवाब दिया। ” आप अभी घर पर ही हो न मैं आधे घंटे में आ रहा हूं चारों बच्चों को छोड़ने के लिए..” “चारों मतलब..?” बात बीच में काटते हुए सुषमा जी बोली । “वह रिया और रोहन… निम्मी (बहन) के बच्चे भी मेरे साथ हैं ” नवीन की आवाज आई “हम लोग यानी मैं और श्रुति और निम्मी और सौरभ तीन दिनों के लिए मानेसर जा रहे हैं लॉन्ग वीकेंड है ना तो.. बच्चों को आपके पास छोड़कर आगे निकल जाएंगे ।
अनीता है ना, हमारी मेड, उसे भी आपके पास छोड़ देंगे तो आपको मुश्किल नहीं होगी” कहते हुए नवीन फोन रखना ही वाला था कि सुषमा जी की आवाज आई..” पर हम लोग भी 2 दिन के लिए ऋषिकेश जा रहे हैं सीनियर सिटीजन क्लब के साथ तो बच्चों को नहीं रख सकते तुम देख लो।” नवीन एकदम बौखला गया आवाज कुछ तेज हो गई ।
“आपने पहले तो बताया नहीं…?” “क्यों…श्रुति को तो बताया था कि शायद हम लोग जाएंगे तब तो श्रुति ने कुछ नहीं बताया कि तुम लोग भी जा रहे हो।” नवीन ने पत्नी श्रुति की तरफ देखा और फिर बोला “आप लोग कब जा रहे हो..? अच्छा रुको मैं वहीं आकर बात करता हूं ।”नवीन ने मां से कहा ।
20 मिनट में ही नवीन अपनी पत्नी श्रुति और बहन निम्मी के साथ मां के घर आ गया ।अंदर घुसते ही देखा दो बैग तैयार पड़े हुए थे । निम्मी ने आगे बढ़कर सास ससुर के पांव छू लिए और सोफे पर बैठ गई जहां नवीन पहले से ही बैठ चुका था । सुषमा जी किचन की तरह बढ़ी ही थी कि नवीन की आवाज आई – “मम्मा आप यहां बैठो ।
हमें कुछ नहीं चाहिए आपने तो हमारी भूख प्यास ही उड़ा दी है । थोड़ी खीझ भरी आवाज आई नवीन की । “क्यों मम्मी ने ऐसा क्या कह दिया भई जो तुम्हारी भूख प्यास ही गायब हो गई..?” पापा महेंद्र जी ने कमरे में घुसते हुए हंस कर कहा । “मम्मी अभी आप रहने दो मत जाओ ना, बच्चों को कौन संभालेगा । हमारा सब प्रोग्राम खराब हो जाएगा । आप लोगों को मैं दो महीने के बाद ले जाऊंगा । हम सब भी आपके साथ चलेंगे । फैमिली ट्रिप हो जाएगा ।”
नवीन ने एक सांस में कहा । सुषमा जी कुर्सी पर सीधे होकर बैठ गईं। “पिछले दो सालों से हम तुम्हें कह रहे थे कि हमें ऋषिकेश ले जाओ, हम भी घर बैठे बैठे तंग आ चुके हैं । ज्यादा दूर की यात्रा भी नहीं कर सकते पर नजदीक तो जा ही सकते हैं ना । हमें भी तो चेंज चाहिए पर पिछले दो सालों में तुम्हें घूमने का पूरा समय मिला ।
केरल गोवा तो गए ही, यूरोप का टूर भी लगा कर आए हो लेकिन हमारे लिए तुम लोग दो दिन का भी समय नहीं निकाल सके तो हमने सोचा कि अब हम खुद ही घूम लेंगे इसलिए हमने एक सीनियर सिटीजन क्लब ज्वाइन कर लिया है। हर हफ्ते वीकेंड में क्लब में सब मिलेंगे । महीने में एक बार पिकनिक वगैरा होगी और विवाह की सालगिरह और जन्मदिन जिसका भी होगा वह सेलिब्रेशन होगा । दो महीने में एक बार दो दिन के लिए आसपास घूमने जाएंगे और साल में एक बार एक हफ्ते का ट्रिप बनेगा कहीं दूर ।
बस प्रति व्यक्ति के हिसाब से जो भी खर्च बनेगा वहीं देना है । बाकी के इंतजामात क्लब करेगा तो हमें लगा सारी जिंदगी हमने तुम लोगों में ही गुजार तो सोचा…” नवीन गुस्से में मां की बात को बीच में ही काट कर बोला …” तो एहसान किया क्या.. सब मां-बाप करते हैं…।” “बरखुरदार हमने भी कोई एहसान नहीं किया, ना कर रहे हैं वैसे ही जैसे तुम अपने बच्चों पर कोई एहसान नहीं कर रहे हो पर हां यह जरूर है कि पहले तुम हमारी जिम्मेदारी थी और अब तुम हमारी जिम्मेदारी समझते हो कि तुम्हारे बच्चों को भी हम संभाले पर कोई बात नहीं हम आज भी यह सब खुशी से करते हैं
क्योंकि अपने नाती पोतों में हम तुम्हारा बचपन देखते हैं, उनके साथ को इंजॉय करते हैं जो हमने अपनी जिम्मेदारियों के चलते मिस किया पर तुमने तो इसे भी अपना अधिकार समझ लिया । हमें भी आराम चाहिए कुछ अपने लिए समय चाहिए वह तुम लोगों को नहीं दिखता और हां एक बात तो बताओ वो चार्ली का क्या होगा …? ” पापा महेंद्र जी ने नविंके पालतू श्वान का नाम लिया l “वह भी यहीं आएगा” श्रुति ने कहा । अब तो सुषमा जी का पारा चढ़ ही गया ।
“वाह क्या बात है… हमारा ख्याल तो तुम रख नहीं सकते लेकिन तुम्हारे बच्चों की और तुम्हारे पालतू कुत्ते की जिम्मेदारी भी हमारी है लेकिन शायद तुम भूल गए हो इसी चार्ली की वजह से तुम्हारे पापा के कंधे की हड्डी खिसक चुकी है । उनकी फिजियोथैरेपी भी दो बार हो चुकी है । पापा की भी उम्र हो चुकी है 70 के हो गए हैं चार्ली को घुमाने ले जाओ तो वह तो भागता ही है साथ में पापा भी खिंचते चले जाते हैं ।
बच्चे यहां आते हैं वेलकम है उनका लेकिन यहां आकर जो धमा चौकड़ी मचाते हैं सारा घर उलट पलट हो जाता है । मैं भी 68 की हो चुकी हूं ज्यादा देर नहीं खड़ी हो सकती पर रसोई में घुसना पड़ता है और तुम यह जो मेड का राग अलाप रहे हो छोड़ जाओगे तो वो भी यहां आकर वह पसर जाती है,v कितनी हेल्प करती है मुझे पता है और तुम ….” बेटी निम्मी की तरफ मुखातिब होते हुए सुषमा जी बोली “
अपने बच्चों का जन्मदिन अपनी शादी की सालगिरह तुम्हें यहीं मनानी होती है चलो कोई बात नही हमें भी अच्छा लगता है पर कम से कम थोड़ा घर को तो संभाल कर जा सकती हो । पर नही…. पूरे घर को समेटने मुझे दो दिन लग जाते हैं। तुम्हारे पापा हेल्प करते रहते हैं । तुम चारों को अपने अधिकार बखूबी याद है पर अपनी ड्यूटीज याद नहीं है तो आज फाइनल बात है अब हम बच्चों को नहीं संभालेंगे ।
तुम लोग देखो कैसे करना है, क्या करना है । हमारी भी अब चलाचली की बेला है किसी एक ने तो पहले जाना ही है तो कुछ समय हम भी साथ रहना चाहते हैं, साथ घूमना चाहते हैं चाहे वह घर के सामने वाला पार्क ही क्यों ना हो । इसलिए आगे से अपने घर की अपने बच्चों की जिम्मेदारी तुम खुद उठाओ ।” कहते हुए सुषमा जी ने पति की तरफ देखा उन्होंने अपनी मूक सहमति दे दी और नवीन, श्रुति व निम्मी बिल्कुल चुप बैठे हुए थे शायद मम्मी ने उन्हें आइना दिखा दिया था ।
शिप्पी नारंग
बेहतरीन कहानी, सत्य के बिल्कुल करीब, सही जवाब दिया👍👌👌
बिल्कुल सही जवाब दिया माॅ बाप इनके बच्चों के आया नहीं जो अपनी ज़िमेदारी को ना समझे उसको आईना दिखाना जरूरी होता है ।
निकम्मी ने अपने मां पिता के पैर छूए। सांस ससुर के नहीं__ लिखने में गलती हैं।
Very nice decision by the parents.
Wah kya baat kya baat kya baat Very well done hai ji
Tab hi Sudhar Gaye honge
Iam satisfied ur answer mrs gauri
Very true. Elders are living beings not yet dead
well done 👍
Very nice.. Ghee sudhi ungali se nahi nikalta, toh ungali tedi karo, agar apne aap samajh nahi aata toh unki bhasha mei hee samjhanaa chahiye
Very true.. young age goes by fast in raising the kids. Old age bhi grandparents ban ke gujar dete hai, toh couple kab bante hai!!
Sanya vachan.. young age goes by fast in raising the kids. Old age bhi grandparents ban ke gujar dete hai, toh couple kab bante hai!!
अप्रतिम…
Absolutely