Moral stories in hindi : दोपहर का वक्त था। सरोजनी जी अपने कमरे में आराम कर रही थीं। अचानक कोलाहल की आवाज़ से उनकी नींद टूटी। ध्यान से सुनने पर पता चला कि आवाज़ उनके बेटे-बहू के कमरे से आ रही थी।
“ये अचानक इन दोनों को क्या हो गया? अभी खाने की मेज पर तो सब कुछ सही था।” सोचती हुई सरोजनी जी उनके कमरे में जाने के लिए उठी ही थी कि फिर उन्हें ख़्याल आया कि पति-पत्नी के बीच में उन्हें नहीं बोलना चाहिए। आपस की बात उन्हें आपस में ही सुलझानी चाहिए, ये सोचकर उन्होंने अपने कदम रोक लिए।
धीरे-धीरे बेटे विवान और बहू वेदिका की आवाज़ में तल्खी और तेजी के साथ-साथ सरोजनी जी की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी।
अचानक ही वेदिका की आवाज़ उनके कानों में पड़ी “ख़बरदार विवान अगर तुमने मुझ पर हाथ उठाने का प्रयास भी किया तो।”
ये सुनकर सरोजनी जी अब स्वयं को रोक नहीं सकी और उनके कमरे की तरफ बढ़ गयीं।
जब वो वहाँ पहुँची तब उन्होंने देखा विवान वेदिका पर हाथ उठाने ही वाला था। इससे पहले कि वेदिका कोई प्रतिक्रिया करती सरोजनी जी ने बीच में आकर विवान का हाथ पकड़ लिया।
विवान और वेदिका जब तक कुछ समझ पाते, सरोजनी जी के हाथों विवान के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ चुका था।
“माँ आपने मुझ पर हाथ उठाया? क्यों?” विवान ने रूआँसे स्वर में कहा।
सरोजनी जी अपने गुस्से को ज़ाहिर करती हुई बोली “क्योंकि तुमने आज मेरी परवरिश को गाली दी है विवान। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी पत्नी पर हाथ उठाने की? यही सिखाया है मैंने तुम्हें?”
“पर माँ आपको पूरी बात मालूम ही नहीं है। आप सुन तो लीजिये कि क्या हुआ है?” विवान ने गुस्से से वेदिका की तरफ देखते हुए कहा।
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सास से ससुराल (भाग 2) – शिखा श्रीवास्तव : Moral stories in hindi
©शिखा श्रीवास्तव