Moral Stories in Hindi :
जब घड़ी ने रात के १२बजाये तब उसकी सास ने कहा ” बेटा रात बहुत हो गई
है ,शादी की रस्में निभाते निभाते तू भी थक गई होगी अब सोजा ” लाख अच्छाई
के बाबजूद मेरे रमेश मे यही एक ख़राबी है कि खुशी के मौक़े पर एकाद पैग लगा ही
लेता है ।
राधा की आँखें नींद से बोझिल तो हो रही थी लेकिन ललिता से रमेश की
पीने की आदत के बारे मे जान कर ,नींद आँखों से कोसो दूर हो चुकी थी ।उसे
अपना सपनों का महल टूटता हूआ नज़र आरहा था ,मन मे तरह तरह के विचार
आ रहे थे ,क्या उसकी शादी किसी शराबी से हुई है ? क्या यह मंज़र रोज़ देखना
पड़ेगा ?
वैसे साधारण परिवार के होने के कारण उसने अपनी ज़िन्दगी से अधिक कुछ
की चाह भी नहीं की थी. शादी से पहले हर लड़की की तरह उसने कुछ रंगीन सपने
देखे थे।ख़ुशियो से भरी रंग विरंगी ज़िन्दगी ओर प्यार करने वाला पति ।सब कुछ कितना
सुखद व आकर्षक था परन्तु न वह रात आई न सुबह जिसका राधा के मन मे
अरमान था ।
जब भी रमेश शराब पीकर घर आता उसे वह एक दम अच्छा नहीं लगता।कोई भी
तीज-त्योहार व खुशी का मौक़ा हो वह अपनी आदत से बाज़ नहीं आता । हद तो
उस समय हो गई जब उसकी सास ललिता को अस्थमा का अटैक पड़ा ओर राधा
ने रमेश को दवा लाने को कहा ,,नशे मे चूर रमेश ने राधा की बात को अनसुना कर
दिया।बेटे को पुकारते पुकारते ललिता ने दम तोड़ दिया ,माँ के जाने के बाद भी
रमेश ने पीना नहीं छोड़ा, राधा को रमेश से घृणा व नफ़रत होने लगी थी ।
राधा अकेली पड़ गई थी ,लाख कोशिशें के बाबजूद रमेश को पीने से नहीं
रोक पा रही थी ।लड़ झगड़ कर चीख़ चिल्ला कर चुप हो जाती ओर माँ के घर
चली जाती । राधा के घर से जाने के बाद रमेश ख़ुश हो जाता ,अपने ही घर मे
दोस्तों के साथ महफ़िल लगाता और देर रात तक शराब का दौर चलता ।
दो तीन दिन के बाद कामिनी , राधा को समझा बुझा कर उसे उसके घर वापिस
भेज देती ।इसी उलझन भरी ज़िन्दगी मे दो साल बीत गए ,कामिनी की तबियत
यह सोच सोच कर ख़राब रहने लगी कि मेरे बाद मेरी बेटी का भविष्य क्या होगा ?
कही उसके जीवन मे मेरे जैसी पुनरावृत्ति तो नहीं होगी मेरी बेटी के साथ ।
इस बार होली का त्योहार आते ही जब रमेश ने पीना शुरू कर दिया तो
राधा की हिम्मत ज़बाव दे गई ,वह चुपचाप अपने कपड़े लेकर माँ के घर चली आई ।
लेकिन इस बार उसकी माँ ने राधा को न समझाया न कुछ कहा ,शायद अपनी बेटी
का भविष्य अंधकार मे डूबता नज़र आरहा था ।
जब पाँच छ दिन बीत गये ,राधा वापिस लौटने को उत्सुक नहीं दिखाई दी
तो उसने राधा को अपने पास बैठाया और बोली “राधा यदि रमेश के साथ नहीं रह सकती
तो उसे सदा के लिए छोड़ क्यों नहीं देती ,जी लेना तू भी मेरी तरह किसी वैरागी जैसा,जीवन
मैं तो तेरी ममता मे जकड़ी रही पर तू तो इस से भी मुक्त है ,दुविधा मे मत जी,टुकड़ों
टुकड़ों मे बँट कर कब तक जियेगी तू ।इसलिए कहती हू या तो पूरी तरह अलग होजा
या अपने पति की होकर जी “
माँ की बातें सुनकर राधा को दुख तो बहुत हुआ लेकिन उसने मन ही मन एक
निर्णय लिया ओर माँ से कहा ” माँ मे अभी इसी वक़्त घर लौटना चाहती हू ।अभी तक
जीतने के प्रयास मे हमेशा हारती रही हू ।आज आख़िरी बार हार कर भी देख लेती हू “
उसकी माँ ने सजल नेत्रों से उसे बिदा किया ओर मन ही मन उसके उज्जवल भविष्य
की कामना की ।
घर पहुँच कर घर की बदहाली देखकर एक वारगी तो उसे आक्रोश आया लेकिन
लेकिन आक्रोश को परे हटाकर सहज भाव से बिस्तर ठीक किया ,बिस्तर पर साफ़
सुथरी चादर बिछाई ,घर साफ़ सुथरा कर के चमका दिया फिर गुनगुनाती हुई रसोई
मे गई ओर रात का भोजन तैयार करने मे व्यस्त हो गई ।
रोज़ की तरह रमेश अपने साथियों को लेकर घर लौटा तो घर की लाइट जली
देख कर चौक उठा ,उसे राधा के लौट आने की उम्मीद नहीं थी ।जैसे ही उसने
दरवाज़े पर लगी घंटी बजाई राधा ने दरवाज़ा खोल दिया ।राधा को सामने देख कर
उसके साथियों के चेहरे सकपका गये मानो चोरी करते पकड़े गये हो । राधा ने
मुस्कुराकर कहा “आज़ाइये आप सबका मेरे घर मे स्वागत है मैंने आप लोगों की
टेबिल सजा दी है ,गिलास व नमकीन टेबिल पर सजे हुये है अपना रोज़ का कार्यक्रम
जारी रखिये ” यह कह कर वह मुड़ कर भीतर चली गयी ।
रमेश को आश्चर्य हुआ कि कही वह किसी ओर के घर तो नहीं आ गया ।ज़रूर
कुछ गड़बड़ है । राधा चीख़ चिल्लाना छोड़कर पीने की महफ़िल सजाने की बात कर
रही है ,धीरे धीरे उसके सब साथी चले गये ।
रमेश ने सांथ लाई बोतल को बाहर ही छोड़ा ओर डरते सहमते घर मे क़दम रखा आख़िर
राधा एकाएक कैसे बदल गई । वह सोच मे डूबा गुमसुम सा सौफे पर आकर बैठ गया
क्या बात है ? बहुत परेशान नज़र आरहे हो राधा भी उसके बग़ल मे आकर बैठ गई ।
थोड़ी देर मे राधा खाना परोस कर ले आई,मैंने भी अभी तक कुछ नहीं खाया है ।दोनों
चुपचाप भोजन करते रहे फिर बिस्तर पर लेट गये पर नींद दोनों की आँखों मे नहीं थी ।
दोनों के अन्तरमन मे हलचल मची हुई थी । रमेश ने करवट ली तो देखा राधा भी
जगी हुई थी ,राधा क्या सोच रही हो ।”कुछ भी नहीं अब मैंने निश्चय कर लिया है
कि अब तुम्हें कभी भी पीने से नही रोकूँगी ” क्यों ? रमेश ने अचकचा कर पूछा।
पिछले पाँच साल से यही तो करती रही मे पर तुम्हें कहा रोक पाई,उलटे
हम दोनों नफ़रत की आग मे जलते रहे ।
रमेश ख़ामोश था उसके अन्तरमन से आवाज़ आई क्या सारा दोष मेरा था
राधा का ज़रा भी नहीं ?
हाँ सारा दोष सिर्फ़ तुम्हारा था। उसकी आत्मा से आवाज़ आई ,रीना की
वेवफाई का बदला तुम राधा से लेते रहे जब कि वह तो तुम्हारी भावनाओं से एकदम
अनजान थी तो रीना की वेवफाई का जश्न पीकर मनाते रहते ज़िन्दगी भर ।राधा से
शादी क्यों की ? राधा भी सोच मे डूबी थी कि आख़िर उसने कभी जानने की कोशिश
कयो नहीं की कि रमेश हमेशा शराब के नशे मे कयो डूबा रहता है । कभी तो
प्यार के दो बोल बोलकर समझाया होता उसे सोचते सोचते कब नींद आगई
पता ही न चला।
सुबह चिड़ियों की चहचहाने की आवाज़ कानों मे पड़ी ,उठी चाय बनाकर
लाई ओर प्यार से रमेश को जगाया ,रमेश ने चाय का कप अपने हाथ मे लिया
ओर राधा को अपने पास बिठा लिया “बोला राधा मै अपनी आदत पर बहुत शर्मिन्दा
हू ” नहीं रमेश ग़लती मेरी भी थी मैंने कभी तुम्हारी भावनाओं को समझने की कोशिश
नहीं की ।
नहीं राधा मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ मैं बीते दिन तो लोटा नहीं सकता लेकिन
तुम से वायदा करता हूँ आज के बाद शराब को कभी हाथ भी नहीं लगाऊँगा ।
हाँ रमेश तुम पीना छोड़ दो मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती ,इसी शराब ने
मेरे पिता की जान ले लो थी कहकर राधा के आँखों मे आँसू आ गये ।
राधा विश्वास करो ,मैं कभी भी तुम्हारे विश्वास को टूटने नहीं दूँगा रमेश
के ऐसे वचन सुनकर राधा का उस पर अथाह प्यार उमड़ पड़ा ओर आनन्द विभोर
होकर रमेश से लिपट गई रमेश ने भी उसे अपने आग़ोश मे ले लिया ।आज
सचमुच राधा हार कर भी जीत गंई थी ।
माधुरी