short story with moral : मई के महीने में रिजल्ट आया। रवि और सिमर अच्छे नंबरों में पास हुए। इस बार रवि की फसल भी बहुत अच्छी हुई थी ।गेहूं की फसल बहुत अच्छी हुई । उसने अच्छी किस्म की कपास बिजी जिसका बीज वह लुधियाना से लेकर आया था । अब खेतों में कपास से घास निकालने का काम चल रहा था । वह भी मजदूरों की तरह खेत जाता अपने खेत में काम करता।
दूसरी और सिमर कॉलेज खुलने का इंतजार कर रही थी । अगली क्लास में दाखिला लेने के लिए वह एक दिन कॉलेज आए फार्म भरने के बाद कई घंटे बैठे बातें करते रहे।उनका दाखिला हो गया था । रवि का कॉलेज में दूसरा और सिमर का तीसरा साल था। अभी कॉलेज खुलने में वक्त था ।रवि बरसात शुरू होने से पहले पहले अपना काम कर लेना चाहता था ।इस काम के लिए उसने और मजदूर भी लगाएं ।
कॉलेज खुल गए रवि की वही रूटीन रही सुबह कॉलेज जाता और दोपहर को वापस आता ।इस साल उसकेे सिर्फ तीन ही पीरियड थे। वह 2 घंटे पहले ही फ्री हो जाता था ।उसकी बस 2:30 बजे जाती थी पर वह 12:30 बजे ही फ्री हो जाता था। उसके पास कॉलेज में घूमने के लिए 2 घंटे होते थे। कलासे शुरू होते ही स्टूडेंट यूनियन के इलेक्शन डिक्लेअर कर दिए। रवि क्योंकि कॉलेज में काफी मशहूर था इसलिए कामरेड के विरोधी ग्रुप रवि को प्रधान का इलेक्शन लड़ाने की तजवीज रखी। लेकिन रवि ने समझाया के कॉलेज में उसका यह दूसरा ही साल है।
इसलिए इतनी जल्दी मुझे ऐसी जिम्मेवारी मत दें । कामरेडओं का ग्रुप काफी मजबूत था और वह पिछले कई सालों से यूनियन पर कब्जा जमाए हुए थे। उनको हराना इतना आसान नहीं था । पिछले साल दिए रवि के भाषण ने विद्यार्थियों में यह आस पैदा कर दी थी के कामरेड को भी हराया जा सकता है। रवि ने इलेक्शन लड़ने से इंकार कर दिया। पर उसके दोस्तों ने उस पर पूरी तरह दबाव बनाया और उसे इलेक्शन लड़ने के लिए तैयार कर लिया।यह बात सुनकर मनजीत और सिमर बहुत खुश हुई ।इलेक्शन के बारे में रवि ने अपनी मां को भी बताया उसमें भी रवि का हौसला बढ़ाया । मां ने कहा
“अगर सभी चाहते हैं तो तू इलेक्शन लड़”। रवि के दोस्तों ने रवि के लिए इलेक्शन कंप्लें शुरू कर दी। सिमर और मनजीत ने लड़कियों से वोट मांगे। इलेक्शन में एक हफ्ता बाकी था। रवि के दोस्तों द्वारा हर रोज रवि के लिए वोट मांगे जाते । रवि के विरोध में जो लड़का प्रधान के पद के लिए इलेक्शन लड़ रहा था वह M.A का विद्यार्थी था और पिछले 2 सालों से लगातार प्रधान बन रहा था।
रवि के लिए इलेक्शन जीतना इतना आसान नहीं था । पर उसका भाषण और पिछले साल की कारगुजारी उसके दो बड़े हथियार थे। रवि के भाषण ने हवा रवि की और कर दी । इलेक्शन के एक दिन पहले रवि के दोस्तों ने विद्यार्थियों के घर घर जाकर रवि के लिए वोट मांगे । इस बात का विद्यार्थियों पर बहुत असर हुआ और रवि 120 वोटों से इलेक्शन जीत गया ।रवि के दोस्तों ने उसे खुली जीप में खड़ा कर पूरे शहर में जुलूस निकाला सिमर , मनजीत और उसकी सहेलियां भी जुलूस में शामिल हुई। सिमर सबसे ज्यादा खुशी थी।वह अपने आप को कॉलेज की महारानी समझने लगी थी ।
बेटे की जीत पर रवि की मां भी बहुत खुशी थी। कॉलेज के विद्यार्थियों का प्रधान बनने से रवि की जिम्मेदारियां और बढ़ गई । उसने इलेक्शन में जो वादे किए थे उसे पूरा करवाना था । उसने सभी विद्यार्थियों की सलाह के साथ एक मांग पत्र बनाया। इस काम में उसने सिमर की भी मदद ली । मांग पत्र लेकर वह सीधा प्रिंसिपल के पास गया। प्रिंसिपल साहब ने मांग पत्र ले लिया और जल्दी ही उस पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया। कॉलेज मैनेजमेंट भी कामरेडों से खफा थी। कॉलेज मैनेजमेंट ने भी इलेक्शन में रवि की अंदर खाते मदद की थी।
कॉलेज मैनेजमेंट के पास अब समय था के रवि की बातें मान कर उसकी विद्यार्थियों में बल्ले बल्ले करवाएं ।और कामरेडों से बदला ले ।इसलिए मांग पत्र मिलते ही उस पर अमल शुरू हो गया। सभी क्लासरूम के खराब पंखे बदल दिए गए । कैंटीन के साथ एक कमरा था उसमें पुराना फर्नीचर रखा हुआ था। उसको खाली करवाया गया। उसका एक दरवाजा कैंटीन की तरफ निकाल दिया उसको वाइटवॉश करवा दिया और नहीं कुर्सियां मंगवा कर उसको लड़कियों के लिए बैठने की जगह बना दी ।
पीने के पानी के लिए दो नए वाटर कूलर आ गए एक लड़कियों के लिए और एक लड़कों के लिए ।पहले साइकिल स्टैंड पर शरारती लड़के लड़कियों के साइकिल की हवा निकाल देते थे इससे लड़कियों को बहुत परेशानी होती थी।अब साइकिल स्टैंड पर पक्के तौर एक चौकीदार बैठा दिया और इस परेशानी का हल हो गया। रवि द्वारा विद्यार्थियों के लिए करवाइए इन कामों की वजह से रवि की पूरे कॉलेज में बल्ले बल्ले हो गई। रवि और सिमर के प्यार के चर्चे भी कॉलेज में आम थे। रवि के सारे दोस्त सिमर को भाभी बुलाते थे।
मनजीत तो पहले ही सिमर को भाभी कहती थी। इस तरह दो महीने बीत गए ।फिर यूथ फेस्टिवल की तरीकों का ऐलान हो गया। इस बार यूथ फेस्टिवल किसी और कॉलेज में होना था ।अमनदीप सर और खुशप्रीत मैडम ने अपनी अपनी टीमें तैयार की। रवि ने इस बार फिर गिद्दे की टीम के लिए एक नई तब्दीली करने का सुझाव दिया। सभी को यह सुझाव बहुत पसंद आया। इस बार भी रवि गिद्दे की टीम का प्लेबैक सिंगर था। इस बार रवि ने एक नया नाटक तैयार किया । जो एक नौजवान विद्यार्थी लीडर की जिंदगी पर था ।
वह नौजवान विद्यार्थियों के हकों के लिए लड़ता है । उसकी इस लड़ाई में एक लड़की उसका साथ देती है और धीरे-धीरे वह लड़की उसे प्यार करने लग जाती है । लेकिन वह लीडर उसे समझाता है कि मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं कब मौत आ जाए। तू मेरे साथ अपनी जिंदगी बर्बाद मत कर। एक दिन वह विद्यार्थी लीडर पुलिस की गोली का शिकार हो जाता है। उसके हाथ में झंडा होता है ।गोली लगते ही वह जमीन पर गिरने लगता है तो उसके हाथ का झंडा लड़की पकड़ लेती है। और उसको वचन देती है के मौत के बाद भी यह लड़ाई जारी रहेगी।
इस नाटक के मुख्य पात्र के रोल में रवि था और लड़की के रोल में सिमर थी। इनकी रिहर्सल शुरू हो गई। रिहर्सल का टाइम इस बार भी रवि की बस के टाइम को देख कर ही रखा गया । कई दिन रिहर्सल हुई। रवि और सिमर ने अपने अपने रोल में जान डाल दी। इस बार सिमर ने अपना सारा ध्यान नाटक पर लगाया इसलिए गिद्दे की टीम की कप्तानी मनजीत को दे दी। सिमर ने इस बार सारा ध्यान नाटक पर लगा दिया क्योंकि नाटक में उसके साथ रवि था।ड्रेस रिहर्सल वाले दिन सिमर द्वारा बोले प्यार के एक एक डायलॉग पर सारा हाल तालियों से गूंज उठा।
रवि के मरने वाले सीन ने सारे हाल को रुला दिया। इस बार यूथ फेस्टिवल में फिर गिद्धा फर्स्ट आया ।रवि के नाटक को भी पहला स्थान मिला। एक और लड़के ने पेंटिंग मुकाबला जीतकर ओवरऑल ट्रॉफी इस बार फिर कॉलेज को दिला दी। नाटक और गिद्धा इस साल फिर यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल के लिए चुने गए ।रवि , सिमर और उसके साथियों की कारगुजारी से कॉलेज का नाम एक बार फिर सबसे ऊपर हो गया। कॉलेज के प्रिंसिपल तो इतना खुश हुए उन्होंने खुशी में एकदम कॉलेज में छुट्टी कर दी ।
अमनदीप सर और दिलप्रीत मैडम भी बहुत खुश थे ।सिमर ने अभी से यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल के सपने देखने शुरू कर दिए। नवंबर के महीने में यूथ फेस्टिवल की तारीख आ गई। फिर रिहर्सल शुरू हो गई। सिमर बहुत खुश थी अब वह सारा दिन रवि के साथ रिहर्सल करती ।धीरे धीरे यूथ फेस्टिवल की तारीखें पास आ गई। अमनदीप सर ने इस बार बड़ी बस किराए पर ली। रवि और सिमर इस बार भी एक ही सीट पर बैठ कर गए। इस बार वे यूनिवर्सिटी में ज्यादा नहीं घूम सकें। उनकी आइटम दोनों दिन थी।
मनोरंजन के लिए रवि ने स्टेज पर गाना गाया। उसकी सुरीली आवाज ने समा बांध दिया। इस साल फिर गिद्दे की टीम यूनिवर्सिटी में पहले स्थान पर रही ।रवि का नाटक भी फर्स्ट आया। जैसे ही वह अपने कॉलेज वापस आए उनका जोरदार स्वागत हुआ। प्रिंसिपल ने सभी मेंबर्स के साथ ग्रुप फोटो करवाई । रवि और सिमर प्रिंसिपल के साथ वाली कुर्सी पर बैठे। इस बार कॉलेज के मैगजीन में रवि और सिमर कि कई फोटोस लगने वाली थी। रवि अपनी कपास की फसल को संभालने और गेहूं की बुवाई के काम में व्यस्त हो गया।
उधर कॉलेज में कंडीशनर पेपर आ गए। यूनिवर्सिटी के रूल के चलते इन पेपरों के आधार पर ही रोल नंबर मिलने थे । एक और समस्या विद्यार्थियों के आगे आ खड़ी हुई । वह समस्या थी लेक्चर कम होने ।जिन विद्यार्थियों के लेक्चर कम थे उनकोभी रोल नंबर नहीं मिलने थे।पर रवि ने अपनी सूझबूझ से सभी विद्यार्थियों के लेक्चर पूरे करवा दिए। अब सभी को रोल नंबर मिलना था ।
फाइनल पेपर नजदीक आ गए। रवि और सिमर के बिछड़ने का वक्त आ गया । रवि ने इस साल भी साथ साथ अपनी फसल देखी और साथ-साथ पढ़ाई की । पेपरों में रवि सिमर से मिलता। पेपरों के बाद सिमर हर रोज रवि को चिट्ठी लिखती पर इस बार व्यस्त होने के कारण रवि ने ज्यादा चिट्ठियों के जवाब नहीं दिए। अब सभी को रिजल्ट का इंतजार था।
कहानी का बाक़ी हिस्सा अगले भाग मे
अधूरी प्रेम कहानी (भाग 5) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral
– लखविंदर सिंह संधू