टीना की माँ आखिरी सांसें गिन रही थी। सारा परिवार संग था, सबकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। माँ कभी बड़ी बेटी को पास बुलाती कभी छोटी बेटी और बहु को। बड़ी बेटी और दामाद माँ के पास ही बैठे थे। माँ सबसे वादा ले रही थी कि मेरे जाने के बाद सब मिलकर रहना।
सबसे ज्यादा फिक्र तो पतिदेव की हो रही थी, ज़िन्दगी में ये ऐसा समय होता है जब बच्चे अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो जाएं तो अपने साथी की ज़रूरत और साथ और ज़रूरी लगता है। ज़िन्दगी अच्छे से निकल जाती है। अभी – अभी छोटी बेटी की शादी हुई थी और बेटा हुआ था जो अभी सात महीने का था।
माँ आशा जानती थी कि मेरे जाने के बाद पतिदेव बहुत अकेले हो जाएंगे। ऊपर से सख्त बनने की कोशिश में आंखों की नमी को छुपाना नहीं आ रहा था उनको। अभी तो रिटायर हुए थे, सोचा था बच्चों की शादी करके दोनों दुनिया घुमेंगे। कभी किसी की पढ़ाई कभी कुछ काम, घर की ज़िम्मेदारी में अचानक आई बीमारी ने तो सबको हैरान कर दिया था।
बेटे की शादी को चार साल हो गए थे, एक बेटी भी थी। बड़ी बेटी के घर भी एक बेटी थी। माँ बहुत तकलीफ में थी पर फिर भी अपने बच्चों से दिल की बात कहना चाहती थी। बड़ी बेटी को पास बुलाकर कहा राधा देखना तेरे घर में एक बेटा ज़रूर होगा। तू अपनी गृहस्थी में सदा खुश रहना। फिर बेटे और बहु को पास बैठाकर बहुत समझाया, पापा का ध्यान रखना वो कम बोलते हैं।
देखना अब तुम्हारे घर भी एक प्यारा सा बेटा होगा। तुमने मेरी बहुत सेवा की है। अब बारी छोटी बेटी की थी, वो बेटे को गोद में उठाकर चुप करा रही थी पर ध्यान माँ की तरफ था जो अब हमेशा के लिए उन्हें छोड़ कर जा रही थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या होगा?
कोई कुछ बोल नहीं रहा था सब बस रो रहे थे। फिर माँ ने छोटी बेटी को प्यार से बुलाया निकी इधर आ… बेटा गोद में ही सो गया था। रोते रोते माँ की तरफ देखकर मानो सवाल पूछ रही हो आप हमें अकेले छोड़ कर क्यों जा रहे हो?? हम किसके पास आएंगे मायके?? माँ ने पूछा … तू क्यों रो रही है??
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निकी सिसक उठी… माँ हमारा अब कोई नहीं रहा?? हमें कौन प्यार करेगा??
माँ हंसते हुए बोली… तेरी भाभी बहुत अच्छी है, तुम दोनों से बहुत प्यार करेगी। फिर निकी बोली, माँ.. माँ ने कहा तुझे क्या चाहिए?? तेरा बेटा तेरी गोद में है। माँ का हाथ अपने सिर पर रख कर निकी रूआंसे स्वर में बोली माँ… मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस अपना हाथ आखिरी बार सिर पर रख दो मुझे आपका प्यार चाहिए। माँ ने बड़ी मुश्किल से अपना हाथ निकी के सिर पर रखा था।
अब धीरे- धीरे आंखें भी बंद हो रही थीं।आशा जी फिर पतिदेव की तरफ देखते हुए बोलीं, अबसे जब बेटियां घर आएंगी आपने दो बार सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देना है… अपना भी और मेरा भी। किसी को मेरी कमी महसूस नहीं होनी चाहिए। कहते- कहते माँ सबको छोड़ कर जा चुकी थी।
दिन बीतते गए। माँ तो नहीं रही थी पर माँ की कही बातें और यादें अब सबके साथ थीं। घर सूना सा तो लगता था पर ज़िन्दगी तो चलती रहती है, ये तो किसी के लिए नहीं थमती। सब अपनी ज़िन्दगी जी रहे थे। बड़ी बेटी और बहु के घर एक – एक बेटा हुआ था। जब बेटियां मायके आती तो पापा बेटियों के सचमुच दो बार सिर पर हाथ फेरते थे। छोटी बेटी माँ के प्यार को महसूस करती थी जो उसे लगता था सदा संग है।
भाभी ननदों को बहुत प्यार करती थी, उसे सासु माँ की समझाई हर बात याद थी। उसे लगता था सासु माँ कहीं न कहीं उसके साथ हैं और खुश होंगीं घर में प्यार को देखकर। माँ तो नहीं रहीं थीं पर उनका आशिर्वाद आज भी था। सारा घर साथ- साथ था। थोड़ी सी मुश्किल में सब भाई बहन एक हो जाते और एक दूजे का साथ देते।
कामनी गुप्ता***
जम्मू!