बहु मुझ पर ऐसे आरोप लगाकर मुझे जलील मत कर – बीना शर्मा   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रुक्मणी रात के समय लघुशंका करने के लिए बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ गई तो उसने देखा उसकी बहू मोनिका अपने कमरे में सोने की बजाय दरवाजे पर बैठकर किसी का इंतजार कर रही थी बहु को किसी का इंतजार करते देखकर रुक्मणी आश्चर्य से बोली” बहु तुम किसका इंतजार कर रही हो?

यह सुनकर मोनिका धीमी स्वर में बोली” अजय का इंतजार कर रही हूं अभी तक वह घर नहीं लौटा है कितनी बार समझाया है उसे की जल्दी से घर आ जाया कर परंतु, मेरी बात वह मानता नहीं है अपने दोस्तों के साथ बैठकर कहीं दारू पी रहा होगा।”

मोनिका की बात सुनकर रुक्मणी सन्न रह गई थी बेहद तेज तर्रार मोनिका उसके बेटे मानव की दुल्हन बनकर उसके घर आई तब मानव को लेकर वह अपनी सास को बेहद जलील करती थी उन्होंने मानव की बहुत अच्छी तरह से परवरिश की थी उसके गांव का माहौल अच्छा नहीं था शराब की खराब लत लगने के कारण गांव के कई लोग अपनी मेहनत की सारी कमाई शराब पीने में उड़ा देते थे

रुक्मणी और उनके पति राजीव को डर था की कहीं मानव भी उन लोगों की संगत में आकर शराब पीना शुरू न कर दे इसलिए उन्होंने उसे पढ़ने के लिए गांव से बहुत दूर शहर में एक हॉस्टल में भेज दिया था दिया था जिसमें पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उसे कपड़ों के व्यवसाय में लगा दिया था फिर विवाह योग्य होने पर मोनिका के साथ उन्होंने उसका विवाह कर दिया था बेटे की शादी करने के बाद वे खुशी-खुशी अपने जीवन के दिन बिता रहे थे और अपनी खुशहाल ग्रहस्थी को देखकर खुशी से फूले ना समाते थे कि ना जाने उनकी गृहस्थी को किसकी नजर लग गई।

रुक्मणी को एक दिन गहरा आघात लगा जब उन्होंने मानव को शराब के नशे में लड़खडाते हुए घर के अंदर आते हुए देखा तब उन्होंने मानव को बहुत समझाया परंतु , मानव उनकी बात मानने की बजाय गांव में रहने वाले उन दोस्तों के पास चला जाता था जो शराब पीने के आदी थे।मानव अपनी दिन भर की सारी कमाई शराब पर लुटा देता था देर रात को जब वह नशे में झूमता हुआ घर आता तब मोनिका मानव को समझाने की बजाय अपनी सास रुक्मणी को जलील करते हुए कहती”

तुमने अपने बेटे को अच्छे संस्कार नहीं दिए यदि तुमने अच्छी तरह से अपने बेटे की परवरिश की होती तो वह कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाता” मोनिका का अपने ऊपर ऐसा आरोप सुनकर रुक्मणी की आंखों से आंसू बहने लगते थे क्योंकि उन्होंने बहुत कोशिश की थी मानव को इन सब से दूर रखने की परंतु, फिर भी वह गलत संगत मे पड ही गया था

उन्होंने मोनिका से हाथ जोड़कर कहा” बहु मुझ पर ऐसे आरोप लगाकर मुझे जलील मत कर संसार की कोई माँ कभी नहीं चाहेगी कि उसका बेटा शराब के नशे में घर आए मैंने तो बहुत कोशिश की थी उसे ऐसे माहौल से दूर रखने की लेकिन फिर भी वह गलत संगत में पड़ ही गया” तब मोनिका उनकी बात सुनकर उपहास उडाते हुए कहती ” यह सब झूठी बात है आपने इन्हें अच्छे संस्कार नहीं दिए जब मेरे बच्चे होंगे तब मैं दिखाऊंगी आपको कि बच्चों को अच्छे संस्कार कैसे दिए जाते हैं?” मोनिका को अपना उपहास उड़ाते हुए देखकर रुक्मणी का हृदय दुख से छलनी हो जाता था।

उसी दौरान मोनिका गर्भवती हो गई थी जब कुछ समय बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उन्होंने बड़े प्यार से उसका नाम अजय रखा था अजय अभी 3 साल का ही था कि एक दिन दिल का दौरा पड़ने के कारण उसके पापा मानव की मौत हो गई थी बेटे की मौत के कारण राजीव को ऐसा सदमा लगा एक दिन जब वह खाना खाकर सोए तो फिर उठे ही नहीं और हमेशा के लिए अपने बेटे के पास चले गए पति और पुत्र के जाने के बाद रुक्मणी गहरे दुख के कारण अपने कमरे में ही कैद होकर रह गई थी

जिससे घर की सारी जिम्मेदारी मोनिका के सिर पर आ पड़ी थी उसने घर के काम के लिए एक नौकरानी रखकर अपने पति के व्यवसाय को खुद संभालने लगी और अजय को उसने शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में दाखिला कराने के बाद उस पर कड़ी निगरानी रखती थी ताकि वह गलत संगत में ना पड़े लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जब अजय ने कॉलेज में दाखिला लिया तो कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ ऐसे लड़के जो अपने घरवालों से छिपकर शराब सिगरेट का सेवन करते थे उनसे उसकी दोस्ती हो गई थी जिससे वह भी अपनी मम्मी से छिपकर शराब, सिगरेट का सेवन करने लगा था।

” मम्मी जी जल्दी से मेरा खाना लगा दो मुझे बहुत तेज भूख लगी है” अजय ने घर में घुसते ही अपनी मम्मी से कहा तो उसके मुख से उड़ती दुर्गंध देख कर रुक्मणी मोनिका से बोली ” बहु मैंने तो अपने बेटे को अच्छे संस्कार नहीं दिए परंतु, तुमने तो अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए थे फिर यह शराब, सिगरेट कैसे पीने लगा?

सास की बात सुनकर मोनिका शर्मिंदगी के कारण कुछ बोलना सकी थी क्योंकि आज उसे एहसास हो गया था कि बच्चे कि गलत संगत में पडने में मां का कोई दोष नहीं होता हर मां यही चाहती है कि उसका बच्चा कभी भी गलत संगत में ना पड़े और श्रेष्ठ इंसान बनकर अपना जीवन जिए ताकि मां को बेटे के गलत आचरण के कारण किसी के सामने जलील ना होना पड़े।

 बीना शर्मा

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