Moral Stories in Hindi : ये कहानी मेरे आस पास घटित हुई सच्ची घटना है। सदाकांत जी और उनका पुत्र अमित आज फिर उदास थे, क्योंकि उनके पास अदालत से सम्मन आया था जो किसी और ने नहीं बल्कि उनकी बहू रेवा ने भिजवाया था। सदाकांत जी बैठे बैठे अतीत में खो गए, उनका एक छोटा सा संसार था। वो,पत्नी सावित्री और एक मात्र पुत्र अमित। जैसा नाम वैसा जहीन,हर कक्षा में अव्वल।विज्ञान में क़ाफी रुचि थी उसे, और डॉक्टर बनना चाहता था।
सदाकांत जी के पास उतने पैसे न थे, तो बेटे को पढ़ाने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया,।किसी को पता चलने न दिया। अमित को एम बी बी एस करने के बाद रिसर्च करने के वास्ते छात्रवृत्ति मिल गई। प्रोफेसर अनिल के अंडर में रिसर्च करने लगा। प्रोफेसर को अमित अपनी बेटी रेवा के लिए हर तरह से सुयोग्य वर लगा तो उन्होंने सदाकांत जी से इस विषय में बात की। रेवा भी देखने में सुंदर और लॉ की विद्यार्थी थी। सदाकांत जी और सावित्री जी को इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं थी, इस तरह अमित और रेवा का विवाह हो गया।
विवाह के बाद कुछ दिन सही चला, थोड़े दिन बाद सावित्री जी एक दिन ब्रेन स्ट्रोक होने से चल बसी। कुछ ही दिनों में रेवा ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए।मेरा घर में रहना बहू को अब खल रहा था।उसके मित्र मेरे रहने से घर पर आते नहीं थे। उसने मेरे ख़िलाफ़ अमित के कान भरने शुरू कर दिए,मगर अमित ने उसकी एक बात भी नहीं मानी तो अब उसने शर्त रख दी कि या तो मेरे साथ रहो या अपने पिता जी के साथ।अमित ने किसी भी हाल में मुझे चुना।
बहू नाराज होकर अपने मायके चली गई और साथ में ले गई हमारी बरसों की इज्ज़त, क्योंकि एक दिन बहू ने ये इल्ज़ाम लगा दिया कि मेरी बुरी नज़र है उस पर,इसलिए ही उस ने मजबूरी घर छोड़ने का निर्णय लिया था। आज मुझे अदालत से सम्मन आया है कि मैं अपना पक्ष रखूं।मैं और मेरा बेटा समझ ही नहीं पा रहे है कि अब हमको क्या करना चाहिए।अपनी बेगुनाही कैसे साबित करें।तभी मेरा एक पुराना दोस्त रूपेश, जो की पेशे से वकील भी था, आ गया। हमने उसको सारी बात बताई तो उसने कहा,”मेरे पास है तुम्हारी बेगुनाही का सबूत और मैं इसलिए ही आया हूं। सदाकांत,तुमको याद होगा मैंने कुछ समय पहले तुमको फोन किया था और तुमने ये कहकर कि बाद में बात करूंगा,फोन रख दिया था।”
“हां, हां याद है,तो ?? सदाकांत जी बोले।
रूपेश ने कहा,”उस दिन फोन कटा नहीं था,इसलिए तुम्हारी और बहू की बातें मेरे फोन में रिकॉर्ड हो गई।वो जो भी तुमको धमकी दे रही थी,वो सब है मेरे पास।तुम चिंता मत करो,ये केस हम ही जीतेंगे। अगले दिन सदाकांत जी,अमित और रूपेश जी सबूत के साथ अदालत में पेश हुए और रूपेश ने दलीलों और सबूत के आधार पर सदाकांत जी को इस विपत्ति से बचा लिया। उसी समय अमित ने रेवा और उसके पिता पर मानहानि का मुकदमा और तलाक की अर्जी भी डाल दी।
“मगर इस घटना ने हमको जीवन का ये सबक सिखा दिया कि हर व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं होता और हर स्त्री उत्पीड़न के मामले में सदैव पुरुष ही दोषी नहीं होता ,पुरुष भी उत्पीड़न का शिकार हो सकते है।
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शफ़क रश्मि
लखनऊ उत्तर प्रदेश