सुख दुख के साथी – के कामेश्वरी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: रोहणी अपने पोते धृव को लेकर पार्क में आई थी । जैसे ही वे वहाँ पहुँचे वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर खेलने लगा था तो वह वहीं बेंच पर बैठकर उसे खेलते हुए देख रही थी । 

उसके पति एक बैंक में मैनेजर थे । उनकी मृत्यु के बाद वह अपने बेटे राकेश के साथ उसके घर में रहने आ गई थी । राकेश और बहू पूजा दोनों नौकरी करने चले जाते थे तो वह ही धृव की देखभाल करती है । पहले वे लोग उसे नैनी के पास छोड़कर जाते थे । राकेश और पूजा के ऑफिस से आने के बाद वह पोते को साथ लेकर पार्क में कुछ देर बैठकर चली जाती थी। यह उसकी दिनचर्या थी।

एक दिन ऐसे ही वह अपने ख़्यालों में खोई हुई थी तो उसे लगा कि कोई उसे घूर रहा है उसने पलट कर देखा तो एक वृद्ध पुरुष उसकी तरफ़ देख रहा था ।

हम सोचते हैं कि आँखें चार सिर्फ़ युवाओं को ही होती हैं लेकिन रोहणी और उस वृद्ध पुरुष की भी आँखें भी चार हुईं थीं ।

रोहणी ने जल्दी से अपनी नज़र पोते की तरफ़ घुमा ली। उसे बुलाया और जल्दी से वहाँ से निकल गई । दूसरे दिन पार्क नहीं आई तबियत ख़राब का बहाना बनाया । 

तीसरे दिन बेटे ने जबरदस्ती भेजा क्योंकि धृव बहुत रो रहा था । वह डरते हुए अपना सर झुकाकर पार्क के अंदर गई । धृव अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था वह वहीं बेंच पर आँखें मूँदकर बैठ गईं । उसी समय उसे लगा कोई उसे पुकार रहा है रोहणी!!

उसका दिल धक से रह गया था जानी पहचानी आवाज़ सुनकर ! उसने अपना सर उठाया और उस तरफ़ देखा जिस तरफ से उसे किसी ने पुकारा था । दो दिन पहले जिस बुजुर्ग को देखा था वही था । वह मुस्कुराते हुए रोहणी को देख रहा था । रोहणी को लगा कि इन्हें कहीं देखा है याद नहीं आ रहा था । वह उठकर रोहणी के पास आया तो उसके जेहन में एक धुंधली सी तस्वीर आई जब ध्यान से देखा तो राजीव है इतने सालों बाद फिर से सामने खड़ा था उसे याद आया था कि उसे देखने के लिए आया हुआ पहला रिश्ता राजीव ही है । 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बुजुर्ग दरख़्त – मनप्रीत मखीजा

वह यादों के बवंडर में खो गई थी । उस दिन कॉलेज जाते समय माँ ने कहा था कि रोहणी आज जल्दी घर आना तुम्हें देखने लड़के वाले आ रहे हैं । उसने कॉलेज में अभी ही दाख़िला लिया था इस शर्त पर कि जब भी अच्छा रिश्ता मिलेगा बिना ना नुकुर किए शादी के लिए हाँ कहना है । रोहणी ने सोचा ठीक है जब की तब सोचेंगे । उसने नहीं सोचा था कि वह दिन इतनी जल्दी आ जाएगा । खैर !! उसे पिताजी ने कॉलेज जाने से मना कर दिया था इसलिए वह घर पर ही रह गई थी । राजीव अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था । उनका खुद का छोटा सा बिज़नस था । उन दोनों ने एक दूसरे को देखा कहते हैं ना कि पहली नज़र का प्यार !!!

उसे आज भी याद है उन दोनों ने एक-दूसरे को पसंद कर लिया था शादी भी तय हो गई थी लेकिन राजीव के पिता की दहेज की भूख से घबराकर पिताजी ने रिश्ता तोड़ दिया था । 

 

उस दिन के बाद पिताजी ने सख़्ती से कह दिया था कि उस रिश्ते के बारे में बातें नहीं होंगी । उसका कॉलेज छुड़वा दिया गया और एक महीने में उसकी शादी तय करा दी गई । 

आज अचानक उसे सामने देख कर पुरानी बातें याद आ गई थी ।

राजीव ने बताया कि पिताजी तुम्हारे रिश्ते के टूटने के बाद बहुत ही ग़ुस्से में आकर मेरी शादी एक मेंटली रिटायर्ड लड़की से करा दिया जो बहुत सारा दहेज लेकर आई थी । 

उस बेचारी की तो कोई गलती नहीं थी । मैंने उसे प्यार से ही अपनी ज़िंदगी में जगह दी किंतु शादी के कुछ सालों में ही वह गुजर गई । हमारे बच्चे भी नहीं हैं । माता-पिता ने बहुत दबाव दिया था फिर से शादी करने के लिए परंतु मेरा दिल अब शादी के लिए तैयार नहीं है । माता-पिता की मृत्यु हो गई है । मैं अकेला ही रहता हूँ पैसा बहुत है ना कहते हुए हँसने लगा । 

वैसे मेरे घर में ही जिम है इसलिए मैं घर पर ही व्यायाम कर लेता हूँ । शायद ईश्वर की इच्छा थी तुमसे मुलाक़ात की इसलिए मैं परसों पहली बार वॉक पर आया था और तुम्हें देखते ही पहचान गया था। तुम्हारे साथ बात करने के लिए वहाँ आया था और तुम तो ऐसे डर गई थी कि दूसरे दिन आई ही नहीं आज आई तो मैंने सोचा देर नहीं करना चाहिए सीधे आकर बात कर लेता हूँ । 

रोहणी का डर ख़त्म हो गया था। उसने भी अपने बारे में बताया था । तुम्हारा रिश्ता तोड़ने के बाद पिताजी ने एक बैंक में काम करने वाले रोहन से मेरा रिश्ता तय कर दिया था । मेरे पिताजी इस बात पर ग़ुस्सा थे कि शादी तय होने के बाद तुम्हारे पिता ने दहेज की माँग की थी । मुझे कुछ भी बोलने का मौक़ा नहीं दिया और कहा कि मैं यह शादी नहीं करूँगी तो वे माँ के साथ आत्म हत्या कर लेंगे । मुझे हाँ कहना पड़ा पर रोहन बहुत ही अच्छे थे । मेरे पति को गुजरे हुए पाँच साल हो गए हैं । मैं अकेली ही रहती थी । दो साल पहले बेटा जबरन मुझे यहाँ लेकर आया था कि पोते को आपकी ज़रूरत है । 

रोहणी ने यह भी बताया था कि बेटा बहू नौकरी पर चले जाते हैं तो वह पोते की देखभाल करती है । 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

जब विश्वास टूटता है तो बहुत दर्द होता है – सविता गोयल 

अब रोज ही दोनों की मुलाक़ात होने लगी । रोहणी भी शाम का इंतज़ार करती थी । वह धीरे धीरे अच्छे से तैयार भी होने लगी थी । उसकी इन हरकतों पर बहू की नजर पड़ी । उसने अपने पति को बताया कि मुझे तुम्हारी माँ पर शक हो रहा है । पहले पार्क में ना जाने के बहाने ढूँढतीं थी आजकल हमारे आने का इंतज़ार करतीं हैं । लगता है वहाँ उन्हें कोई मिल गया है । राकेश ने पूजा को डाँट दिया तो बात आई गई हो गई थी । 

धृव के स्कूल में विंटर की छुट्टियाँ थीं तो राकेश पूजा उसे लेकर नैनीताल घूमने चले गए थे । रोहणी अकेली हो गई थी । वह धृव के ना रहने पर भी पार्क जाने लगी थी । 

राकेश के जाने के बाद तीसरे दिन सुबह वह पलंग से उठ नहीं पा रही थी। उसे बहुत तेज बुख़ार हो गया था । राजीव ने देखा रोहणी आई नहीं है तो उसे लगा कि बेटा बहू भी नहीं हैं एक बार देख लेता हूँ सोच उनके घर जाता है और रोहणी को बुख़ार से तपते हुए देख डॉक्टर के पास ले जाता है । 

अधिक बुख़ार के कारण रोहणी बेहोश हो गई थी । राजीव उसे अपने घर ले गया । वहाँ नौकर चाकर हैं और उसका डॉक्टर दोस्त आकर रोहणी को देख लेगा । रोहणी को ठीक होने में दो दिन लगे । जब उसे होश आया तो उसने अपने आप को राजीव के घर में पाया । उसने राजीव को धन्यवाद दिया और कहा कि उसे घर पहुँचा दे क्योंकि बेटा आ जाएगा । 

राजीव उसे लेकर घर पहुँचा तो ऑलरेडी बेटा बहू आ चुके थे । राजीव के साथ माँ को देखने के बाद उसे पूजा की बातें याद आई । पूजा भी बाहर आ गई थी । उसने राजीव की तरफ़ मुड़कर कहा देखा मैंने कहा था न कि तुम्हारी माँ का कुछ चक्कर चल रहा है तुमने नहीं सुना था । अब देख लो हम एक दिन पहले आ गए तो यह पकड़ में आ गई वरना सती सावित्री के समान हमारे आने के पहले घर में आ जाती थी । राजीव को उनकी बातों से बहुत बुरा लगा । उसने कहा एक बार माँ की बात तो सुनलो । दोनों ने बात सुनी नहीं और माँ की अटैची लाकर उसके मुँह पर फेंक दिया और कहा कि जहाँ से आई हो वहीं चली जाओ कहते हुए दरवाज़ा मुँह पर बंद कर दिया था । 

रोहणी बीमारी से ग्रस्त थी ऊपर से बेटा बहू की जली कटी बातें सुनकर बेहोश हो गई थी । राजीव उसे अपने घर वापस ले आया । आसपास रिश्तेदारी में रोहणी की थू थू होने लगी इन सबमें सबसे बड़ा हाथ बहू का ही था । 

एक दिन बेटे को लगा मैंने सुनी सुनाई बातें सुनकर माँ पर आरोप लगाया है एक बार मुझे माँ को भी अपनी बात रखने का मौक़ा देना चाहिए ऐसा सोचकर वह माँ के पास गया । 

बेल बजाने ही वाला था कि उसे माँ की बातें सुनाई दी । माँ कह रही थी राजीव उस दिन तुमने मेरी जान नहीं बचाई होती तो अच्छा था घर में कोई नहीं था और मैं बेहोश हो गई थी तुम काम वाली बाई की बात सुनकर मुझे अपने घर नहीं लाते तो अच्छा था।  मैं अब किसके लिए जियूँ बच्चों ने मेरी एक नहीं सुनी । राजीव ने कहा देख रोहणी हम एक दूसरे को पहले से ही जानते हैं और इस उम्र में हम दोनों दोस्त बनकर एक दूसरे के सुख दुख के साथी बनकर नहीं रह सकते हैं क्या?

मेरे घर में भी कोई नहीं है मैं अकेला रहता हूँ तुम भी तो अकेले रहती हो हम एक दूसरे का सहारा बने तो क्या होगा बोलो । बच्चे बिन ब्याह किए लीविंग रिलेशन में रहते हैं तो कोई बात नहीं है किसी को एतराज़ नहीं है पर हम बुजुर्ग एक-दूसरे का सहारा बनना चाहते हैं तो सबको तकलीफ़ वाहह रे दुनिया!!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

बंद दरवाजा – मधु वशिष्ठ  

राकेश ने उन दोनों की बातें सुनी उसे भी सही लगा । उसने डोर बेल बजाई तो राजीव ने ही दरवाज़ा खोला।  राकेश ने अंदर आकर कहा आप दोनों की बातें मैंने सुन लिया है मैं आप दोनों से क्षमा चाहता हूँ । आप दोनों साथ रहिए माँ मैं आप दोनों के साथ हूँ आपके सुख दुख का मैं भी हिस्सा बनता हूँ । 

रोहणी ने उन दोनों का क्या रिश्ता है बताया उनकी बातों को सुनकर उसका सर शर्म से झुक गया। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था 

दोनों से विदा ले कर घर वापस आ गया और पूजा को भी सारी बातें बताई पूजा को भी बुरा लगा और मन ही मन उसने भी उनका साथ देने का वादा अपने आप से कर लिया था । 

दोस्तों लड़का लड़की दोस्त नहीं हो सकते हैं हमारी सोच है । एक बुज़ुर्ग महिला और पुरुष भी दोस्त नहीं हो सकते हैं क्या ? 

स्वरचित

के कामेश्वरी 

साप्ताहिक विषय— “ #सुख दुख “

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!