बस थोड़ सा वक़्त – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

गायत्री निवास में रहने वाली गायत्री देवी को भगवान ने सभी सुखों से नवाज़ा हुआ था..उनका एकलौता बेटा रजत अपने काम मे अतिव्यस्त रहता था ..बहू रोहिणी भी नौकरी करती ….उनके दो पोते मंयक , मानस और दो पोती मानसी और मेघा अपने कालेज में व्यस्त रहते।पैसो की घर में कोई कमी नहीं थी।गायत्री जी को उनके बेटे ने सब कुछ दे रखा था।वो अपना ज्यादा वक्त मोबाइल और टीवी देखने मे व्यतीत करती थीं ।

सब कुछ तो था उनके पास पर वो खुशी नहीं …वो ख़ुशी जो वो खोज रही थी।एक दिन मंयक अपने भाई को बोला,” भाई हम जब भी बाहर मूवी और होटल जाते दादी बहुत गौर से हमें देखती।पापा मम्मी तो आफिस की पार्टी में अकसर अकेले चले ही जाते है।वो मुझे कई बार बोली,”छोटे मुझे भी ले चल किसी दिन होटल।”

आज हमलोगों को बातें करते सुनी तब से बोल रही ,“मुझे भी ले चलो।”

हम क्या करें….मानस और मानसी दोनों ने बोला ,“चलो आज दादी को भी लेकर चलते हैं।”

पिछली बार हमारा बिल ज्यादा आया था हम चारों के खाने का अब अगर दादी को भी लेकर जायेगे तो हमारे पाकेटमनी से सब का होना मुश्किल होगा।मयंक ने सुझाव दिया कि इस बार हम महँगे आर्डर नहीं करेंगे और इस बार हम कम चीजें आर्डर करेगे तो हम पाँच लोगों का हो जायेगा।सबने अपनी पाकेटमनी का हिसाब किया फिर दादी को बोलने गये।

चारो दादी के कमरे में गये और बोले,”दादी आज हम बाहर लंच करेगे,तुम चलोगी हमारे साथ? ”

दादी के मन की बात हो रही थी वो खुशी- खुशी बोली,” तुम ले चलोगे …तो क्यो नही चलूगी।”

बच्चों ने उनसे बोला ,“आप तैयार हो जाओ,हम भी तैयार हो कर आपको लेने आते हैं ।”

इस कहानी को भी पढ़ें: 

काश मैंने बेटे की जगह पति और पिता बनकर फैसला लिया होता!! – संगीता अग्रवाल  



आज गायत्री देवी ने अपना पसंदीदा सलवार सूट पहना…अपने आपको अच्छे से संवारा…नया चश्मा और नयी चप्पल पहन कर तैयार हो गयी।

बच्चो ने जब दादी को देखा तो बोलने लगे,” वाह दादी आज तो तुम बहुत प्यारी लग रही हो।क्या बात है ऐसा लग रहा जैसे किसी को मिलने जा रही हो” कह कर बच्चे दादी को छेड़ने लगे।

गायत्री देवी बस शर्माकर रह गई ।

होटल में आकर सब एक अच्छी जगह चुनकर बैठ गये।कुछ देर सब क्या आर्डर करे सोचने लगे।

थोड़ी देर बाद वेटर आया और बोला,” आर्डर प्लीज ।”

मंयक अभी आर्डर देने ही वाला था तभी दादी बोली ,“आज तो आर्डर मैं करूँगी….मैं आज अपने बच्चों के साथ जो आई हूँ।

दादी आर्डर देने लगी- बटर नान, मिस्सी रोटी, शाही पनीर,मटर मशरूम,दाल मक्खनी ,मलाई कोफ्ता,सलाद और रायता। वेटर आर्डर फिर से दोहरा कर जाने लगा तभी दादी बोली,” पहले पाँच वेज सूप दे जाओ।”

बच्चे आपस में एक दूसरे का मुँह देखने लगे।

थोड़ी देर बाद वेटर सूप और फिर खाना ले आया।टेस्टी खाना खाने के बाद वेटर फिर आया और बोला,” सर,

डिˈज़ट् में कुछ लेंगे?

बच्चे ना बोलते उससे पहले दादी बोल दी,”पाँच चॉकलेट ब्राउनी।” बच्चे पहले तो ये नाम दादी के मुँह से सुन कर आश्चर्यचकित हुये, उधर पैसो की कमी से परेशान।दादी को मना भी नहीं कर सकते थे।पहली बार वो साथ जो आई थी।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

मोहल्ले वाला प्यार – बरखा शुक्ला 



जब सबने डिˈज़ट् ले लिया तो वेटर बिल ले आया।मंयक जैसे ही बिल की ओर हाथ बढाता बिल दादी के हाथों में चला गया। वो मुसकुराते हुए बोली,”आज का लंच दादी की तरफ से।” दादी ने बिल के पैसे दिये और सब घर आ गये।

घर आकर दादी चारों बच्चो को पास बुलाकर बहुत स्नेह और आशीर्वाद देते हुए बोली,” धन्यवाद मेरे बच्चों मुझे अपना कीमती समय देने के लिए।”

बच्चे आश्चर्य से एक दूसरे को देखने लगे। मंयक ने बोला,” दादी आप ऐसे क्यो बोल रही हो?”

गायत्री देवी भराये स्वर में बोली,”बच्चो मुझे तुम सब होटल लेकर गये, तुमलोगों ने जो वक्त मुझे दिया,मुझे बहुत खुशी हुई ,घर में मोबाइल फोन और टीवी देखकर अपने कमरे में बोर हो जाती हूँ। मुझे कुछ नहीं बस तुमलोगों का थोड़ा सा वक़्त चाहिए।दादी को दे सकोगे अपना वक़्त ?”

चारों बच्चे एक साथ दादी के गले लग कर बोले,”हाँ, दादी….क्यो नही…मंयक ने दादी को किस किया और बोला,”हम प्रॉमिस करते है दादी अब महिने में एक बार मूवी भी साथ जायेंगे और होटल में खाना भी खायेंगे।हम प्रतिदिन तुम्हारे कमरे में आकर गप्पें मारेंगे।हमें माफ कर दो दादी हम भूल गए कि आपको भी हमारी तरह सबका साथ चाहिए।”

गायत्री देवी आज बहुत खुश हुई। जो वक्त उनके बेटे बहू न दे पाये वो आज बच्चों ने उन्हें दे दिया ।अनजाने में बच्चो ने यह महसूस कर लिया कि दादी की खुशी हमारे साथ में है,जैसे हम सबके साथ खुश होते दादी को भी आज वो खुशी मिली।अब हम सब उनको अकेले नहीं रहने देंगे।

आज के अति व्यस्त दिनचर्या में हम अपने घर के बुजुर्गों के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं।हम क्यो भूल जाते हैं कि जब हमें उनकी जरूरत थी वो एक पैर पर खड़े होकर हमारे साथ रहते थे, आज जब उनको हमारी जरूरत हम अपने पैर पीछे खींच रहे।कल अगर हमारे बच्चे ऐसा करेंगे तो हमें कैसा लगेगा?इसलिए अपने कल को खुशहाल बनाने के लिए हमें अपने घर के बुजुर्गों को खुश रखना बहुत जरूरी है।

आपको मेरी रचना पसंद आये तो कृपया उसे लाइक करे ,कमेंट्स करें ।

धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

error: Content is Copyright protected !!