Moral stories in hindi: राजकमल जी के घर में मेहमानों का आना जाना शुरू हो गया और हो भी क्यों नहीं उनके इकलौते बेटे की जो शादी थी पूरे गांव मोहल्ले में खबर फैल गई थी कि राजकमल जी बेटे का विवाह दहेज मुक्त कर रहे हैं, और बहु भी बहुत पढ़ी-लिखी ले कर आ रहें हैं।
गांव वाले अरे राजकमल जी बधाई हो आपको बहू पढ़ी-लिखी आ रही है, आपके तो भाग्य खुल गए ।
राजकमल जी – हां हां बस मेरा तो यही सोच है दहेज लेकर क्या होगा,पढ़ी-लिखी रहेंगी तो अपना भी और परिवार के लिए भी सही सोचेगी ।
गांव वाले – राजकमल जी बहुत खुशी की बात है आप जैसा सोच हर किसी का होना चाहिए ।
शादी बड़े ही धूमधाम से हो गई , और राजकमल जी की बहू भी ससुराल में आ गई ।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा, कुछ समय बाद राजकमल जी अस्वस्थ हो गए ।
और उनकी बहू ने भी रंग दिखाना शुरू कर दिया , बस हर बात में मैं पढ़ी-लिखी हूं मैं पढ़ी-लिखी हूं मैं घर का काम नहीं करूंगी, मैंने क्या इसी दिन के लिए इतनी पढ़ाई कि हैं ।
राजकमल जी – कोई बात नहीं बेटा कामवाली आ जाएगी ।
राजकमल जी- बार-बार बातों को संभालने में लगे रहते थे ……..कोई बात नहीं बहू अगर आपको काम नहीं करना है ,तो आप नौकरी कर लो मैं और आपकी मम्मी घर का काम कर लेंगी ।
बहू – मुझे क्या करना है और क्या नहीं यह मैं खुद तय करूंगी , मेरी भी जिंदगी है मेरा भी शरीर है मैं अपनी जिंदगी यू आप लोगों के साथ बर्बाद नहीं कर सकती फिर मेरा पढ़ने लिखने का क्या फायदा…….
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राजकमल जी- बेटा अच्छी बात है आप पढ़ी लिखी हो तो पढ़े लिखे वाला ही काम करो , नहीं करना है तो मत करो कोई जबरदस्ती नहीं है ।
राजकमल जी की पत्नी को यह सब देखा नहीं गया , अपनी बहू को बोलते हुए बस करो रागिनी तुम्हें जैसे जीना है अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जियो ।
रागिनी – आप लोगों की वजह से मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई , ना कहीं घूमने जाना, ना ही कुछ खाना ।
राजकमल जी की पत्नी-रागिनी तुम्हें जैसी जिंदगी जीना है तुम जी सकती हो लेकिन अब बस करो हम लोगों को मत रुलाओ तुम्हारे पापा बीमार है तुम्हें नहीं करना है तो मत करो कुछ भी मत करो तुम खाना भी मत बनाओ तुम पढ़ी लिखी हो , लेकिन पढ़ी-लिखी वाला कोई संस्कार नहीं है ।
रागिनी- मुझे ये संस्कार की बातें ना सिखाएं , मुझे क्या करना है और क्या नहीं यह मैं खूब जानती हूं , आप जैसे लोग जो मेरी जिंदगी में आकर जिंदगी बर्बाद कर दिए हैं ।
राजकमल जी – रागिनी बस……… अब और नहीं हम तुम्हारी बदतमीजी बर्दाश्त करेंगे ।
रागिनी – मैं बोलूं तो बदतमीजी और आप लोग बोलो तो वह बदतमीजी नहीं है आप लोग भी बदतमीज है बदतमीज ।
राजकमल जी – रागिनी बस अब मेरा हाथ उठ जाएगा ।
रागिनी – अच्छा तो अब आप मुझे मारेंगे ….मारिए मारिए ना मुझे मारिए मारकर को दिखाइए ।
राजकमल जी -रागिनी मैं इतना बीमार हूं , और तुम एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचती हो और न पूछती हो । अगर तुम्हारे पिता बीमार होते तो क्या तुम ऐसे ही उन्हें भी छोड़ देती ।
रागिनी- बस पापा बस मेरे पिता का नाम ना ले …. वह क्यों बीमार पड़ेंगे आप लोग बीमार परोगे ।
राजकमल जी की पत्नी – बस रागिनी इतनी बेजती मत करो, क्या तुम्हारी मां ने यही सिखाया है तुम्हें । धोखा दिया है तुम्हारे मां बाप ने ।
रागिनी- धोखा तो मुझे मिला है आप जैसे बीमार के साथ मेरे माता पिता ने मुझे बांध दिया ।
राजकमल जी की पत्नी की आंखें भर जाती है …..राजकमल जी से क्या सोच कर के हमने यह शादी की और हमें क्या मिला यह जब से आई है इस घर में तब से बस रोना ही रोना हो गया है।
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राजकमल जी अपनी पत्नी को लेकर के वहां से बाहर चले जाते है…..
रागिनी – अच्छा है मुझे थोड़ी देर शांति मिलेगी ।
राजकमल जी अपनी पत्नी को समझाते हुए यह सब किस्मत का खेल होता है …..
लेकिन तुम चिंता मत करो अब इसकी मनमानी इतनी नहीं चलेगी , सब कुछ तो छोड़ दिया क्या अब हम दोनों जीना भी छोड़ दे ।
राजकमल जी की पत्नी – नहीं नहीं आप ऐसा मत बोलिए, कैसे-कैसे करके हमने बेटे को पढ़ाया है, क्या यही दिन देखने के लिए , अब एक भी आंसू ना आपके आंखों से गिरने दूंगी ना अपने आंखों से वह जैसे घर में रहेगी उसे हम रहने देते हैं , और मुझसे जितना होगा , मैं खुद ही करूंगी । लेकिन आपको परेशान और रोने नहीं दूंगी । अब जो किस्मत में लिखा था वह तो हो गया , हम कुछ नहीं कर सकते लोग समाज हमें ही बुरा भला कहेंगे कि हमने किसी से नहीं पूछा और पढ़ी-लिखी देख कर के अपने बेटे का विवाह कर दिया ।
वहां से राजकमल जी और उनकी पत्नी वापस घर चली जाती है । घर पर रागिनी के स्वभाव में भी परिवर्तन था जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।
कामिनी मिश्रा कनक
#आँसू