“देख छोटे एक बार फिर से सोच ले”
ना तो वो हमारी हैसियत के लोग है और ना ही उनका समाज में हमारे जैसा रुतबा… अमीरी के दंभ में किशनलाल अपने छोटे भाई दिलीप से बोले…
तेरी बेटी है तो फैसला भी तुझे ही लेना है लेकिन मुझे छोटी सी कॉलोनी का ना तो उनका घर और ना ही प्रेक्टिस कर रहा लड़का पसंद आया….
इतना साधारण रहन सहन है उनका, मुझे तो जमे नहीं आगे तेरी मर्जी…
छोटे भाई को अपनी सलाह देकर किशनलाल ने अपनी अस्वीकृति दे दी…. बाप दादा की करोड़ों की जमीन के वारिस है दोनों भाई किशनलाल और दिलीप जी…
खुद तो अधिक पढ़ लिख नहीं पाए लेकिन छोटे भाई दिलीप का सपना हमेशा अपनो बच्चों को उच्च शिक्षित करना रहा है, उनके दोनों बेटों ने भी उच्च शिक्षा के साथ अपना अपना व्यापार भी शुरू कर दिया और उनकी बेटी भी कॉलेज कर चुकी है..
उसी के लिए किसी ने शहर के एक नामी, बेहद ईमानदार वकील के बेटे के लिए रिश्ता बताया था… लड़का साधारण रंग रूप का बेहद विनम्र और सभ्य लगा, वही दिलीप जी को लड़के के पिता के साथ लड़के की मां का स्वभाव भी मन को छू गया और एक पिता की नजरों में उनकी बेटी के लिए इससे बेहतर कोई दूसरा घर नहीं हो सकता था….
बड़े भाई ने तो मिडिल क्लास घर, लड़का और परिवार देखकर साफ मना कर दिया, लेकिन दिलीप जी अपनी बात पर अड़ गए और बेटी की शादी बड़ी धूम धाम से उसी घर में कर दी….
शादी के बाद पहली बार जब बेटी अपने पीहर आई तो उसके ताऊ किशनलाल, ताइजी उनके दोनों बेटे और बहुएं मजाक उड़ाने के उद्देश्य से छोटे भाई के घर पहुंचे… वहा और भी मेहमान पहले से ही मौजूद थे और सभी ससुराल से मिले गहने और कपड़े देख रहे थे .. किसी ने तारीफ की तो किसी ने मुंह बनाया…
इस कहानी को भी पढ़ें:
“वो फिर नहीं आई” – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi
ताई जी और उनकी दोनों बहुओं ने भी सुंदर मगर हल्के गहनों को देख मुंह बिचकाया और बोली कौन पहनता है इतने हल्के गहने,…
आजकल तो हीरे और कुंदन के गहने चलते है, मैने भी अपनी बहुओं पर लाखों के गहने चढ़ाएं थे.. ताई जी घमंड से बोली.. वही ताऊ जी भी ये बात सुनकर अपनी मूछों पर ताव देने लगे… तभी बिटिया अंदर से कुछ लेकर आई और बोली..
“अरे ताई जी सबसे कीमती गहना तो दिखाना ही भूल गई आपको, ये देखिए मेरी सास द्वारा दिया अनमोल उपहार”… अब तो अन्य मेहमानों के साथ ताऊ जी , ताई जी के साथ दिलीप जी भी उतावले थे की आखिर ऐसा क्या अनमोल उपहार मिला है उनकी बेटी को जो वह इतनी खुश है….
लॉ कॉलेज में एडमिशन के पेपर दिखाते हुए बिटिया बोली, मेरा वकील बनने का सपना जब मेरी सास को पता चला तो उन्होंने मेरा एडमिशन करा दिया है और साथ ही मेरे ससुर जी और पति ने अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया है… मेरे सपनों को अहमियत देने वाले परिवार के सामने हीरे, मोती और गहनों की कोई कीमत ही नहीं है..
तिजोरी में बंद रहने वाले, बाहरी चमक बिखेरने वाले गहनों
की कीमत शिक्षा रूपी रत्न के सामने कौड़ी के समान है
और अपने पिता दिलीप जी के गले लगकर बोली
“इतना प्यारा परिवार देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद पापा”
गहनों से लदी, सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया की जगह आपने तो मुझे उड़ने के लिए पूरा आसमान ही दे दिया…
दिलीप जी की छाती अपने सही फैसले से चौड़ी हो गई थी कहते भी है की “जिसकी बेटी सुखी उसका जीवन सुखी”
स्वरचित, मौलिक रचना
#घमंड
कविता भड़ाना