मेरा गुरूर है मेरा पति-मुकेश कुमार

तन्मय और राधा एक ही  सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर थे दोनों साथ ही  जॉब करते थे इसलिए आपस में एक दूसरे से काफी क्लोज हो गए थे।  समय के साथ वह दोनों कब एक दूसरे को दिल दे बैठे यह उन्हें खुद भी नहीं पता चला।  धीरे-धीरे यह बात शादी तक पहुंच गई।

तन्मय अपने मां बाबूजी से राधा के बारे में बात की तन्मय की माँ  इस रिश्ते के लिए राजी नहीं थी उनकी नजर में लव मैरिज ज्यादा दिन टिकता नहीं है कुछ दिनों के बाद अक्सर  आपस में लड़ाई होने लगती है और फिर ऐसे रिश्ते की अंत तलाक के साथ होता है।

लेकिन तन्मय के पापा इसके विरोध में थे उन्होंने तन्मय की मां को समझाया जरूरी नहीं कि हमारे बेटे और बहू भी ऐसा ही करें और फिर दोनों एक ही ऑफिस में जॉब करते हैं दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं। मेरे ख्याल से तो इन दोनों के शादी को हम दोनों की तरफ से हां कह देना चाहिए।

तन्मय की मां बोली कि जब बाप बेटे को यह रिश्ता पसंद है तो मैं कौन होती हूं रोकने वाली।  तन्मय और राधा की शादी बहुत धूमधाम से हुई। लेकिन बहू कोई दहेज लेकर नहीं आई इस वजह से तन्मय की मां अब अक्सर राधा से नाराज रहती थी और बात बात पर उसे ताने मारने से नहीं हिचकती थी।  आजकल की लड़कियां बहुत चालू हो गई हैं अच्छे लड़के दिखे नहीं की बस लाइन मारना शुरू कर दो वह सोचती हैं कि चलो इसी बहाने बाप का खर्चा तो बचेगा।



तन्मय ने राधा को बोल दिया था कि वह मां की बातों को ज्यादा ध्यान ना दें और उसे इग्नोर कर के  ही चले। राधा को घर में रहना ही कितना देर होता था तो वह दोनों साथ ही ऑफिस जाते थे और साथ ही ऑफिस से घर आते थे। जब राधा और तन्मय ऑफिस चले जाते थे तो राधा की सास यानि तन्मय की मां अपने पति से दिनभर राधा की शिकायत करती रहती थी कि बड़ा सपोर्ट किए थे अपने बेटे का देख लिए कैसे बहू घर लेकर आए हो।

हमें कहीं से भी यह महसूस होता है कि हमने अपने बेटे की शादी करी  है। एक दिन भी बहू का सुख मिलता है सब कुछ जब हमें खुद ही करना है तो फिर हमें बेटे पैदा करने का क्या फायदा।  तन्मय के पापा ने हंसते हुए कहा भाग्यवान क्या तुमने तन्मय को इसलिए जन्म दिया था कि बचपन मे जो सेवा की हो उसका बदला तन्मय की वाइफ से वापस लोगी।  तन्मय की मां ने कहा हटो जी आप तो हमेशा मजाक ही करते रहते हो। वर्मा जी की बहू ही देख लीजिए दिनभर कितना काम करती है वर्मा जी जब भी मिलते हैं अपनी बहू की बड़ाई करते हुए नहीं थकते हैं ।

मेरे से भी पूछते हैं कि आपकी बहू कैसी है अब मैं क्या कहूँ ना चाहते हुए भी झूठ मूठ का ही बोलना पड़ता है कि मेरी बहू तो बहुत ज्यादा ही अच्छी है दिन में जॉब भी जाती है शाम को आती है तो खाना भी बनाती है और हम सबकी इतनी सेवा करती है कि भगवान करे सब को ऐसे ही बहू मिले। तन्मय के पापा हँसने लगते हैं।  

शादी  के 6 महीने के बाद राधा मां  बनने वाली थीं डॉक्टर ने कुछ दिनों के बाद ही कोई भारी काम करने से मना कर दिया था क्योंकि ऑफिस में काम करने के लिए चेयर पर बैठना जरूरी था और डॉक्टर ने लंबे समय तक बैठने के लिए मना कर दिया था।



इस वजह से राधा ने अपने ऑफिस से मैटरनिटी लीव लेकर घर आ गई थी। तन्मय अपनी पत्नी राधा से बहुत प्यार करता था।  वह नहीं चाहता था कि किसी भी वजह से राधा और उसके बच्चे को कोई नुकसान या परेशानी हो हर कदम पर अपनी पत्नी का साथ देता था ।  

अब तो अपने घर का सारा काम भी तन्मय ही करता था राधा मना करती थी कि मैं खाना बना देती हूं लेकिन तन्मय मना कर देता था बल्कि वह खुद ही सुबह नाश्ता बना कर ऑफिस जाता, शाम को आता तो खुद ही डिनर बनाता। दोपहर के खाने के लिए अपनी मां को बोल कर चला जाता था।  

मां को मन तो नहीं करता था राधा के लिए कुछ भी करने को क्योंकि वह राधा से और उनका छत्तीस का आंकड़ा था लेकिन वह अपने बेटे की बात को टाल नहीं सकती थी इस वजह से खाना बनाकर बोल देती थी खाना बन गया है जाकर खा लेना।  

राधा कुछ भी बोलती तो तन्मय की मां उसका उल्टा ही मतलब निकालती।  एक दिन तन्मय की मां ने राधा को बोला पता नहीं क्या जादू कर दिया है इसने मेरे बेटे पर बताओ ऐसे कोई पति अपनी पत्नी के लिए करता है लग रहा है कि दुनिया में यही पहली बार मां बन रही है हमने क्या कोई बेटा पैदा किया है बेटा पैदा होने के लास्ट  दिन तक मैं सारा काम करती थी और यह मैडम दिन भर सोई रहती हैं लगता है मेरे बेटे पर इतने काला जादू कर रखा है।

राधा मना करती थी लेकिन तन्मय उसे साफ मना किया था कुछ भी करने को वह तन्मय का दिल नहीं दुखाना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि तन्मय उससे बहुत प्यार करता है और वह भी तन्मय से बहुत प्यार करती है।  धीरे-धीरे राधा का डिलीवरी डेट नजदीक आने लगा था।



अब तन्मय  ऑफिस अपने कार से भी नहीं जाता था वह अपना बाइक लेकर ऑफिस जाता था ताकि शाम को वापस आते हुए ट्रैफिक का सामना ना करना पड़े जल्दी घर पहुंच जाए।

एक दिन अचानक ही राधा को पेट में दर्द हुआ उसने फोन लगाया तन्मय जल्दी से ऑफिस से घर आया और पास के ही हॉस्पिटल में ले गया।  कुछ देर के बाद राधा ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया।

राधा हॉस्पिटल से घर आ गई थी।  लेकिन राधा को ऑपरेशन हुआ था इस वजह से डॉक्टर ने अभी उसे बेड से उठने को मना कर दिया था।  तन्मय की मां बिल्कुल भी राधा को इस अवस्था में भी सपोर्ट नहीं करती थी। कभी-कभी तो राधा यही सोचती थी कि लव मैरिज से बेकार दुनिया में कोई भी शादी नहीं होता है।  पता नहीं सासू मां को क्यों लगता है कि हमने तन्मय को जानबूझकर ऐसा करने को कहती हूं। एक दिन ऑफिस से तन्मय घर लौटा और जैसे ही अपने कमरे में गया तो देखा कि राधा नींद में सोई हुई है और बच्चा बेड से नीचे गिर कर रो रहा है।  लेकिन उसकी मां आवाज सुन रही है फिर भी अंदर नहीं जा रही थी वह बाहर आकर अपने मां को पहली बार डांट लगाई। मां कब से चंदन रो रहा है और आपको सुनाई नहीं दे रहा है। माँ ने झूठ मूठ का बहाना लगा दिया बेटा मैं tv देख रही थी तो मुझे उसकी आवाज सुनाई नहीं दी।  तन्मय उस दिन अपने बेटे को लेकर बहुत ही पर्सनल हो गया था उसने मां को बोल दिया कि मां आप की लड़ाई माना कि राधा से हैं आप राधा को नहीं चाहती हैं लेकिन आपको एक छोटे बच्चे ने क्या बिगाड़ा है आखिर आप भी तो इसकी दादी हैं।

अगर आप अभी से ही ऐसे बच्चे से दूर रहेंगे तो वह बच्चे भी बड़ा होगा तो आपका क्या कदर करेगा।  तन्मय की मां उल्टा तन्मय को ही डांटने लगे बेटा अब हम तो गैर हो ही गए पता नहीं उस लड़की ने क्या तुम पर काला जादू कर रखा है अब तुम भी उसी की बोली बोलने लगे हो हमारी तो इस घर में कोई औकात ही नहीं रह गई है।



उस रात तन्मय बिल्कुल परेशान रहा  उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपने बच्चे और बीवी का केयर करें क्योंकि वह पूरे दिन ऑफिस रहेगा बच्चे को नुकसान हो सकता है कहीं दोबारा फिर गिरा तो उसने रात में सोचा कि कल मैं जाकर बॉस से वर्क टू होम के लिए बात करूंगा अगर वह मान जाते हैं तो सिर्फ 6 महीने की बात है उसके बाद तो राधा ठीक हो जाएगी तो कोई दिक्कत नहीं है।

अगले दिन तन्मय अपने बॉस से बात की उसने अपनी प्रॉब्लम अपने बॉस को बताया।  तन्मय एक अच्छा इंप्लॉई था और उसका अपनी कंपनी में अलग ही रेपुटेसन था। इस वजह से उसके बॉस ने वर्क फ्रम होम के लिए मान गए।

अब तो तन्मय ऑफिस भी नहीं जाता था और घर से ही ऑफिस का काम भी और राधा और बच्चों की देखभाल भी बहुत अच्छी से कर रहा था।

सुबह होते ही वह अपनी पत्नी राधा के लिए उसकी पसंद का नाश्ता तैयार कर देता था और अपने मां-बाप को भी नाश्ता बना कर खिला देता था फिर अपने बच्चे को भी देखता था और घर से अपना ऑफिस का काम भी निपटा देता था।

धीरे धीरे राधा भी ठीक हो गई और बच्चा 1 साल का हो गया।  राधा सोचती थी कि वह घर में एक बाई रख लें और वह दुबारा से जॉब कर ले।  लेकिन इस बात के लिए तन्मय राजी नहीं था वह नहीं चाहता था कि किसी भी कारण से उसके बच्चे मां-बाप से दूर रहें।

राधा ने तन्मय को बात को मान लिया था क्योंकि वह तन्मय से बहुत प्यार करती थी जो पति उसके लिए इतना कुछ करता है वह उसके लिए जॉब क्या कुछ भी  छोड़ने को तैयार थी।



इंजीनियर  मां बाप का बेटा था तो बाई बर्थ टेक्नोलॉजी तो लिए हुए ही पैदा तो होगा ही ना जब तक उसे मोबाइल से गाना न सुनाया जाए तब तक वह सोता नहीं था कई बार तो मोबाइल छुपा देते थे लेकिन वह फिर भी मोबाइल को ढूंढ लेता था अगर उसे मोबाइल नहीं मिलता था तो वह कभी तकिए में ढूंढता था तो कभी बेड के नीचे पलट कर

देखता था सारे सामान को इधर-उधर घर में बिखेर देता था अगर उसे मोबाइल नहीं मिलता था तो फिर चिल्लाना शुरु।

कई दिन तो रात के एक बजे तक सोता ही नहीं था  राधा तन्मय से कहती थी कि आप दूसरे रूम में जा कर सो जाओ कम से कम आपकी नींद तो सही से लग जाएगी वरना अगले दिन ऑफिस में  नींद आती रहेगी। मैं तो जगी हूं जब तक सोएगा नहीं तब तक मैं इसकी देखभाल करती हूं। तन्मय बोलते तुम दोनों को मैं अकेला छोड़ कर चला जाऊंगा तो मुझे उस रूम में भी नींद नहीं आएगा।  यार पूरे दिन तो ऑफिस में कंप्यूटर से अपना दिमाग तो खपाता ही हूं यही तो कुछ टाइम मिलता है जो अपने बच्चे और बीवी के साथ बिताऊँ और इस का मजा भी एक अलग मजा है।

सुबह होता तन्मय और उसका बेटा चंदन एक दूसरे से लिपट कर सोए होते थे।  राधा दोसोचती जागा देती हूँ नहीं तो ऑफिस जाने में लेट हो जाएगा लेकिन फिर सोचती बाप-बेटे बड़ा गहरी नींद सो रहे हैं सो जाने देटी हूँ लेकिन तन्मय  रात में चाहे कितनी ही लेट क्यों न सोए वह सुबह अपने टाइम पर ही जग जाता था।

ऐसा होता था कि मेरा नींद ही नहीं खुलता था तो वह मुझे जगाते भी नहीं थे बल्कि चाय पी कर ही ऑफिस निकल जाते थे और मुझे मैसेज कर देते थे कि मैंने तुम्हें इसलिए नहीं जगाया कि मां बेटे दोनों गहरी नींद में सोए हुए थे आखिर तुम भी तो इंसान हो चंदन के पीछे पीछे घूम कर थक जाती होगी।



शाम को जैसे ही तन्मय के बाइक की आवाज दरवाजे पर सुनाई देती चंदन दरवाजे की तरफ निकल आता है पता नहीं कैसे उसे पता चल जाता था यह उसके पापा की ही बाइक की आवाज है।  तन्मय भी ऑफिस से आकर अपने बेटे से ऐसे चिपकते थे जैसे लगता था कि जन्मो जन्म से वह एक दूसरे से कभी मिले ही ना हो।

धीरे-धीरे चंदन 5 साल का हो गया अब वह स्कूल जाने लगा था लेकिन इस  दौरान मुझे एक बेटी भी हो गई थी। इन दोनों के देखभाल करने से फुर्सत ही नहीं मिला कि मैं फिर दोबारा जॉब करने को  सोचूँ।

अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए तन्मय ने भी अपने ऑफिस से रिजाइन देकर एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी खोल लिया था ताकि वह अपने बच्चों को सही परवरिश दे पाए हैं।  मुझे गर्व होता है ऐसे पति और पिता पर जो अपने परिवार के लिए सब कुछ कुर्बान कर दें।

अंत में यही कहना है कि अगर एक माँ अपने बच्चे को 9 महीने अपने गर्भ  में रहकर जन्म देती है तो उसके पिता का भी कम योगदान नहीं होता है। पिता परछाई बनकर हमेशा अपने बच्चे और पत्नी के साथ हर सुख दुख में बराबर का हिस्सेदार रहता है।

दोस्तों एक लाइक तो हमारे पापा के लिए बनता ही है जो हमें आज यहां तक पहुंचाने में पता नहीं कितने सपने दांव पर लगाएं हों।

कॉपीराइट: मुकेश कुमार

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