भाई का प्यार- रीटा मक्कड़

रामप्यारे ने अपने बड़े भाई रामप्रसाद से बात करने के लिए बहुत बार उसका फोन मिलाया लेकिन हर बार उसका फोन बंद दिखा रहा था।रामप्यारे मेहनत मजदूरी के सिलसिले में शहर में रहता था और दिहाड़ी मजदूर था।उसका भाई गांव में रहता था और वहीं पर दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपना परिवार पाल रहा था।

रामप्यारे  की बेटी की शादी अचानक से पक्की हो गयी थी।बेटी के लिए अच्छा लड़का मिल गया था और एक हफ्ते बाद शादी थी।। जब बार बार मिलाने पर भी भाई का फोन नही लगा तो रामप्यारे बहुत ज्यादा परेशान हो गया।एक तो बहुत दिनों से भाई का फोन भी नही आया था ऊपर से शादी के लिए उनको बुलाने के लिए बात भी नही हो पा रही थी।

रामप्यारे सोच में पड़ गया,करूँ तो क्या करूँ।अचानक से उसे याद आया कि एक बार भाई ने किसी और का नम्बर दिया था कि अगर कभी मेरे फोन से बात ना हो पाए और बहुत जरूरी हो तो इस नम्बर पर बात कर लेना।रामप्यारे ने जब फोन में ढूंढा तो वो नम्बर मिल गया। तब उसने उस नम्बर पर फोन करके भाई को बुलाने के लिए बोला । आखिर जब भाई से बात हुई और उन्हें शादी का सारा प्रोग्राम बता दिया तब उसकी जान में जान आयी।

नियत समय पर रामप्यारे का भाई परिवार सहित शादी में आ गया।शादी के कामो से निपट कर जब दोनो भाई बैठे तो रामप्यारे ने अपने  भाई से पूछा,”भाई आपके फोन को क्या हुआ।बहुत बार मिलाया लेकिन हर बार बंद दिखा रहा था?”


रामप्यारे के भाई ने जबाब दिया, “कुछ दिन  पहले फोन गिर कर टूट गया था।अब इतनी जल्दी फोन दोबारा लेना तो बहुत मुश्किल है।”

रामप्यारे ने अपना फोन भाई के हाथ मे देते हुए कहा,”ये लो भाई ये फोन आप रखो।आपको इसकी बहुत जरूरत है।”

भाई,”नही छोटे इसके बिना तुम्हे भी तो बहुत मुश्किल होगी।”

रामप्यारे,”नही भाई इसे आप ले कर जाईये। ये आपके पास रहेगा तो कम से कम आप की आवाज़ सुनने को तो मिल जायेगी। मेरे यहाँ तो फिर भी बेटे का फोन है।आपके पास तो वो भी नही है।मैं तो जैसे तैसे करके और ले ही लूंगा।”

और उसने अपनी सब से कीमती चीज़ अपना नोकिया का फोन जो उसने मुश्किल से  एक एक पैसा बचा कर दो हज़ार रुपये इकठ्ठे करके लिया था,जाते हुए भाई की जेब में डाल दिया।

मौलिक और स्वरचित

रीटा मक्कड़

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