उस आईने में – आरती झा आद्या

आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत माँगे

मेरे अपने मेरे होने की निशानी माँगें

कहीं दूर से आ रहे इस गाने के बोल से मिसेज भार्गव अकेले अकेले ही मुस्कुरा उठी। मि.पटेल ने आज की बुजुर्गों की किट्टी में मिसेज ब्यूटी कांटेस्ट की विजेता की घोषणा करते हुए कहा था.. मिसेज भार्गव सुन्दरता और व्यवहारिकता की कसौटी पर बिल्कुल खड़ी उतरती हैं। इसलिए इस बार की मिसेज ब्यूटी का खिताब जाता है मिसेज भार्गव को… बुजुर्गों की किट्टी..सप्ताह के हरेक शुक्रवार को लगने वाला एक दिन का रौनक… एक दिन का मेला.. बुजुर्गों के लिए त्योहार सा ही हो गया था, जिसमें कॉलोनी के सभी बुजुर्ग नामित हैं…

चाहे वो महिला हो या पुरुष। वो एक दिन पूरे सप्ताह को जगमगाती रौशनी से भर जाता है। इसी में शिकवा शिकायतें भी होती हैं… एक दूसरे के साथ मान मनौव्वल भी चलता है… प्रतियोगिता भी होती है….सबका साथ मिल जाए तो जीने के प्रति ललक भी बढ़ती जाती है। इनकी व्यस्तता देख घर वाले भी खुश रहते हैं।

इसकी शुरुआत का श्रेय भी मि. पटेल को ही जाता है। छः महीने पहले ही इस कॉलोनी में शिफ्ट हुए हैं.. मि शर्मा के पड़ोसी.. उन्हीं के साथ सुबह की सैर पर जाते रहे हैं और उसी क्रम में मोहल्ले के अन्य हमउम्रों से परिचय हुआ था उनका। उनके हँसमुख और सौम्य स्वभाव के पहले दिन ही सब कायल हो गए थे। दो तीन के बाद ही बुजुर्गों की किट्टी का प्रस्ताव रख दिया था उन्होंने। औरतें तो खुश हो गई थी कि चलो वक्त मजे में कटेगा। पर पुरुषों ने किट्टी का…. वो भी पुरुष करे.. कहकर मज़ाक बनाया था। क्यूँ भाई… पार्क में बैठकर

या किसी के घर पर चाय के साथ गली मोहल्ले की गॉसिप.. दुनिया की ना करने वाली चर्चा भी तो चटखारे लेकर  करते हैं ही आपलोग… तब तो पुरुषियत आड़े नहीं आती है। पूरा जीवन बुद्धिजीवी बन कर बिता लिय… कौन सा खजाना प्राप्त कर लिया हम लोगों ने। अब उन्मुक्त कहकहों के साथ जीवन बिताया जाए दोस्तों…जीवनमित्रों के साथ कुछ वक्त कुछ लम्हात बिताया जाए। एक प्रयोग ही सही… ना अच्छा लगे तो उसी समय से ये किट्टी बंद …. मि पटेल ने मुस्कुराते हुए कहा था और आज छः महीने होने को आए… किट्टी में जान बसने लगी है सबकी या यूं कहे ये किट्टी जान हो गई है सबकी।

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वैसे तो सबसे ही अच्छी मित्रता है मि. पटेल की..सभी से अच्छी पटती है उनकी….यहां तक की अखबार वाला भी उन्हें अपना बेस्ट फ्रेंड बताता है। पर मिसेज भार्गव से बात विचार पसंद मिलने के कारण गहरी छनने लगी है उनकी। मि. पटेल ने ही एक दिन बताया था कि ये किट्टी वाली सोच उनकी धर्मपत्नी की थी। उसने अपने सास ससुर को व्यस्त रखने के लिए बुजुर्गों की किट्टी की शुरूआत की थी। इस कॉलोनी में मकान लेने के कुछ दिनों के बाद ही उनकी पत्नी सीमा ने उनका साथ छोड़ दिया। पाँच साल हो गये.. एक बेटा है.. अमेरिका में.. आता जाता रहता है अपनी बीवी और बेटे के साथ।

इन्हीं विचारों के बीच चाय बनाकर बालकनी में आ बैठी मिसेज भार्गव। अमलतास के पीले पत्तों के बीच से संध्या समय के झाँकते पीले सूरज के साथ अपनी सोच को चाय की चुस्की के साथ समेटना भला भला लग रहा था उन्हें।

अगले रविवार की किट्टी में पीली साड़ी ही पहनूँगी.. अमय अपने जाने से पहले जो लेकर आए थे… अमय मिसेज भार्गव के पति.. जिन्होंने अपनी पत्नी का साथ बहुत जल्दी छोड़ दिया… बीस सालों से इन्हीं यादों को और दोनों बच्चों को अपना जीवन समर्पित कर दिया था मिसेज भार्गव ने। एक बेटा और एक बेटी.. दोनों इंजीनियर.. एक ही शहर बंगलुरु में… अपने अपने परिवार के साथ खुश हैं और मिसेज भार्गव दोनों बच्चों की खुशी देखकर संतुष्ट हैं। अपनी सोच पर थोड़ा लगाम लगाती मिसेज भार्गव उठकर साड़ी निकाल कर देखने लगी… इस बार की किट्टी मि पटेल ने अपने घर रखी है…सोचकर जाने क्यूं मुस्कुरा उठी मिसेज भार्गव।

टिंग – टांग की आवाज से जल्दी से साड़ी तह कर अंदर रखती है और दरवाजा खोलती है.. उनकी हाउस हेल्पर माया होती है.. आते ही चाय के लिए पूछती है… उसे खुद के लिए चाय बनाने कह कर बालकनी में आकर बैठ अपने ख़्यालों के घोड़े फिर से दौड़ाने लगती हैं।

उनके यहाँ शादी के पहले लड़का लड़की के देखने दिखाने का रिवाज नहीं होने के कारण अमय उसकी फोटो ही देख सके थे तो उसकी बहन से दोस्ती कर ख़ंभे के सहारे उनके घर की छत पर ही उसे देखने आ गए थे.. वो तो चीख ही पड़ी थी और अमय की आँखों में बेपनाह प्यार देख शरमा कर नीचे भाग गई थी वो। शादी के बाद बहुत गुस्सा हुई थी अमय पर कि कुछ हो जाता तो… अमय भी कम नहीं थे.. उसका हाथ अपने सीने पर रखते हुए कहा था – उस दिन से कुछ कुछ तो होने ही लगा है… मेरी जान… 

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गलती से भी नाराज नहीं होने देते थे.. कहते थे भोले बाबा के भक्त हैं वो.. जैसे भोले बाबा.. सती के गुस्से को शांत करने उनके पैरों के नीचे आ गए थे…वैसे ही वो भी हर सम्भव कोशिश करेंगे कि उनकी अर्धांगिनी कभी नाराज ना हो.. भोले बाबा की दी हुई सीख पर चलेंगे…. कितनी जल्दी नाराज होकर चले गए अमय आप… एक आह भरती मिसेज भार्गव आँखों में नीर लिए तड़प उठती हैं।

गहरी साँस लेकर अस्त हो गए सूरज से नजर हटाती है तो देखती है माया जाने कब से वहाँ आकर खड़ी हो गई है… 

अरे पता ही नहीं चला माया.. कब से खड़ी हो तुम यहाँ… 

दस मिनट से दीदी… 

पूछने आई थी.. रात के खाने में क्या बना दूँ .. पर आप किसी और लोक में विचरण कर रही थी तो मन नहीं हुआ.. कुछ पूछने का … 

अच्छा ठीक है..नमकीन दलिया थोड़ी सी बना दे.. किट्टी थी दिन में तो हल्का ही खाऊँगी अभी।

देखते ही देखते सप्ताह बीत गया.. अगली किट्टी आ गई… बहुत उत्साह से पीली साड़ी डाल , हल्की सी लिपस्टिक, बेटी के दिए उपहार मोती की माला और छोटे से कर्ण फूल के साथ अप्रतिम सुन्दरी लग रही थी मिसेज भार्गव। अपनी सहेलियों के साथ मि पटेल के घर पहुँची… बहुत सुरुचिपूर्ण तरीके से रखा था मि पटेल ने घर.. हर कोई तारीफ कर रहा था….विविध प्रकार के स्नैक्स के साथ किट्टी शुरू हुई… कई सारी प्रतियोगिताएं थी.. सबसे मजेदार थी अंत्याक्षरी… इसमें जो शख्स सबसे ज्यादा गाने गाता.. उसे विजेता घोषित किया जाएगा…. मि पटेल इसमें भी बाजी मार ले गए.. नए पुराने एक से बढ़कर एक गाने… इतनी सुरीली आवाज…. पुरुष वर्ग तो मज़ाक पर उतर गया कि अब शादी विवाह में मि पटेल ही धूम मचाया करेंगे.. हमारे ख़र्चे बच जाया करेंगे… इसी हँसी मज़ाक में किट्टी समाप्त होने का समय भी होने आया… बातों बातों में मिसेज भार्गव को थोड़ी देर और रुकने को कहा मि पटेल ने… 

सबके जाने के बाद मि पटेल ने कहा – वो किसी को पसंद करने लगे हैं और शादी भी करना चाहते हैं… 

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… एक पल को तो मिसेज भार्गव को अपने अंदर कुछ दरकता हुआ लगा.. लगा जैसे कुछ उनके हाथ से छूटा जा रहा ही। फिर खुद को संभालते हुए इतना ही कह सकी-ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाई आपने.. कौन हैं वो.. हमें भी मिलवाएं.. 

उनकी बात सुन वही रखे ढ़ँके हुए आईने से पर्दा हटाते हुए कहते हैं… इस आईने में जो शख्सियत दिख रही है ना… उनके साथ बचा हुआ जीवन बाँटने की इच्छा रखते हैं… अगर इस शख्सियत की हाँ हो तो… 

मैं… मिसेज भार्गव समझ नहीं रही थी कि क्या प्रतिक्रिया दे.. इतना ही कह सकी.. समाज.. बच्चे… नहीं ये असंभव है… 




अगर आपकी हाँ होती है तो मैं सबसे बात कर मनाने की कोशिश करूँगा… 

मिसेज भार्गव कुछ नहीं बोल कर आईने के सामने बुत की तरह खड़ी रहती हैं। इतने में उनकी बेटी पीछे से उन्हें बाँहों में भर कर कहती है… अब जीवन करवट ले रहा है मम्मी.. वो भी सुलझा हुआ हैंडसम करवट तो हाँ कर दो मम्मी… हमें कोई ऐतराज नहीं है… बेटा भी आकर गले लगता हुआ कहता है… 

तुम दोनों यहाँ कैसे…. 

अंकल ने फोन पर अपने मन की बातें बता कर हमें यहाँ बुलाया… 

उन्हें पता था कि आपके मन में ये सारे सवाल आएंगे.. इसीलिए उन्होंने पहले हमसे बात की… 

तुम दोनों को कोई दिक्कत नहीं है इसमें… 

समय के साथ बदलना ही चाहिए मम्मी… एक साथी.. हर पल को बांटने के लिए जीवन में होना चाहिए… ये तो अब हम भी समझने लगे हैं मम्मी… बेटे ने कहा तो बेटी ने भी हाँ में हाँ मिला सहमति जता दी।

लेकिन आपका बेटा… मिसेज भार्गव की दुश्चिंता अब मि पटेल के बेटे को लेकर थी… 

मुझे भी कोई आपत्ति नहीं है आंटी… बोलता हुआ दरवाजे पर बैग के साथ मि पटेल का बेटा होता है। 

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और हमें भी कोई प्रॉब्लम नहीं है.. मतलब समाज को भी कोई आपत्ति नहीं है… हँसते हुए मि शर्मा कहते हैं… बुजुर्गों की टोली भी एक साथ दरवाजे पर आ खड़ी होती है… 

चलिए हटिए…मेरे अलावा इस मिली भगत में सब शामिल थे… शरमा कर लाल बिहूटी बनी हुई मिसेज भार्गव लगभग भागती हुई कमरे से बाहर आ गई और मिस्टर पटेल को मिल रही बधाइयों का स्वर उनके कानों में मिश्री घोलने लगा।

 #मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल 

आरती झा आद्या

दिल्ली

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