“सफेद झूठ” बहु नहीं बेटी है,-सुधा जैन

मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी अनाया अपने मम्मी पापा दादा दादी सभी  की लाडली बिटिया है… उसमें अपना ग्रेजुएशन पूर्ण कर लिया ..और भी आगे पढ़ना चाहती थी.. कुछ करना चाहती थी पर उसके मम्मी पापा ने सामाजिक दबाव… पारिवारिक… कुछ भी कहो… हमारे परिवारों में विवाह योग्य लड़की सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह है? सभी पूछने लगते हैं ..शादी कब करोगे ?मिठाई कब खिला रहे हो? लड़की बड़ी हो रही है …बस… ऐसे प्रश्न जिसका कोई जवाब नहीं…

 इन प्रश्नों से बचने के लिए उसके मम्मी पापा ने  सुयोग्य वर ..अच्छा घर.. देखकर उसका संबंध  कर दिया… जब राहुल अपने परिवार सहित उसे देखने के लिए आया तो राहुल की मम्मी ने बड़े ही प्यार से उसके सिर पर हाथ फिर कर कहा कि “बहु नहीं बेटी है हमारी “

अनाया बड़ी ही खुश हो गई। उसकी बड़ी चाहत थी कि और ससुराल में सबसे अच्छी रहे और उसकी सास में उसे मां मिल जाए… मन में बहुत सारे सपने संजोए वह ससुराल आ गई। ससुराल तो ससुराल है …सास सास….. धीरे-धीरे अपना रंग दिखाना शुरू किया.. सासू मां भूल गई की इसी लड़की के सिर पर हाथ फिर कर मैंने एक दिन कहा था कि “हम तो बेटी ले जा रहे हैं “सच में ऐसा कुछ होता नहीं… यह बात  अनाया को महसूस हो चुकी है …

उसके द्वारा किए गए घर के हर छोटे-मोटे कामों की मीन मेख  निकाली जाती है.. रसोई में अपनी पसंद का कुछ बना नहीं सकती… घर के पर्दे नहीं बदल सकती…. उसके हिसाब से कुछ भी परिवर्तन ,निर्णय ,स्वीकृति… उसकी जरूरत नहीं समझी जाती। जब भी कभी मुंह खोलने की कोशिश करो तो सभी की तिरछी नजरों का कोपभाजन बनना पड़ता है ।खाते-खाते कुछ कम हो जाए तो संतोष करना पड़ता है… 



क्योंकि सासू मां की कंजूसी का कोई जवाब नहीं है। एक नहीं कई छोटी-छोटी बातें हैं जो उसे दिल पर लग जाती है…. अभी कुछ दिन पहले ही उसके पैरों में मोच आ गई ..वह ऊपर अपने कमरे में थी …तीन-चार दिनों तक उसे ना तो ढंग से खाने को मिला ना किसी ने परवाह की…. तब उसे अपने मायके की बहुत याद आई ..अगर मम्मी होती तो क्या मुझे इतना भूखा रखती ?अब उसे बिल्कुल समझ में आ गया है कि देश..काल.. परिस्थितियां… चाहे जितनी बदल जाए …

आगे बढ़ने की चाहे कितनी बातें कर ली जाए.. लेकिन यह जो घर घर की कहानी है …उसमें बदलाव बहुत कठिन लगता है… सासुमां सासुमां है और “बहु नहीं बेटी है हमारी, यह वाक्य दुनिया का सबसे बड़ा सफेद झूठ है” पर अनाया ने इन सब से बचने के लिए अपने आप को मजबूत कर लिया है। खुद में खुश रहना शुरू किया है… खुद ने खुद का ख्याल रखना शुरू किया है …

बाहरी परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है…। अपने हक की लड़ाई लड़ना शुरू कर दिया है… वह सोचती है कि जब मैं गलत नहीं हूं तो किसी से क्यों डरु? और क्यों दबू?  वह सोचती है कि कोई भी सास बहू को बेटी ना समझे तो ना पर कम से कम एक इंसान को समझें…. दुनिया के सबसे बड़े झूठ में से यह सफेद झूठ उसे सबसे बड़ा लगता है “बहु नहीं, बेटी है हमारी” ।

सुधा जैन

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!