अंकित सर्द रात में अपने गांव आने वाली की आखिरी बस से उतरा और खेतों के पास वाले रास्ते से होता हुआ अपने घर की ओर चल दिया।
वहां से निकलते हुए उसने खेतों के पास बने हुए कमरे या छोटा सा गोदाम भी कह सकते हैं में हल्की रोशनी देखी, तो वह समझ गया कि उसके चारों दोस्त आज यहीं बैठकर गपशप कर रहे हैं। उसने सोचा क्यों ना मैं इन से मिलकर ही बाद में घर जाऊं। उस कमरे के पास पहुंचकर वह दरवाजे पर दस्तक देने ही वाला था कि उसने कुछ आवाज सुनी। यह आवाज उसके दोस्त जमीदार के बेटे नवीन की थी। वह कह रहा था-“अरे यारों, कल तो उस अंधी लड़की प्रीत के
साथ हमने जो कुछ भी किया, वह बेचारी तो किसी को बता भी नहीं पाएगी कि किसने किया और वह भी उसके घर में घुसकर।”इसके बाद हंसने की आवाजें आने लगी।
तभी एक दूसरी आवाज आई। अंकित ने तुरंत पहचान लिया कि यह आवाज राहुल की है। राहुल ने कहा-“याद है नवीन, जब हमने एक बार गांव की किसी लड़की को छेड़ा था तब वह अंधी लड़की का भाई अंकित हम पर कितना भड़क गया था।”
तीसरी आवाज रमेश की थी-“और हमें कितना भाषण पिला रहा था कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।”
नवीन-“खुद अब अपनी अंधी बहन से क्या पूछेगा? नौकरी करके पैसे जमा करने शहर गया है ताकि उस अंधी की आंखों का इलाज करवा सके।”
चौथी आवाज नाहर की थी-“वैसे नवीन तेरे बापू ने यह अच्छा किया कि हमें यहां छुपने को कह दिया ताकि सुबह तक पता चल सके की अंधी के मां-बाप चुप रहते हैं या पंचायत में शिकायत करते हैं।”
नवीन-“अरे यार, तुम लोग डरो मत। कोई शिकायत नहीं होगी।वो अंधी शर्म के मारे खुद मर जाएगी पर किसी को कुछ नहीं बताएगी।”
और फिर चारों बेशर्मी से हा हा करके हंसने लगे।
दरवाजे पर चुपचाप सारी बातों को सुनते हुए अंकित का खून खौल उठा। उसका जी चाहा कि अभी चारों को कुल्हाड़ी से काटकर खत्म कर दे, लेकिन बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला और समझाया फिर घर चला गया।
घर पहुंच कर उसकी मां ने उसे बताया।”हम लोग खेत पर गए हुए थे, धोखे से दरवाजा खुलवा कर ना जाने किसने प्रीत के साथ यह सब किया। प्रीत बहुत सदमे में है पहले तो वह बहुत रोई और अब उसे बहुत तेज बुखार है। बुखार में वह बड़बड़ा रही है कि मां भाई को कुछ मत बताना। बेटा, प्रीत बहुत बुरी हालत में है। क्या करें रिपोर्ट लिखवा कर आए?”
अंकित सोचते हुए बोला-“मां तुम्हें याद है पिछले साल एक लड़की के साथ ऐसी ही एक घटना हुई थी। उस लड़की के रिपोर्ट करने पर भी कोई अपराधी पकड़ा नहीं गया था और आखिर में तंग आकर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। इसीलिए हम उन दुराचारियों की सजा ईश्वर पर छोड़ते हैं। वही हमें “अन्याय से मुक्ति”दिलाएंगे और न्याय करेंगे।”
प्रीत अपने भाई के गले लग कर फूट फूट कर रोई, लेकिन कहा कुछ नहीं। आधी रात को अंकित की मां ने अंकित को घर से बाहर जाते हुए देखा और फिर आधे घंटे बाद आते हुए देखा। वह आ कर चुपचाप सो गया। सुबह पूरे गांव में शोर मचा हुआ था कि नवीन और उसके दोस्त उस कमरे में थे और उस कमरे में ना जाने कैसे रात को आग लग गई और चारों दोस्त जलकर खाक हो गए, वह कमरे से बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि कमरे के दरवाजे की कुंडी किसी ने लगा दी थी। अंकित की मां सब कुछ समझ रही थी।
#अन्याय
स्वरचित
गीता वाधवानी