‘ सबक ‘ – विभा गुप्ता
” बेबी, फार्म हाउस की पार्टी तो तुम्हारे लिए है।तुम नहीं आओगी तो मैं पार्टी कैंसिल कर दूँगा।” जब आध्या ने पार्टी में आने के लिए मना कर दिया तब मयंक ने उसके गले में अपनी बाँहें डालते हुए कहा।
” मयंक, तुम समझते क्यों॔ नहीं, मेरे पापा अकेले जाने की परमिशन नहीं देंगे।”
” पर डियर, हम अकेले कहाँ है,जोजो,शानू , राॅनी भी तो पार्टी में आ रहें हैं।” अपने मोबाइल फ़ोन के मैसेज दिखाते हुए मयंक ने आध्या को विश्वास दिलाया तो वह बोली, ” ओके बाबा,आई विल कम।”
मयंक और आध्या एक ही काॅलेज के फ़र्स्ट इयर साइंस के स्टूडेंट थे।मयंक एक बड़े उद्योगपति का बिगड़ैल बेटा था।आध्या उस कॉलेज में नई थी,किसी को ज़्यादा जानती नहीं थी,इसलिये मयंक उसे मंहगे-महंगे गिफ़्ट प्रेजेंट करके उसे इम्प्रेस करता था।आध्या की क्लासमेट्स ने कई बार उसे मयंक के बारे में बताकर दूर रहने के लिए भी कहा लेकिन उम्र के जोश और मयंक पर अति विश्वास होने के कारण उसने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और मयंक के फ़ार्म हाउस पार्टी में जाने के लिए अपने पिता को राज़ी कर लिया।
अगले दिन शाम चार बजे उसने मयंक द्वारा भेजे गये लोकेशन पर जाने के लिए कैब बुक कर लिया।मम्मी-पापा को दो- तीन घंटे(मयंक के अनुसार पार्टी 4.30.pm-7pm ) में वापस लौटने का कहकर कैब में बैठ गई।थोड़ी दूर जाने पर कैब ड्राइवर ने उसे कहा कि लोकेशन वाला रास्ता तो शहर से बाहर का है।आप अकेले कैसे..।उसने कहा, ” मेरे और फ़्रेंड्स भी वहाँ आ रहें हैं।” ड्राइवर कुछ नहीं बोला और गाड़ी ड्राइव करता रहा।
अचानक आध्या की नज़र रास्ते में खड़े मयंक और उसकी बाइक पर पड़ी तो उसने गाड़ी रोकने को कहा।आसपास जंगल ही जंगल थे, रास्ता पूरा सुनसान था।तभी मयंक कैब के पास आया और आध्या से बोला कि मेरा फ़ार्म हाउस पास में ही है।तुम कैब को छोड़ दो।यहाँ से बाइक पर मस्ती करते हुए चलेंगे।
मयंक के चेहरे और उसकी बातों से स्पष्ट हो रहा था कि उसकी नीयत ठीक नहीं है जिसे ड्राइवर की अनुभवी आँखों ने पहचान लिया।वह तुरन्त बाहर आकर बोला कि आप बाइक से चलिये,हम पीछे-पीछे आते हैं।आध्या ने भी कहा कि हाँ,यही ठीक रहेगा।अब मयंक को गुस्सा आ गया और वह कैब का दरवाज़ा जबरदस्ती खोलने का प्रयास करने लगा।यह सब देखकर आध्या डर गई लेकिन ड्राइवर ने हिम्मत दिखाई।उसने मयंक को ज़ोर से धक्का देकर गिरा दिया और गाड़ी में बैठकर गाड़ी को वापस टाउन की तरफ़ ले गया।
डर से आध्या का बुरा था,वह रोने लगी।उसकी क्लासमेट तान्या ने तो उसे बताया था कि मयंक फ़्लर्ट करने के लिये स्कूल-कॉलेज में बदनाम है पर उसने विश्वास नहीं किया और अब ये सब….।ड्राइवर ने एक जगह गाड़ी रोक कर उसे पानी पिलाया और कहा कि आपके लिए यह एक सबक है।किसी पर भी आँख मूँदकर विश्वास नहीं करना चाहिए।न्यूज़ नहीं सुनती हैं, कोई लड़की के चेहरे पर तेज़ाब फेंक देता है तो कोई मारकर टुकड़े-टुकड़े कर देता है।आप तो खुद इतनी समझदार हैं।फिर भी…।अब चलिये, आपको घर ड्राॅप कर देता हूँ।
तभी आध्या के फ़ोन की घंटी बजी।फ़ोन उसके पापा का था।उसने उठाया, उधर से आवाज़ आई, ” बेटा पहुँच गए?मयंक मिला?” वह कुछ कहती तभी ड्राइवर ने हाथ से ‘कुछ न बताने ‘ का इशारा कर दिया।उसने कहा,” पापा,मयंक की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण पार्टी कैंसिल हो गई है और मैं पंद्रह मिनट में घर पहुँच रही हूँ।” कहकर उसने फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया।अब वह रिलेक्स फ़ील कर रही थी।
उसने कैब ड्राइवर को समय पर आकर उसकी रक्षा करने के लिए धन्यवाद कहा।साथ ही,भविष्य में मयंक और उसके जैसों से दूर रहने की कसम खाई।घर पहुँच कर उसने मम्मी-पापा को पूरी बात बताई और कहा कि पापा, मुझे सबक मिल गया है।अपने व्यवहार के लिए मैं आप दोनों से क्षमा माँगती हूँ।बेटी सही-सलामत घर आ गई,माँ-बाप के लिए यही बहुत था।उन्होंने मन ही मन ईश्वर और कैब ड्राइवर को धन्यवाद दिया।
— विभा गुप्ता