किन्नरों का नेग – प्रियंका मुदगिल

कुसुम, जोकि किन्नरों की टोली की मुखिया थी,सब लोग उसे कुसुमदीदी के नाम से बुलाते थे। हर किसी के दुख दर्द को अच्छे से समझती थी वो…

उसने घर आते ही  आवाज दी, “”सब तैयार हो गए हैं ना….  अपने-अपने ढोलक और बाजे लेकर….और यह पुष्पा कहाँ गयी.. उसके डांस के बिना तो मंडली का रंग ही नहीं जमता… “”

“”मैं तैयार हूँ,कुसुमदीदी!! बताइए कहां जाना है.. “

पुष्पा मुस्कुराती हुई आई

कुसुमदीदी ने बताया कि हमें श्रीनिवास जी के यहां जाना है। उनके ऊपर भगवान की कृपा हुई हैं ।तुम्हें याद है उनकी बड़ी बहू….जिसे शादी के 10 साल बाद  भी कोई औलाद नहीं थी । आज भगवान ने उसकी झोली में खुशियां डाल दी। बस उसी खुशी में हम शामिल होने जा रहे हैं।

“लेकिन कुसुमदीदी, “आपको याद है ना…पिछली बार जब उनके घर  पोता हुआ था तब श्रीनिवास जी ने नेग देने में कितनी कंजूसी की थी…” पुष्पा ने गुस्से से कहा।

“नहीं  रे पुष्पा!! इतनी दुनिया तो मैंने भी देखी है। मैं  उम्र और तजुर्बे में तुझसे बहुत बड़ी हूं । उस समय श्रीनिवासजी के हालात कुछ ठीक नहीं थे, फिर भी उन्होंने अपनी तरफ से अच्छा ही नेग दिया था…अब जल्दी कर वरना देर हो जायेगी..”” कुसुमदीदी ने कहा।

थोड़ी देर बाद किन्नरमंडली श्रीनिवासजी के घर पहुंच जाती हैं। पूरा घर तालियों, नाचगानों और ढोलक की थाप से गूंज उठता है।

श्रीनिवासजी और उनकी पत्नी ने उनका खूब अच्छे से स्वागत सत्कार किया और सबको प्रेमपूर्वक बिठाकर अपने हाथों से खाना खिलाया।



उनकी बड़ी बहू ने अपने बेटे को  कुसुमदीदी की गोद में थमा दिया और कुसुमदीदी ने भी हाथ में चावल लेकर बच्चे के चारों तरफ फेरे और उसकी नजर उतारकर जच्चा और बच्चे को ढेर सारा आशीर्वाद देने लगी।

बहू ने कहा ,”” यह सब तो आपके आशीर्वाद की वजह से ही हुआ है। पिछले 10 साल तक मैं संतान सुख से वंचित रही…हर किसी के ताने सुनती रही…पर मेरे दुख और तकलीफ को कोई नहीं समझ पाया। मेरे अपने तक भी मेरे दुख दर्द से अनजान बने रहे …लेकिन आपने पराई होकर भी मेरे चेहरे और मेरी आंखों में मेरे दर्द को पढ़ लिया था ।

मुझे आज भी वह दिन याद है जब मेरी देवरानी को बच्चा हुआ था और सब रिश्तेदार उस खुशी में शामिल होने की बजाए मेरे दर्द  पर नमक छिड़कने में ज्यादा लगे थे। मेरा यह बच्चा आपके आशीर्वाद का ही फल है…

सबकी बातें सुनकर मैं बहुत दुखी हो रही थी। लेकिन जब आपने  मेरे सिर पर हाथ रखकर कहा, “बेटी!! अगले साल मैं इसी तरह इस आंगन में तुम्हारे बच्चे के लिए खूब नाचूंगी ,गाउँगी और ताली बजाऊंगी और अपना मुंहमांगा नेग भी लेकर जाऊंगी ….मां सरस्वती आपकी जुबान पर बैठी थी और आज  मेरी झोली भी खुशियों से भर गई है..””

बहु के मुँह से ये बात सुनकर कुसुमदीदी की आंखों में आंसू आ गए और बहुत भावुक होकर उन्होंने कहा, “बेटी तुम्हारा बेटा जुग जुग जिए….तुम्हारा और अपने परिवार का नाम खूब रोशन करे….बस मैं यही आशीर्वाद देती हूं…”

फिर श्रीनिवास जी अपने हाथों में बहुत सारे पैसे, अच्छे-अच्छे कपड़े, मिठाईयां और  सबके लिए खूब सर राशन लेकर आए।

उन्होंने कहा, “”आप सबके आशीर्वाद की वजह से ही हमारे घर आंगन में खुशियां आई हैं। हमारी तरफ से ये नेग स्वीकार करें। आपका हमारे घर में इतनी रौनक करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद…।



आज मुझे वो दिन याद आ रहा है जब मेरे छोटे बेटे को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी लेकिन तब मैं आपके मन मुताबिक नेग नहीं दे पाया था।

और जहां तक मैंने सुना था कि जब किन्नर की टोली आती है और उनको मनचाहा नेग नहीं मिलता है तो वो लोग गालीगलौच करने पर आ जाते हैं…खूब उल्टा सीधा बोलकर और बद्द दुआएँ देने लग जाते है।

लेकिन कुसुम बहन आपने उस समय मेरी  खराब आर्थिक स्थिति को समझा और मेरा मेरे द्वारा दिए थोड़े से पैसे को ही खुशी-खुशी स्वीकार करके मेरा मान रखा उसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ। लेकिन भगवान के आशीर्वाद और आपकी दुआओं की वजह से आज हमारे हालात बहुत अच्छे हैं इसलिए मैं बहुत खुशी से आपको आपका  मुंहमांगा नेग देना चाहता हूं…

कुसुमदीदी ने कहा,”” श्रीनिवास जी !! भले ही भगवान ने हमें आम लोगों से अलग बनाया है लेकिन हमारे अंदर भी इंसानियत हैं…हम भी लोगों की मजबूरी और परेशानी को  भांप लेते है..

लेकिन हमें बहुत तकलीफ होती है जब समाज हमें घृणा की नजर से देखता है। लोगों की नजरों में अपने लिए अपमान देखकर हमें भी बहुत बुरा महसूस होता है….लेकिन क्या करें..?भले ही भगवान ने हमारे साथ यह नाइंसाफी की है कि उन्होंने हमें आप लोगों और समाज के बीच में इज्जत नहीं बख्शी लेकिन कम से कम भगवान ने एक ऐसा आशीर्वाद भी हमें दिया है कि जिसकी बदौलत अगर हम किसी को दिल से दुआ देते हैं तो वह फलिभूत हो जाती है।

हमें जो जिंदगी मिली है वह तो हमें जीनी ही है अब उसे खत्म भी नहीं कर सकते हैं ….लेकिन इस समाज मे हम कहीं पर बैठने लायक नही हैं और ना ही समाज में हमारे लिए इस तरह का कोई व्यवसाय बना है जो हम कर पाएँ। सिर्फ शुभकार्यों में मिलने वाले नेग से ही हमारा जीवनयापन होता है। इसलिए हम सबको यही आशीर्वाद देते हैं कि सबके जीवन में खुशियां आती रहें ताकि उनकी खुशियों मे नाचगाना करके और बधाइयों से मिले नेग से हमारा भी जीवन चलता रहे।

दोस्तों। समाज मे ऐसे बहुत से लोग होते है जो जन्म से ही समाज की उपेक्षा का शिकार होते रहते है। जबकि वो लोग भी ईश्वर की बनाई रचनाएँ ही है। हर व्यक्ति किसी न किसी रूप मे अपने जीवनयापन के लिए दुसरो पर आश्रित रहता है फिर चाहे वो नौकरी करता हो या फिर कोई बिजनेस…. उसी तरह किन्नर प्रजाति भी समाज के लोगों से मिले नेग से ही अपना जीवनयापन  करती है।और उनमे से ही कुछ कुसुमदीदी जैसे किन्नर भी होते हैं जोकि लोगों की तकलीफ को समझ लेते है और उनमे आज भी इंसानियत जिंदा है

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स्वरचित एवम् मौलिक

प्रियंका मुदगिल 

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