ऐ ज़िंदगी गले लगा ले – कमलेश राणा 

ज़िंदगी कितनी खूबसूरत और अनमोल है,,यह वही बता सकता है जिसके पास ज़िंदगी के थोड़े ही दिन बचे हों,,और वह इस सत्य से वाकिफ हो,,

जानकी का जीवन हर तरह से खुशी और संतुष्टि से भरपूर चल रहा था,,बच्चों,घर और नौकरी के बीच कब दिन गुजर जाता,,पता ही नहीं चलता,,बस वक़्त की लहरों के साथ बही जा रही थी वो,,

बढ़ती उम्र के साथ होने वाली कोई बीमारी भी नहीं थी उसे,,स्वस्थ ,चुस्त दुरुस्त,,जिजीविषा और आत्मविश्वास से भरपूर महिला ,,

अचानक एक दिन कांख में कुछ जलन सी महसूस हुई,,हाथ से देखा तो एक गांठ थी,,माथा ठनका उसका,,डॉक्टर से चेकअप कराया तो पता चला कि कैंसर है,,,

जिस दिन रिपोर्ट आई,,वह घर पर नहीं थी,,या यूं कहें कि जानबूझ कर इधर-उधर हो गई थी,,पति रोड तक लेने आये,,पहली बार उन्होंने हाथ पकड़ कर रोड क्रॉस कराई,,बड़ा अच्छा लगा उसे,,

घर पहुँच कर चाय बनाने लगी तो बोले तुम आराम से बैठो और रजाई उढ़ा दी,,इतना प्यार तो कभी नहीं जताया,,वह फेस रीडिंग कर रही थी,,पर सब नॉर्मल लग रहा था,,

थोड़ी देर के लिये बाहर चली गई,,लौट कर आई तो सुना,,अब तो कीमोथेरेपी और रेडिएशन कराना होगा,,

एकदम से फट पड़ी,,क्या मैं नहीं जानती,ये सब किस बीमारी में होता है,,यह बताओ ,,कितने दिन हैं मेरे पास,,मुझे रिपोर्ट दिखा दो,,जानना चाहती हूँ कि किस स्टेज पर हूँ मैं,,बहुत कठिन वक़्त था वो,,

उस समय पति और बच्चों को सिर्फ एक ही चिंता थी कि किसी तरह से वो स्वस्थ हो जाएँ,,और इसके लिए उन्होंने पैसा भी पानी की तरह बहाया,,जानकी को भी लगता कि उसके बिना उसका परिवार तो बिखर ही जायेगा,,

बच्चे तो फिर भी अपने-अपने परिवार में व्यस्त हो जायेंगे लेकिन पति का क्या,,उन्हें तो हर काम के लिए उसकी आदत पड़ी हुई थी,,

उसने खुद से वादा किया कि वह उनके प्रयास को व्यर्थ नहीं जाने देगी,,वह जीवन के लिए संघर्ष करेगी,,उसे ठीक होना ही होगा ,,सब को जरूरत है उसकी,,

और ईश्वर की कृपा एवं सबके सम्मिलित प्रयास से वो ठीक हो गई,,जो भी सुनता उसकी जिजीविषा की प्रशंसा करता,,धीरे-धीरे समय गुजरने लगा और सब कुछ पहले जैसा हो गया,,

जिंदगी तो खुशियों का पर्याय होती है और कितनी आकर्षक भी,,यह उसने बीमारी के दौर से गुजर कर बड़ी शिद्दत के साथ महसूस किया था,,

हॉस्पिटल में बैड पर पड़े हुए रह-रहकर यही गाना गुनगुनाती,,

     दिन जो पखेरू होते पिंजरे में मैं रख लेता,

    पालता उनको जतन से,मोती के दाने देता,

    सीने से रहता लगाये,याद न जाये बीते दिनों की 

एक बार फिर चाहती है ,,ऐ जिंदगी गले लगा ले,,मैंने भी तेरे हर इक गम को गले से लगाया है,,है न,,

कुल मिलाकर यही सार निकला कि जिंदगी ईश्वर का दिया सबसे अमूल्य उपहार है,,दूसरों की बुराई भलाई में व्यर्थ न गवांये,,प्यार और खुशियाँ बाँटें,,

कमलेश राणा 

ग्वालियर

 

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