सभी पाठकों को मेरा नमस्कार आशा करती हूं कि आप सभी अच्छे होंगे।
तनु अरी ओ तनु, कहां रह गयी ये मेरी तो एक नही सुनती ……
जी मम्मी जी , मैं बस अभी आ ही रही थी वो गोलू ने नल खोलकर अपने कपड़े भिगो लिए…. अभी आपके लिए चाय बनाकर लाती हूँ।
ये संवाद तनु और उसकी सास सुनंदा जी का है। तनु का विवाह आज से 6 वर्ष पहले राजेश जी साथ संपन्न हुआ ।बिन माँ की बच्ची तनु और उसके भाई को दादी माँ ने पल पोसकर बड़ा किया ।हमेशा से ही स्वतंत्र भाव से रहती थी तनु , पिताजी की आय से घर खर्च चलाना, अम्मा की दवाई,साथ मे छोटे भाई की पढ़ाई -लिखाई सही से चल नही रहा था, ऐसी स्थिति में तनु ने एक स्कूल में पढ़ाने का फैसला किया,साथ मैं बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाने लगी।अब धीरे धीरे स्थिति सही होने लगी। स्कूल में पढ़ाते पढ़ाते तनु ने अपनी पी. जी पूरी की ।
आज तनु को लड़के वाले देखने आ रहे थे ,दोपहर तक लड़के वाले आ चुके थे, गोरा रंग सुंदर नाक नक्श की तनु को पहली ही नज़र में राजेश ने पसंद कर लिया ,रिश्ता पक्का हुआ। देखते -देखते विवाह की शुभ घड़ी आ गयी और विवाह संपन्न हुआ।तनु अपने ससुराल पहुंच गई।
अगले दिन मुह दिखाई की रस्म की गई ,जिसमे सभी ने एक से बढ़कर एक तोहफे दिए ।राजेशजी की दोनों बहनों ने भी तोहफे दिए मगर ये क्या……सभी तोहफों पर सास ने हक़ जमाया ,सिर्फ जो तोहफे तनु को उसके मायके से मिले वही उसके थे। अब सास की बारी आई जिन्होंने ये कहकर तनु कहत मांगा था की हमारे यहाकिसी चीज की कोई कमी नही है आपकी बेटी राज करेगी गोयल जी।
घर की साफ -सफाई से लेकर बर्तन तक का काम नोकरानी लगा रखी है तो वही करती है। रही खाने की बात तो वो मैं और रीना(तनु की छोटि ननद) मिलकर हाथ बांट दिया करेंगे। मगर ये क्या यहां यो सब उल्टा हुआ तनु के ससुराल आते ही नोकरानी को हटा दिया गया ये कहकर कि-‘”बहु सफाई बहुत अच्छे से करती है नोकरानी तो अनमने ढंग से काम करती है”।
सास ने अपना पल्ला झाड़ लिया पतिदेव भी चुप रहे।अब तो ये दिनचर्या चल पड़ी ।रोज सुबह जल्दी उठकर तनु घर की साफ सफाई करती ,फिर नहाधोकर पति को टिफ़िन देती। सास को तो बस लेटे रहने का मौका चाहिए था।ननद को अपने फैशन और मोबाइल के अलावा कोई तीसरा काम पसंद ही नही था। सास दिन भर लेटे रहती और छोटे छोटे काम के लिए भी तनु को ही आवाज लगाई जाती।
दिन भर काम से ताकि रहने के कारण बेचारी तनु न समय से खाना खाती और न सोती।इधर पतिदेव भी रात को लेट ही आते और आते ही माँ के पास बैठते ,और माँ की कहानी चालू “बेटा मैं और रीना दोनो मिलकर दिनभर घर का काम करते ह तनु को हम ज्यादा काम करने ही नही देते” लेकिन ये क्या माँ आपकी भी अब कोई उम्र रह गयी है काम करने की ।
राजेश ने कमरे मे जाते ही तनु को डांट लगाई-“ये मैं क्या सुन रहा हूं तनु माँ दिन भर काम करती है।मैं यहां तुम्हे आराम करने के लिए नही लाया।बेचारी तनु चुपचाप बैठे रह गयी कहती भी तो क्या और किससे?पति तो माँ का पूरा लाडला बेटा है।खैर उसने स्थिति को अपनाया।कुछ समय बाद नई खुशी का आगमन हुआ कि” तनु माँ बनने वाली है”।सुनंदा जी के पांव तो मानो आज धरती पर ही नही थे।
तनु ने इच्छा जाहिर की -” कि वो मायके जाना चाहती है किसी तरह अनुमति मिली और चली गयी ।मगर ये क्या कुछ दिन बाद ही डॉक्टर ने कहा के बच्चा ठीक नही है अबो्र्ट करना होगा ।तनु ने जैसे ही ये बात अपनी सास को बताई सास भी उसी को दोषी मानने लगी। अब तो ये हाल हुआ दिन भर काम और सास के ताने ….मानो यही ज़िन्दगी थी तनु की।
तनु के अंदर चिड़चिड़ापन आ गया वो हर समय गुस्सा रहती।सास मज़े में सोती या फिर टी.वी
देखती।ससुर जी भी यही कहते तनु है काम करने के लिए फिकर किस बात की ।खुशियों ने दोबारा दस्तक दी 9 महीने बाद तनु की गोद मे एक प्यारा सा बेटा आया चीकू।
सुनंदा जी बहुत खुश थी।उधर उनकी बेटी भी माँ बनने वाली थी जो कि उसी शहर मे रहती है।सुनंदा जी ने बेटी को भी अपने पास ही बुला लिया और उसकी देख रेख करने लगी।इधर तनु बहुत कमजोर हो चुकी थी।बच्चे के जन्म के 20 दिन बाद ही उसे रसोई सौंप दी गयी।ननद को भी बेटा हुआ मगर 4 दिन बाद वह अपने बच्चे को लेकर मायके आ गयी।सभी काम तनु करती और चीकू रोटा रहता।सास उसे चुप भी न करती।
ससुर कहते के… बच्चे को चुप करा दो तो सुनंदा जी यही कहती -बहु है तो सब संभाल लेगी।सबका अलग अलग कहना,कपड़े बर्तन साफ सफाई खुद तनु ही करती।सास और ननदे बस फरमाइश किया करती।सास को रोजाना तला भुना,चटपटा कहना चाहिए होता। अब तो सुनंदा जी का वजन बहुत बढ़ गया और तबियत भी खराब रहने लगी।
पर न ही तो वे व्यायाम करती न टहलती। अब राजेश जी को भी बात समझ आने लगी कि माँ कुछ भी काम न करने का बहाना ढूंढती रहती है और सब काम की ज़िम्मेदारी बस तनु के ऊपर डाली हुई है। 1 साल बाद तनु फिर गर्भवती हुई वह यह बच्चा नही रखना चाहती थी ,तो सास ने मीठी मिश्री घोलना शरू किया ,बहु अभी तो मैं हूँ तेरा ध्यान रखने के लिए और फिर हम कम्मो (कामवाली) को भी बुला लेंगे ।
पति से बात की तो पति ने चेतावनी दी कि अगर तुमने इस बच्चे को कोई भी नुकसान पहुंचाया तो भूल जाना के मैं आगे ज़िन्दगी मै तुम्हारे साथ कदम बढ़ाऊंगा।बेचारी तनु अब चीकू को भी संभालती और काम भी करती।इधर कोरोना के चलते लोकडौन लग गया ,बस फिर क्या सास को तो बहाना चाहिए था,तो उन्होंने न ही तो कम्मो को बुलाया और न ही खुद तनु की मदद करती ।बस हर किसी के मुँह से एक ही आवाज आती”बहु है तो फिकर किस बात की”
सत्य घटना पर आधारित
आज भी हममे से न जाने कितनी तनु ऐसी है जो अपनी व्यथा किसी से नही कह सकती ।और हर रोज अंदर ही अंदर घुटती रहती है।