सीधी गंगा – नीरजा कृष्णा

आज सुबह से ही दादीजी का आलाप चालू था। मीनू का कॉलेज में दाखिला हो गया था। वो जोर शोर से कॉलेज जाने की तैयारियां कर रही थी। उसकी गुनगुनाहट उनके कानों में जहर सा घोल रही थी। बहू सीमा भी बहुत खुश होकर सुबह  की व्यस्तताओं में मगन थी। उसने अचानक बेटे रोहित को पुकारा,”बेटा, जरा आना तो।आज तेरी बहन का कॉलेज में पहला दिन है…वो अपनी तैयारी कर रही है। थोड़ी मेरी मदद कर दे।”

दूसरे कमरे में पढ़ रहा रोहित मुस्कुराते हुए आ गया और अपनी माँ का हाथ बँटाने लगा। बस दादीजी का पारा गरम हो गया और चिल्लाने लगीं,”लड़के से काम कराओ और लड़की को सिर पर चढ़ाओ। ये इस घर में क्या हो रहा है?”

रोहित उनका गाल थपथपाते हुए नाश्ता करने का आग्रह करने लगा,”अरे दादी, आज तो मम्मी ने हलवा बना कर भगवान को भोग लगाया है। आप भी जल्दी से खा लो वर्ना ठण्डा हो जाएगा।”

वो चिढ़ गई थीं,”आज कौन सा त्यौहार है जो ये हलवा बना है। जरा मैं भी सुनूँ।”

रोहित ने बलपूर्वक एक चम्मच हलवा उनके मुँह में डालते हुए कहा,”आपकी पोती इतने प्रतिष्ठित कॉलेज में जाएँगी। आज उसका पहला दिन है। ये हमारे लिए किसी त्यौहार से कम है क्या?”

वो नाराज़ होकर बोली,”अरे बेटा,मीनू को घर के कामकाज सिखाने चाहिए। उसे पराए घर जाना है। लड़की जात को दबकर रहना पड़ता है।कॉलेज जाकर उल्टा सीधा सीखेगी। पर यहाँ तो उल्टी गंगा ही बह रही है।”

रोहित को मज़ा आने लगा। वो उन्हें छेड़ते हुए बोला,”उल्टी गंगा? कैसी उल्टी गंगा?अपने घर में तो गंगा सही दिशा में ही बह रही हैं।”

वो उसको धौल लगा कर बोली,”वो महारानी कॉलेज जा रही हैं और पोता सबके टिफिन पैक कर रहा है। घोर अनर्थ हो रहा है।”

अब वो अपनी दादी के पास बैठ गया और समझाने लगा,”अब समय बदल गया है। लड़का लड़की में कोई  भेदभाव नहीं रह गया है। अगर मीनू को पराए घर जाना है तो आपको भी तो पराए घर की लड़की को बहू बना कर लाना है।”

वो आश्चर्य से उसका मुँह ताक रही थीं। वो और उत्साह से बोला,”मीनू को ट्रेनिंग मिलनी चाहिए पर साथ में आपके रोहित को भी तो ट्रेनिंग मिलनी चाहिए।”

वो अचकचा कर पूछ बैठीं,”तुझे कैसी ट्रेनिंग? मैं कुछ समझी नहीं बेटा।”

वो शरारत से बोला,”पराए घर की लड़की को आदर देने की,सहयोग देने की ट्रेनिंग।”

दादीजी को हँसी आ गई… तभी मीनू चहकते हुए उनका आशीर्वाद लेने आ गई। उन्होनें झट से अपने आँचल से सौ का नोट निकाल कर  उस पर वारते हुए गले से लगा लिया।

नीरजा कृष्णा

पटना

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