रखा बहार आई —- डा.मधु आंधीवाल

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आज तो लगता है इन्द्र देवता ने पूरा पानी का टैंकर ही आसमान में खाली कर दिया है। रोनित  खिड़की से बाहर का नजारा देख कर खुशी से चीखा पायल देखो ना क्या मस्त बारिश है। पायल पास आकर बोली रोनित शहर में ये नजारा कहां देखने को मिलता था । रोनित एक सिविल इंजीनियर था सरकारी विभाग में और पायल एक बहुत अच्छी फोटोग्राफर ।अभी कुछ दिन पहले ही सरकार का प्रोजेक्ट यहाँ शुरू हुआ था । पहली बार पायल  महानगर को छोड़ कर इस इलाके में आई थी । यह इलाका धान की खेती के लिये मशहूर था । धान की खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर होती है।  

    इस गांव में अधिक तर मजदूर वर्ग है। रोनित को एक अच्छा मकान किराये पर मिल गया था क्योंकि मकान मालिक शहर में रहता था । पायल यहाँ पर सब महिलाओं को कुछ ना कुछ काम करते देखती थी । उसे लगता कि मै जरा से काम से थक जाती हूँ और ये कितना काम करती हैं । बारिश रात भर होती रही सुबह थोड़ा मौसम खुल गया । वह रोनित से बोली आज मुझे गांव के बाहर तक घुमा लाओ । रोनित भी तैयार हो गया क्योंकि दो दिन साइट पर काम बन्द था । रोनित ने जीप निकाली पायल ने अपना कैमरा गले में लटकाया और चल दी खेतों के नजारे देखने के लिये । वहाँ जाकर उसने देखा कि लड़कियां , घूंधट डाले बहुयें ,अधेड़ महिलायें सब खेतों में कुछ पौधे रोप रही हैं वह जीप से उतरी और चल दी उनकी तरफ कुछ सुन्दर फोटो लेने । वहाँ जाकर उसने पूछा ये किस फूल के पौधे हैं सारी महिलायें खूब हंसी बोली मैडम तुम ठहरी शहरी तुम ना जानत हो ये धान की पौध है। पायल बोली इसमें तो बहुत मेहनत है। एक बुजुर्ग महिला बोली बिटिया ये कोई मेहनत ना है ये पूरी साल के लिये भोजन की व्यवस्था है। हमारे पूरे परिवार इस धान की खेती पर ही आश्रित है। इतनी देर में काले काले बादल घिरने लगेऔर इसके साथ ही पायल की अंगिलियां कैमरे के बटन पर थिरकने लगी । रोनित की जीप में गाना चल रहा था ” ओ सजना बरखा बहार आई, रस की फुहार लाई “सब महिलायें खुश होकर ज़ल्दी जल्दी पौधे रोपने लगी ।

स्व रचित

डा.मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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