बारिश का महीना – बेला पुनीवाला

  बारिश का महीना चल रहा था और दोस्तों, आप सब तो जानते ही है, कि बारिश का महीना  खुशियों के साथ-साथ तूफान भी लाता है, कोई बारिश के मौसम में घर पे चाय और पकोड़े खाने का मज़ा ले रहा है, तो छोटे-छोटे बच्चे कागज़ की नाव बनाकर उसे पानी में बह जाने देते है

और ख़ुशी से वह भी बारिश में भीगते और नाचते-गाते है तो दूसरी और कोई इंसान बारिश में बह रहे अपनी झोपड़ी और सामान को देख रहे होते है और अपना सिर छुपा ने के लिए जगह ढूँढ रहे होते है। बस किस्मत-किस्मत की बात है। 

         एक रात ऐसे ही बहुत ही बारिश हो रही थी, हर जगह पानी ही पानी बह रहा था। लोग अपने-अपने घरों में बैठे हुए थे। रात का वक़्त था, बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, मैं भगवान् से यही प्रार्थना कर रहा था, कि ” है, भगवान् आज सब की रक्षा करना।

” तभी मेरे घर की घंटी बजती है, मैंने सोचा, ” इतनी रात गए कौन आया होगा ? ” मैंने दरवाज़ा खोल के देखा तो, बाहर हमारी गाडी जो रोज़ साफ़ करने आता था, उस रमेश का बेटा बिंटू जो अभी सिर्फ़ ७ या ८ साल का ही होगा, वह अपने हाथ जोड़े दरवाज़े के बाहर खड़ा था।

वह पूरी तरह से भीग गया था, नाही उसके पास रेइनकोट था, और नाही कोई छाता। वह बारिश में भीगने की वजह से थरथरा भी रहा था। मैं उसे देखते ही पहचान गया, क्योंकि कभी-कभी रमेश उसके बेटे बिंटू को गाड़ी साफ़ करने के लिए अपने साथ ही लाया करता था

मगर कुछ दिनों से उसकी तबियत ठीक नहीं थी, तो वह नहीं आता था और इन दिनों बारिश भी बहुत ज़्यादा थी तो हमारा कहीं ओर आनाजान भी नहीं होता था, इसलिए मैंने कुछ ज़्यादा उसकी छुट्टी के बारे में कुछ भी पूछा नहीं था। 



        रमेश का लड़का बिंटू बारिश में भीगने की वजह से थरथरा रहा था, मैंने उसे घर के अंदर आने को कहा, मगर उसने मना किया और कहने लगा, ” नहीं साहब, अभी मुझे अंदर नहीं आना, मेरे सारे कपडे भीगे हुए है, आपका घर गिला हो जाएगा

, मुझे आज तो बस कुछ पैसो की ज़रूरत है, अगर मुझे कुछ पैसे मिल जाते तो मैं अपने बाबा को अस्पताल ले जा सकूँ। वह बहुत बीमार है। ” मैंने कहा,  ” क्या हुआ उसे ? ” बिंटू ने कहा, ” बाबा को हफ्ते से बुखार कम नहीं हो रहा, ऊपर से ख़ाँसी भी इतनी आ रही है,

कि अब तो उनसे बोला भी नहीं जाता, डॉक्टर ने अस्पताल भर्ती कराने को कहा है, ऊपर से बारिश की वजह से हमारे घर में भी बहुत पानी आया है, सारा सामान भी पानी में बह गया, कुछ भी हाथ नहीं आया। इसलिए अगर कुछ पैसे बाबा के इलाज के लिए मिल जाए तो,

आपकी बहुत-बहुत मेहरबानी होगी। बाबा के ठीक होते ही मैं आपके वहांँ जो भी काम होगा, वह काम करके आपके पैसे चूका दूंँगा, मगर मेरे बाबा को बचा लीजिए, उनके सिवा इस दुनिया में मेरा कोई नहीं।” मुझे उस बेचारे पे बड़ी दया आ गई। मैंने बिटू से पूछा,

” कहाँ है तेरे बाबा ? ” बिंटू ने हाथों के इशारे से दूर झोपड़ी के नीचे लारी को दिखाते हुए कहा, कि वही सामने वाली झोपड़ी के नीचे है। मैंने उस से कहा, ” अरे, पहले क्यों नहीं बताया, तू उसे साथ मैं लेकर आया है। चल मैं देखता हूँ, मैं अपना छाता लिए उस झोपड़ी की और बढ़ा, मैंने देखा तो रमेश सच में अध् मरी हालत में था। मगर रमेश अब भी ख़ास रहा था, उसके मुँह से खाँस्ते-खाँस्ते खून निकल रहा था।  



       मैंने एम्बुलेंस बुलाई और रमेश को अस्पताल भर्ती करवाया, उसका इलाज शुरू करवाया। उसके बेटे बिंटू को मैंने दिलासा दिया, कि ” तेरे बाबा ठीक हो जाएँगे। तू रो मत। दो दिन तक उसका इलाज किया मगर वह बेचारा नहीं बच पाया।

” डॉक्टर ने कहा, ” आपने इन्हें अस्पताल लाने में बहुत देर कर दी। ” रमेश का बेटा बिंटू फुट-फुट कर रोने लगा, उसके बाद मैंने उसके बेटे को अपने यहाँ काम पे लगा दिया और साथ में उसका सरकारी स्कूल में दाखिला भी करा दिया।

मेरी छोटी-मोटी नौकरी थी और बीवी और एक बेटी के साथ रहता था, इसलिए अब बिंटू को भी अच्छे स्कूल में पढ़ा सकूँ, इतना पैसा मेरे पास नहीं था, मगर उसकी जितनी भी मदद हो सके उतना मैं कर दिया करता। बिंटू ने भी मन लगाकर घर का काम भी किया

और साथ में पढाई भी की। आज वह सरकारी ऑफिस में काम करता है। मगर जब से वह कमाने लगा है, तब से मेरी दवाई का खर्चा अब वही उठा रहा है और घर का सारा सामान भी वही ला देता है। कहता है, कि आपका क़र्ज़ में मरते दम तक नहीं  भूलूँगा,

अगर आप नहीं होते तो मेरा क्या होता ? उस रात बारिश में आप नहीं होते, तो अपने बाबा के साथ मैं भी बह जाता। वह तो भगवान बन के आप हमारी ज़िंदगी में आए और मुझे सहारा दिया। आपका एहसान मैं कभी नहीं भूलूँगा और कभी आपको छोड़ के नहीं जाऊँगा।

” मुझे और मेरी बीवी को भी उस से बहुत लगाव हो गया था, मैंने अपनी बेटी रीमा की शादी बिंटू से ही करवा दी, अब हम सब साथ में ही रहते है। बिटू आज भी हमारी बहुत सेवा करता है। शायद एक बेटे से भी ज़्यादा। भगवान् अच्छे कर्म का फ़ल अच्छा ही देता है।  

       आज भी वैसे ही बारिश हो रही है और बिंटू बारिश में अपनी परवाह किए बिना गरीब लोगों की मदद के लिए हर साल की तरह पहुँच जाता है, ताकि इस बारिश में किसी ओर के बीमार बाबा को अस्पताल ले जाने में देरी ना हो जाए और वह उनकी जान बचा सके। मैं भगवान् से उसकी और सब की रक्षा के लिए आज भी प्रार्थना करता हूँ। 

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