जो बोओगे वही काटोगे

 

महेश बाबू अपने 60 साल के बैंक के नौकरी से आज रिटायर हो गए थे। अब उन्हे समझ नहीं आ रहा था की वो अपनी बाकी की जिंदगी कैसे काटेंगे। क्योकि अब नौकरी तो है नहीं पूरा दिन कैसे बीतेगा। उन्होने निश्चय किया कि अपने आस पास के गरीब बच्चो को पढ़ाएंगे।

अगले दिन से ही अपने घर कि बालकनी मे स्कूल चलाना शुरू कर दिया था। आस-पास के बच्चे आने शुरू हो गए थे। एक दिन अचानक महेश बाबू कि पत्नी रमा की तबीयत बहुत खराब हो गई। नजदीक हॉस्पिटल मे भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने कहा कि इन्हे बड़े शहर ले जाना पड़ेगा इनके किडनी मे इनफेक्शन है।

महेश बाबू अपने बेटे को फोन लगाया जो कि नोएडा मे सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। बेटा बोला पापा मम्मी को आज कि ट्रेन से लेकर आ जाओ यहा किसी बड़े हॉस्पिटल मे इलाज करा देंगे।

महेश बाबू अगले दिन ही अपनी पत्नी रमा को लेकर बेटे के पास चले आए।महेश बाबू की पत्नी का इलाज बड़े हॉस्पिटल मे होने लगा लेकिन फिर भी बचाया नहीं जा सका।



अब शहर मे महेश बाबू का मन नहीं लगता था तो बेटे से बोला की बेटा तुम मुझे गाँव पहुचा दो। वहाँ बच्चो को पढ़ाऊंगा तो मेरा भी मन लग जाएगा।

लेकिन बेटा बोला पापा आप वहाँ जाकर क्या करेंगे। महेश बाबू के बेटा भरत ने उसकी खूब सेवा करनी शुरु कर दी और हर प्रकार से देखभाल की। पिता ने भी देखा कि बेटा कितना ख्याल कर रहा है। महेश बाबू ने एक दिन भरत को अपने पास बुलाया और अपनी सारी जायदाद उसके नाम करदी। सब कुछ मिल जाने के बाद अब भरत के बरताव में परिवर्तन आना शुरु हो गय। वो बाप की अवहेलना करने लगा और अपनी पत्नी से भी कह दिया कि पापा जब भी कुछ मागें उसको मत देना।

महेश बाबू की हालत दिन प्रति दिन बिगड़ती चली गई। एक ओर स्वास्थ्य खराब रहने लग और दूसरी ओर भरत ने उसके लिए घर से बाहर टूटी हुई खाट डाल दी और ओढ़ने के लिए उस पर एक टाट बिछा दिया। महेश बाबू अब अपने दिन वहीं पर काटने लगा। भरत की पत्नी का व्यवहार तो भरत  से भी खराब था। वो तो बात बात पर गाली पर उतर आती थी। भरत का लड़का यह सब देख रहा था ओर उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।



आख़िर एक दिन महेश बाबू  की भी मृत्यु हो गई। बाप के मरने पर दुनिया को दिखाने के लिये भरत बहुत रो रहा था। भरत के पत्नी  के तो आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। यह सब देख कर भरत का लड़का एक अजीब उलझन में पड़ गया।

दाह संस्कार करने के बाद भरत घर लौटा। जब अड़ौसी पड़ौसी चले गए तो दुलारी से अकेले में बात कर के बाहर आया और खाट और टाट को उठाने लगा। भरत के लड़का के पूछने पर कि वो उन चीज़ों का क्या करेगा तो भरत बोला कि वो उसको बाहर फैंक देगा।

इतना सुनना था कि भरत का लड़का एकदम बोल उठा।

“पिताजी उस खाट और टाट को संभल कर रख लीजिएगा। उसे मत फैंकना क्योंकि जब आप बूढ़े होंगे तो यह सब आपके काम आएँगे।”

दोस्तो जो हम अपने माँ-बाप के लिए करते उसका ब्याज समेत हमे वापस मिलता है। अगर बुरा करेंगे तो ब्याज समेत मिलेगा और अच्छा करेंगे तो ब्याज के इनाम भी मिलेगा। इसलिए अपने बुजुर्गो की देखभाल करे।

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