मायके का सुख ससुराल में कभी संभव नहीं

राधिका ग्रेजुएशन करने के बाद LLB पढ़ना चाहती है इसके लिए LLB  की तैयारी कर रही थी। 1 दिन अचानक राधिका की मौसी आई और वह साथ में एक लड़के का फोटो भी लेकर आई।  राधिका के मम्मी पापा से उन्होंने इस लड़के से शादी करने की बात कही। राधिका से जब शादी के बारे में राधिका के माँ  ने कहा। राधिका ने साफ-साफ शादी करने से मना कर दिया। सबसे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी इसके बाद ही शादी करना चाहती थी वह अपने आप को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि शादी के बाद अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी पति के आगे हाथ फैलाना पड़े वह स्वनिर्भर होना चाहती थी। 

 लेकिन राधिका को घरवालों के दबाव के कारण शादी के लिए हां करना ही पड़ा क्योंकि लड़का सरकारी नौकरी करता था और दहेज की डिमांड भी बहुत कम था.। इसलिए राधिका के पापा एक बार में ही शादी के लिए हां कर दिए थे क्योंकि राधिका से छोटी उसकी तीन बहनें और थी।  इस जमाने में सरकारी नौकरी करने वाला लड़का इतना आसानी से कहां मिलता है। 



अगले सप्ताह राधिका के घर के पास ही एक धर्मशाला था वहीं पर राधिका को देखने के लिए लड़के वाले आने वाले थे और उसके बाद वहीं पर छोटा सा पार्टी कर  सगाई का रस्म भी निभा दिया जाएगा। 

रविवार का दिन था राधिका के घर वाले पहले से ही धर्मशाला में पहुंच चुके थे, लड़के  वाले भी कुछ देर के बाद आ गए लड़का देखने में काफी खूबसूरत था और राधिका तो खूबसूरत पहले से ही थी।  राधिका की तीनों बहनें भी बहुत खूबसूरत थीं। लड़के वाले ने एक पल में ही राधिका को देखकर हां कर दिया फिर क्या था कुछ देर के बाद ही सगाई का रस्म निभाया गया और अगले छह महीने बाद शादी की तारीख तय कर दी गई। 

उस दिन के बाद से राधिका और मोहित  एक दूसरे से फोन पर बात करना शुरू कर दिया था वो रोजाना  रात मे 2 से 3 घंटा तो बात करते ही थे। 

राधिका के ससुराल में मोहित के अलावा कोई नहीं था।  मोहित से बड़ी बहन की शादी पहले ही हो घुकी थी। राधिका की होने वाली सास भी रोजाना राधिका को फोन करती थी और कहती थी जल्दी से राधिका तुमने हमारे घर आ जाओ क्योंकि हम तो यही सोच रहे हैं कि हमारे घर हमारी बहू नहीं बल्कि हमारी बेटी आ रही है यह सुनकर राधिका बहुत खुश हो जाती थी सही  ससुराल मिल रहा है कितना अच्छा परिवार मिल रहा है जहां पर बहू की बेटी कह संबोधित किया जाता है। 

6  महीने कब बीत गए पता ही नहीं चला राधिका की शादी हुई और वह अपने ससुराल में आ गई।  राधिका तो यही सोच रही थी कि वह अपने ससुराल में बहु नहीं बल्कि बेटी की तरह रहेगी क्योंकि उसके सास हमेशा यही कहती थी इस घर तुम  बहू नहीं बल्कि बेटी बन कर आओगी। 



शादी के दूसरे दिन ही सारे मेहमान जा चुके थे राधिका की बड़ी ननद  वर्षा सिर्फ अभी रुकी हुई थी वह भी एक-दो दिन में जाने वाली थी। राधिका अपने कमरे में बैठी हुई थी तभी वर्षा  राधिका के कमरे में आई और राधिका से कहा, “मैं तो कल चली जाऊंगी अब इस घर को तुम्हें ही संभालना है। इस घर में अब लोग ही कितने हैं तुम्हारे लेकर सिर्फ 4 लोग ही तो हैं मम्मी पापा और भाई।  मैं यही चाहती हूं कि तुम इस घर में बहू की तरह नहीं बल्कि बेटी की तरह रहो।” 

बर्षा ने कहा देखो राधिका  सुबह जल्दी सो कर उठना. मां को देर तक सो कर उठना पसंद नहीं है।  रात को भी जब सारे घर के काम निपटा लेना तो मां को पैर दबा कर ही सोना हम लोग भी अपने ससुराल में ऐसा ही करते हैं। 

राधिका सिर्फ हां में हां मिलाती रही। 

राधिका अपने ससुराल में हर वो चीज करती थी जो उसके मां ने कहा था या उसके ननद कह कर गई। वह  सब कुछ करती ताकि वह बहु से बेटी बन सके। अपने मायके में तो उसने कभी चाय भी नहीं बनाया था लेकिन यहां वह सब कुछ करती थी।  शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसके पति मोहित का दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया तो वह वही जाकर रहने लगा। 

लेकिन कहा जाता है ना ससुराल हमेशा ससुराल ही  होता है वह कभी मायका बनी नहीं सकता वही अब राधिका के साथ होना शुरु हो गया था। 

 मोहित को वहां से जाते ही अब राधिका की सास राधिका के हर काम में कोई ना कोई कमी निकाल ही लेती थी।  हर बात पर यही कहती थी, तुमने मायके में कुछ सीखा नहीं है क्या? एक मां का फर्ज होता है कि अपनी बेटी को शादी करने से पहले उसे घर के सारे काम सिखा दे पता नहीं तुम्हारे मां ने बस ऐसे ही भेज दिया। 



 राधिका को ऐसे लगता था कि वह अपने ससुराल में नहीं बल्कि वह एक जेल में बंद हो गई है।  उसकी सारी इच्छाएं दबा दी गई उसे कुछ भी करने की इजाजत नहीं थी, अगर उसे कोई साड़ी भी पहनना होता था।  वह भी अपनी सास से पूछ कर पहनना पड़ता था। सास कहती थी आज यह साड़ी पहनो तो ही पहनना है और घर में सलवार सूट पहने की तो इजाजत ही नहीं थी। 

 राधिका को  अब इस घर में घुटन सी महसूस होने लगी थी मन ही मन सोचती थी क्या कोई अपनी बेटी के साथ ऐसा करता है वह इस चीज को स्वीकार कर चुकी थी सच में कभी भी कोई बहू बेटी नहीं बन सकती है। 

राधिका को कभी कुछ खाने को मन करता तो राधिका की सास  यही कह कर मना कर देती थी कि वहां हमारा बेटा सुखा पका खा रहा है और तुम यहां यह सब खाओगी जब मोहित यहां पर आएगा उसी दिन बनेगा।

 मोहित से जब फोन पर बात होती तो वह यहां की सारी बातें मोहित को बताती लेकिन मोहित भी राधिका की बातों को सिर्फ सुनता था उसके बाद सिर्फ हूं हूँ कर  करके बातों को टाल देता था। 

राधिका की शादी के 6 महीने से भी ज्यादा हो गए राधिका को अब बिल्कुल ही ससुराल में मन नहीं लग रहा था उसने सोचा कुछ दिनों के लिए मायके मे चली जाएगी उसने अपनी मां से भी कहा। माँ कुछ दिनों के लिए अपने पास बुला लो । 



 जब राधिका के माँ ने  राधिका के सास को फोन किया तो राधिका के सास  ने राधिका को भेजने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा बहन जी अब राधिका को तो यही रहना है और पूरी जिंदगी तो आपके पास ही रही है चली जाएगी मायके अभी 6 महीने ही तो हुए हैं आए हुए। 

 राधिका ने मन बना लिया था अब वह  यहां नहीं रहेगी उसने अपने पति मोहित से कह दिया था कि मोहित अगले सप्ताह जब तुम यहां आओगे तो मैं तुम्हारे साथ ही तुम जहां रहते हो वहीं रहूंगी।  क्योंकि मेरी शादी तुम्हारे साथ हुई है आपके साथ रहने का मुझे पूरा अधिकार है। 

मोहित अपनी मां के आगे बिल्कुल ही शांत रहता था उसके आगे उसकी एक भी नहीं चलती थी लेकिन राधिका के दबाव के कारण उसने अपनी मां से राधिका को अपने साथ रहने की बारे में पूछा.। मोहित ने कहा कि मां मुझे वहां खाना बनाने में बहुत दिक्कत हो रहा है और मैं बाहर का खाना खाते खाते भी थक चुका हूं जिससे मेरी सेहत भी खराब हो रही है। 

 राधिका के सास राधिका को अपने पति के साथ जाने के लिए मना नहीं कर सकी।  राधिका अब अपने पति मोहित के साथ रहने लगी थी। राधिका कुछ दिनों बाद ही मां बनने वाली थी इसकी खबर मोहित ने अपनी मां को दिया यह सुनकर मोहित की मां बिल्कुल भी खुश नहीं हुई।  मोहित ने कहा मां अब राधिका से कुछ हो नहीं पाता है मैं चाहता हूं कि तुम और पापा दोनों लोग यहीं पर आ जाएं इससे राधिका को भी देखभाल हो जाएगा। 

 इतना सुनते ही राधिका के सास  रोहित पर भड़क गई उसने कहा राधिका हमारे साथ थी तो तुम जल्दी से उसे अपने साथ ले गए ऐसा लग रहा था जैसे हम राधिका के साथ कितना जुल्म कर रहे हैं.। राधिका ने तुम्हें पट्टी पढ़ा दी थी और तुम राधिका को अपने साथ लेते गए मुझे नहीं पता था कि तुम भी जोरू का गुलाम निकलोगे।  1 साल भी तो बहू को हमारे साथ नहीं रहने दिया। सुनो हम अपना घर छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले तुम राधिका को यहीं पर पहुंचा जाओ। 



मोहित भी आखिर क्या करता नौकरी भी जरूरी था उसने राधिका को अपने मां-बाप के पास पहुंचा दिया।  जबकि राधिका मना कर रही थी वहां जाने के लिए वह कह रही थी यहीं पर मैं अपनी मां को बुला लेती हूं।  मोहित ने कहा राधिका कैसी बात करती हो तुम्हारी मां यहां पर आएंगी तो मेरी मां क्या सोचेगी। 

 राधिका ने कहा तो फिर मुझे ही मेरे मायके पहुंचा दो।  मोहित ने कहा ऐसा नहीं हो सकता राधिका कुछ दिनों की ही तो बात है तुम मम्मी पापा के पास चले जाओ। 

राधिका अपने सास-ससुर के पास आ तो गई थी उसे लगा था कि सास उसकी सेवा करेगी लेकिन यहां सास खुद ही अपनी बीमारी का बहाना बनाकर दिन भर बेड पर लेटी हुई रहती थी ताकि राधिका देखकर अपनी सास से कुछ भी न कहे।  जब वह मोहित से कुछ भी कहती मोहित कहता बस कुछ दिनों की बात है बस निकाल लो। 

 1 दिन राधिका कपड़ा धोकर सुखाने के लिए छत पर जा रही थी।  सीढ़ियों से पैर फिसला और राधिका नीचे गिर गई। तुरंत राधिका को पास के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जांच के बाद पता चला कि राधिका का मिसकैरेज हो चुका है। 

मोहित भी 2-3 घंटे मे हॉस्पिटल में पहुंच चुका था डॉक्टर ने मोहित को अब राधिका को कम से कम 5 साल तक माँ बनने से मना कर दिया था अगर माँ बनेगी तो जच्चा और बच्चा दोनों  को रिस्क रहेगा।  

हॉस्पिटल से निकालने  के बाद राधिका अपने ससुराल जाने मना कर दिया वह सीधे वहीं से मोहित के पास चली गई। 

राधिका ने अपनी मां को देखभाल करने के लिए अपने पास ही बुला लिया था राधिका को अपने सास  से नफरत सी हो गई थी वह सोचती थी कि शादी से पहले कितनी अच्छी बातें करती थी कि तुम इस घर में बहु नहीं बल्कि बेटी बनकर आ रही हो और यहां आने के बाद बेटी का फर्ज तो नहीं निभाया।  कम से कम बहु का सुख ही दे देती। 

राधिका मिसकरेज की वजह से डिप्रेसन मे चली गई थी। मोहित राधिका का डिप्रेसन  दूर करने के लिए, राधिका को फिर से एलएलबी की तैयारी करने के लिए कहा। राधिका को भी लगा कि खाली बैठने से अच्छा है एलएलबी की तैयारी कर लेते हैं और उसने कुछ सालों बाद एलएलबी की डिग्री लेकर उसी शहर में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया था। 

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