ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(भाग 3) – नीलम सौरभ
Post View 15,141 कार रुकी तब उतरते ही मैं चौकन्नी होकर चारों तरफ देखने लगी कि कहाँ आ गयी हूँ मैं। एक छोटे से मगर सुन्दर बंगले के सामने थे हम सब। सारा परिदृश्य एकदम सामान्य लग रहा था। साफ-सुथरी, शान्त-सी हरी-भरी कॉलोनी थी। आम मध्यम-वर्गीय रहन-सहन वाली। देबाशीष की माँ ने बेटे को उनकी … Continue reading ये रिश्ते दिलों के रिश्ते!(भाग 3) – नीलम सौरभ
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