Moral stories in hindi : मैंने अपने शहर के स्कूल से १२ वी की परीक्षा पास कर ली थी । मेरे पापा व बाबा की इच्छा थी कि मैं लॉ करूँ । मेरे पापा की शहर से लगी हुई खेती थी .हमारे पास अच्छी ख़ासी ज़मीन है ,मेरे पापा संपन्न किसान है ।
हाँ तो पापा व बाबा की इच्छा का मान रखते हुए मैंने इंदौर के कॉलेज में एडमिशन ले लिया । पढ़ने में मैं ठीक ही हूँ ,इसलिए सब सेमिस्टर पास होता चला गया । अब मैं फाइनल ईयर में आ गया था , दो सेमिस्टर बचे थे । तभी बाबा का सपना जागा बोले “ बेटा तुम सिविल जज के एग्जाम की तैयारी करो ।
मैंने कहा “ नहीं बाबा मैं प्रैक्टिस करूँगा ,ये एग्जाम मेरे बस की नहीं है ।
“अरे तुम तो पहले से ही हार मान बैठे “, फिर पापा से बोले “मोहन इसको अच्छी सी कोचिंग में एडमिशन दिलाओ ,ये एग्जाम की तैयारी करेगा । “
पापा बाबा की कोई बात नहीं टालते थे ,उन्होंने कहा “रवि तुम तैयारी तो करो ,बाबा का मन रह जायेंगा ।”
अब मैं फिर बाबा का मन रखने के लिये तैयारी करने लगा । पर अब समस्या आई रहने की , अभी तक तो मैं कॉलेज के हॉस्टल में रहते था ,लेकिन वहाँ आने जाने के टाइम फिक्स थे । कोचिंग के टाइम एडजस्ट करने में दिक़्क़त होती ।
हमारे कुछ मित्र बँगलो के पीछे बने कमरों में रहते थे ,उन में से एक मित्र ने एक कमरे का पता दिया था । बँगले के अंकल बड़े तेज थे , लेकिन सब बात तय कर कमरा मुझे मिल गया । कोचिंग व कॉलेज ज़्यादा दूर नहीं थे , मेरे पास स्कूटी भी थी । इंदौर में खाने की कोई दिक़्क़त न थी , मैंने एक जगह से टिफ़िन लगा लिया था ।
जैसे मैंने पहले बताया कि मैं पढ़ने में औसत ही हूँ ,पर तैयारी करने लगे सिविल जज एग्जाम की ।
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हमारे मकान मालिक तो तेज थे ही ,उनकी पत्नी भी कम न थी । उनके घर में उनकी एक बेटी दिखती थी ,और व्हील चेयर पर बैठी एक बुजुर्ग महिला , जो अंकल की माताजी थी । जो अक्सर बाहर बैठी रहती थी ।
मकान मालकिन अपनी मेड से मेरा कमरा भी साफ़ करवा देती थी ।
एक दिन उनके घर में बड़ी गहमागहमी थी । शायद कोई छोटा मोटा फंक्शन था । रात के १० बजे गाड़ियों की आवाज़ से लगा कि जो लोग आए थे ,चले गए । करींब आधे घंटे बाद मेरे कमरे के दरवाज़े पर ठक ठक हुई ,पहले मुझे लगा मेरा वहम है , क्योंकि मेरे कमरे में इतनी देर से कोई आता नहीं ।फिर दूसरी बार आवाज़ आने पर मैंने पूछा “कौन है ?”
“हम है भैया जी ।”आवाज़ आई ।
अब मैंने दरवाज़ा खोला , देखा तो एक सुंदर सी पर साधारण से कपड़ों में लड़की हाथ में प्लेट लिए खड़ी थी ।
“भैया जी मैडम ने आपके लिए भेजा है अंदर रख दूँ ।”
“हाँ “कह कर मैं दरवाज़े से हट गया ।
“वो क्या है न आज दीदी की शादी पक्की हुई तो मैडम जी ने आपके लिए ख़ाना भेजा है । “ वो लड़की बोली ।
“पर मैं तो खा चुका । “ मैंने बोला ।
“अरे भले ही कुछ न ख़ाना पर ये खीर ज़रूर खा लेना ।” लड़की बोली ।
मुझे आश्चर्य हो रहा था ,क्योंकि उन्होंने आज तक मेरे लिए कुछ नहीं भेजा था ।
फिर मैंने पूछ ही लिया “मैंने आपको कभी देखा नही ।”
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“वो भैया जी साहब की माताजी है न ,उनके पैरों में दिक़्क़त है ,तो रात की शिफ्ट में मैं उनका ध्यान रखती हूँ । वो बोली ।
फिर रुक कर बोली “आप क़ानून की पढ़ाई कर रहे है न ,माता जी ने मुझे बताया । “
“हाँ !” मैं बोला ।
“भैया जी उन्होंने आपके पास एक संदेशा पहुँचाया है ।”
“क्या ?” मैंने पूछा ।
“आपको उनकी बेटी को न्याय दिलाना है ।” लड़की बोली ।
“कैसे ?”पता नहीं क्यों मुझे अजीब सा डर लग था ,और मेरे मुँह से आवाज़ बड़ी मुश्किल से निकल रही थी ।
“वो माताजी की बेटी , याने आपके अंकल की बहन, माताजी की बड़ी लाड़ली थी , उसे एक लड़के से प्यार हो गया । जब साहब को पता चला तो वो बहुत नाराज़ हुए ।लड़का सामान्य घर से था ।लड़के के पिता की क्लॉथ मार्केट में लक्ष्मी साड़ी सेंटर नाम से दुकान है ।
साहब अपनी बहन की शादी अपने ठेकेदार मित्र से करना चाहते थे , उस समय इस कमरे का काम चल रहा था । वो ठेकेदार ही काम देख रहा था ।
साहब की बहन ने उनके न मानने पर कोर्ट मैरिज की धमकी दी थी । माताजी के कहने पर साहब लड़के से मिलने को तैयार हो गए ।साहब ने चाल चली ,लड़के को घर बुलाया और चाय में कुछ मिला कर पिला दिया , और उसकी लाश को इस कमरे के साइड में गाड़ दिया ।
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बहन ने पुलिस को बताने की धमकी दी तो उसे बहुत मारा पीटा व कहा तुम्हें भी मार देंगे ।तुम अपनी मर्ज़ी से शादी कर समाज में हमारी नाक नही कटवा सकती थी ,अब हमने उसे ही ख़त्म कर दिया है ।
अब जल्द ही तुम्हारी शादी ठेकेदार से कर देंगे । लेकिन उनकी बहन ने आत्महत्या कर ली ।
उस लड़के के पिता ने रिपोर्ट लिखा कर अपने बेटे की खोजबीन की बहुत कोशिश की ।लेकिन साहब ने पैसा खिला कर केस ही बंद करवा दिया ।
भैया जी आज माताजी बहुत दुखी है ,क्योंकि साहब अपनी बिटिया की शादी उसके पसंद के लड़के से ख़ुशी ख़ुशी कर रहे है ,उन्होंने मुझसे आपसे विनती करने को कहा है , कि आप जज बन कर उनकी बिटिया को न्याय दिलाये । “
अब तो मेरी घिग्घी बन गई थी ।
भैया जी अब मैं चलती हूँ ,ये खीर ज़रूर पी लेना । अब खीर का बाउल मेरे हाथ में था ,उसके स्वर में ऐसा आग्रह था कि मैं पूरी खीर पी गया ।
उसके जाने के बाद मैं बेसुध सो गया ।
सुबह जागा तो कल के बर्तन ग़ायब थे । मुझे कल की सारी बात याद थी ।सपना तो नही था वो । पता नहीं कितनी सच्चाई थी इस बात में ।
जिस मित्र ने कमरा दिलवाया था ,उससे से भी ऐसे ही सतही तौर पर जानने की कोशिश की ,पर वो भी अंकल को ज़्यादा दिन से नहीं जानता था ।
मेरे आख़िरी सेमिस्टर पास ही था । आश्चर्य की बात मुझे इस साल सबसे ज़्यादा नंबर मिले थे । कोचिंग का कोर्स हो चुका था । एग्जाम में अभी समय था । मैंने अपने शहर जाकर घर से ही पढ़ने का निर्णय लिया । कमरा छोड़ते समय मैं जब मकान मालिक को चाबी दे रहा था ,तो उनकी माताजी कि आँखो में मुझे याचना दिखी ।न जाने कैसे मैंने भी आँखो से ही उन्हें दिलासा दे दी ।
इसके बाद सब कुछ ऐसे हुआ जैसे कोई ईश्वरीय शक्ति मेरे साथ थी । एग्जाम इण्टरव्यू सब यंत्रवत होते गए ।
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मेरी ट्रेनी जज के रूप में इंदौर में पोस्टिंग हो गई । मैं उस रात की बात भूला नहीं था । सबसे पहले उस लड़की के बताए अनुसार मैं उस लड़के के पिता से लक्ष्मी साड़ी सेंटर जाकर मिला । उसे समझा कर दूसरा केस दर्ज करने का कहा उनके क्षेत्र के टी आई को सारा क़िस्सा बताया इत्तेफाक से वो मेरा क्लासमेट निकला । फिर उस जगह की खुदाई के आदेश के कागज़ लेकर उनके घर पहुँचे । पहली बार मैं उनके ड्राइंग रूम में आया था । तभी दीवार पर एक लड़की की फोटो पर मेरी नज़र गई ,ये तो उस रात वाली लड़की की फोटो थी । लड़के के पिता हमारे साथ थे ,बोले “साहब यही है वो लड़की की फोटो जिसे मेरा बेटा चाहता था । इसने आत्महत्या कर ली थी ।”
अब मुझे समझ आया उस रात ये ख़ुद ही आपने साथ हुए अन्याय की गुहार लेकआर आयी थी । फिर भी वो सब सोच मेरे तो होश उड़ रहे थे ।एक ग्लास पानी पीकर मैंने अपने आपको संयत किया ।
पहले तो वो अंकल माने नहीं ,मुझे पहचान गए तो बोले “अरे आप तो मुझे जानते है , मैं क्यों किसी की हत्या करूँगा । “
लेकिन कोर्ट के आदेश के अनुसार हमें खुदाई करनी पड़ेगी । मैं बोला ।
और सच में कुछ फीट खोदने के बाद कंकाल मिल गया । लड़के के पिता बिलख पड़े ।इसके बाद डीएनए टेस्ट में भी वो उनका ही बेटा साबित हुआ । अंकल की माँ ने उनके ख़िलाफ़ गवाही दी । अंकल आंटी को सजा मिली ,ठेकेदार को भी उसके किए के अनुसार सजा मिली ।
ये घटना के बाद जितने साल मैंने नौकरी की ,मेरी क़लम से किसी बेगुनाह को सजा नहीं मिली ।मैंने खूब तरक़्क़ी की ,मैं मानता हूँ ,किसी अदृश्य शक्ति ने किसी केस में अटकने पर सही निर्णय लेने में मेरी सदा मदद की ।
स्वरचित
बरखा शुक्ला