उम्र कोई भी हो,,आत्मसम्मान के लिए स्वयं कदम बढ़ाना होता है –    नीतिका गुप्ता

आंटी जी, कुछ मदद कर दूं आपकी.. आंटी का दरवाजा खुला था और वह अपने हॉल में कुर्सियां और मेज जमा रही थीं। सूची ने सोचा शायद कुछ प्रोग्राम है इसीलिए आंटी सब कर रही हैं… पड़ोसी होने के नाते सूची ने सुमन जी से पूछा! “नहीं नहीं बेटा बस हो ही गया है,, बस … Continue reading उम्र कोई भी हो,,आत्मसम्मान के लिए स्वयं कदम बढ़ाना होता है –    नीतिका गुप्ता