ऊँची दीवारों का दर्द-  सुनीता मिश्रा

Post View 160 चतुर्थी का चाँद आसमान पर था।हल्का उजास ज़मीन पर छितरा हुआ था। रात आधी बीत चुकी थी।हवेली के सामने पहुँचकर उसने घोड़े की लगाम खींची ।हवेली के बाहर चारों ओर से उँची दीवारों का परकोटा बना हुआ था।घोड़े से उतर कर लगाम हाथ में पकड़े हुए वो हवेली की ओर कुछ समय … Continue reading ऊँची दीवारों का दर्द-  सुनीता मिश्रा