“तिरस्कृत कब तक” – कुमुद मोहन

Post View 5,611 सुरेशबाबू घर में घुसे तो बहुत खुश थे” बहुत खुश नज़र आ रहे हो क्या कोई लॉटरी निकल आई है” कहकर किचन से हाथ पोंछते हुए मीता बाहर निकली! “अरे भाई लॉटरी ही समझो वो पूना से मन्नो जीज्जी का फोन आया उनके जेठ का लड़का अमेरिका में बड़ी कंपनी में काम … Continue reading “तिरस्कृत कब तक” – कुमुद मोहन