Post View 12,257 “ये लो,,महारानी अब पानी भरने जा रही है- “ “अरे रात भर पता नहीं कहाँ मुँह काला करने जाती है, तो सुबह कहां से नींद खुलेगी,,,” “कुलच्छनी,, हुंह,,,,” श्यामली पानी लिए बगैर लौट रही थी, तभी मोहल्ले की स्त्रियों की ये फब्तियां उसके कानों में पड़ी। ये रोज़ की बात थी, श्यामली … Continue reading तेज़ाब – नम्रता सरन “सोना”
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