मदर्स डे – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

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यह दिन मुझे बहुत तड़पाता है इसलिए नहीं की मुझे मेरी ‘मां’ की याद आती बल्कि एक मासूम सा भोला भाला बच्चा याद आता है बहुत पुरानी बात है 2003 की बात। नौसेरा बार्डर पर रोज कोई न कोई हादसा होना सामान्य था।इसी वजह से कभी बात होती थी तो कभी नहीं भी हो पाती … Read more

दिखावे की जिंदगी – दिव्या चाँदवानी : Moral Stories in Hindi

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सीमा  मेरी बचपन की सहेली हमेशा से ही दिखावे में बहुत विश्वास करती थी l हर तीज त्योहार से लेकर छोटे-छोटे मौके पर नए कपड़े और नए सामान लेना उसकी आदत में शामिल था उसकी आदत से उसके माता-पिता भी परेशान रहते थे लेकिन फिर भी यह सोचते की धीरे-धीरे वक्त के साथ उसके व्यवहार … Read more

दिखावे की जिंदगी – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

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रोटरी क्लब में आज सर्वश्रेष्ठ जोड़े को खूबसूरत ड्रेसिंग वाले महिला पुरुष को प्रतियोगिता के आधार पर पुरस्कार मिलने वाला है… मयंक और मै दोनों अच्छे से तैयार होकर बाकी जोड़ों की तरह बेस्ट पेयर चुने जाने की उम्मीद लिए गए थे… मन में अनगिनत झंझावात समेटे कभी कभी #दिखावे की जिंदगी #को जीते हुए … Read more

दिखावे की जिंदगी – राजेश कुमार : Moral Stories in Hindi

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अमीरचंद नाम के ही अमीर नहीं थे धन दौलत जमीन जायदाद हर उस चीज के मालिक थे जो एक धनाढ्य की पहचान होती है। बस नहीं था तो एक दिल जो किसी के काम आ सके। वैसे वो कई मंदिर कई संस्थाओं के ट्रस्टी थे। जहां कही भी नाम आ सके वहां वो अपने धन … Read more

जीना इसी का नाम है – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

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शादी से पहले बहुत समझदार व सुलझा हुआ व्यक्तित्व माना जाता था उसका । भाभी हो मौसी हो दीदी या बहन की दोस्त ही ,सब परेशानी में सलाह उससे ही माँगते थे । जब कभी वो कहती कि इस मामले(शादी, बच्चे आदि)  में मैं कैसे कुछ कह सकती हूं तो जबाब होता कि नहीं आपकी … Read more

दिखावे की जिंदगी – डाॅ संजु झा। : Moral Stories in Hindi

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आधुनिक समय में दिखावे की जिंदगी के लिए कभी-कभी व्यक्ति पैसे कमाने की चाहत में अंधा हो जाता है।हालात और परिस्थितियाॅं भी उसके लिए जिम्मेदार होती हैं, परन्तु अंत में पछतावा ही हाथ लगता है। दिखावे की जिंदगी में आज व्यक्ति अपनी इच्छाओं और महत्वकांक्षाओं का गुलाम बन बैठा है। एक-दूसरे से दिखावे की होड़ … Read more

आखिर माँ जो हूँ – सुधा भार्गव : Moral Stories in Hindi

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मैं अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश थी। एक बेटा 17 वर्ष का व बेटी 10 वर्ष की  जो अपने भाई पर जान छिड़कती थी । सब अपने –अपने कार्यों के प्रति सजग और शांत ।  पिछले कुछ दिनों से शहर मे पाकिटमारी के एक गिरोह की चर्चा हो रही थी । जिसमें ज़्यादातर … Read more

“ स्वार्थी रिश्ता” – प्रीति उपाध्याय “प्रीत” : Moral Stories in Hindi

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ये कहानी सत्य घटना से प्रेरित है, कुहू अपने मम्मी पापा से बोहत प्यार करती थी। घर में उसके दादा जी और छोटा भाई किशु था,  बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी और सब बड़ों का बहुत ही आदर करती, उसकी मम्मी उसे खुद ही पढ़ती थी ताकि वह अच्छे नंबरों से पास हो … Read more

औलाद के मोह के कारण वह सब सह रही थी – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

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दुर्गा – नाम ही नहीं, उसका स्वभाव भी वैसा ही था। पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर सोच की महिला। बचपन से ही किसी पर बोझ बनना नहीं सीखा था। स्कूल में जब किसी दोस्त के पास फीस भरने के पैसे नहीं होते, तो वह अपनी गुल्लक तोड़ देती। उसके लिए दूसरों का दर्द बाँटना कोई अहसान नहीं, इंसानियत … Read more

श्रीहरि आश्रय – सीमा गर्ग मंजरी : Moral Stories in Hindi

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श्रीहरि आश्रय स्थल की आवश्यक मीटिंग समाप्त करने के बाद श्रीकांत जी ने समय देखा तो रात के बारह बज रहे थे। दिसम्बर माह के अंत में चलने वाली शीत हवाओं से पूरा मौसम बेहद सर्द था।‌ चिल्ले वाली सर्दी के भयंकर प्रकोप से बचने की उम्मीद में जन-मानस घर में दुबके पड़े थे। अतः … Read more

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