राखी का क़र्ज़ – के कामेश्वरी
सुमित्रा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरे घर ऐसा मुँह उठाकर मत आ जाना । कुछ काम धाम नहीं है माँ को देखने के बहाने पंद्रह दिन में एक बार आ जाती है । लेकिन तुम्हारे दिमाग़ में बात नहीं पहुँचती है क्या? तू जितनी ढीठ है तेरे ससुराल वाले भी ऐसे ही … Read more