पेंशन पार्ट 2 – अरुण कुमार अविनाश

ओल्ड ऐज होम!    सुमित्रा देवी विचारों के भंवर में डूब-उबर ही रही थी कि डोर बेल बजी – उठ कर उन्होंने दरवाज़ा खोला – निवेदिता थी। अगले एक घँटे में निवेदिता जल्दी-जल्दी तैयार हुई और स्कूल जाने के लिये घर से बाहर निकल गयी। इस समय सुबह के 09:15 हो रहें थे – निवेदिता … Read more

पेंशन पार्ट 1 – अरुण कुमार अविनाश

” माँजी , मैं सरला के यहाँ से पाँच मिनट में आ रही हूँ – आप डॉली को खाना खिला दीजियेगा।” – निवेदिता ने कहा और सास की सहमति या असहमति सुने बिना मेन गेट खोल कर फ्लैट से बाहर निकल गयी। डोर क्लोज़र की मदद से ऑटोमेटिक दरवाज़ा स्वतः बंद हो गया था। सरला … Read more

मदर्स डे-अमित भिमटे

राजीव अपने कमरे में कुछ सोचते हुए चहलकदमी कर रहा था, उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। पास ही बैठी उसकी मां ने उससे पूछा “क्या हुआ बेटा कोई समस्या है क्या…? “।      “मां कल मदर्स डे है, आप तो जानती हो रिया और सिया दोनो हर साल मदर्स डे कितने अच्छे से … Read more

नई सुबह नई राह -अंशु श्री सक्सेना

महक को आज की रात कितनी लम्बी लग रही थी। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी । वह यही सोच रही थी कि पुनीत से विवाह कर के उसने कितनी बड़ी ग़लती की है । उसने करवट ले कर पलंग के दूसरे कोने में सो रहे पुनीत को देखा ।वह सोचने लगी , उसके … Read more

दत्तक माँ -नीरजा कृष्णा

अपने पति चंदन जी की अचानक मृत्यु के बाद वो बहुत शॉक में थीं। एकमात्र बेटी दूर विदेश में थी…बराबर आने की कोशिश कर रही थी…रोज़ सुबह शाम वीडियो कॉल करके हिम्मत बँधाती रहती थी…एक दिन उसे अचानक पंडित जी की बेटी अंजलि की याद आ गई।  वो फोन पर ही पूछ बैठी,”मम्मी, वो अपने … Read more

संस्कारों की पाठशाला – कंचन श्रीवास्तव

अम्मा के हाथों की चुपड़ी हुई नमक तेल रोटी खाने का अपनी ही मज़ा है माना मेरे साथ वाले सहपाठी कोई आलू की भुज्जी लाते है तो कोई पनीर मशरूम पर मुझे लालच नही आती क्योंकि इनकी ऐ सब्जी नौकर या नौकरानी बनाते है और मेरी रोटी मेरी माँ । अब आप खुद ही समझ … Read more

“मैं बोनसाई नहीं”  – सुधा जैन

ईशा प्यारी सी लड़की, सुंदर, सुशील ,समझदार, माता पिता ने सुयोग्य लड़का ,घर परिवार, देखकर उसकी शादी कर दी ।मध्यम वर्गीय परिवार  में पली-बढ़ी इशा अपने मन में ढेर सारे सपने सजाए ससुराल आ गई। ससुराल में सास ससुर  दो ननंद और एक देवर है ।शादी के पहले मां हर दिन समझाती रहती ,”ईशा थोड़ा … Read more

सम्मान की रक्षा – अनुपमा 

आज आपको राधिका से मिलवाते है  राधिका हमारे चाचा जी की सबसे बड़ी बहू है  । आप सब सोच रहे होगे अचानक से आज मैं आपको राधिका से क्यों मिलवाना चाहती हू । आप मिलिए तो सही पहले हमारी राधिका से  राधिका की शादी हुए अब तो बीस साल हो चुके है । और इन … Read more

मेरी मां – सुषमा यादव

आज़ मातृत्व दिवस पर मेरी मां के साथ, सभी मां  को सादर प्रणाम मेरी प्यारी मां का नाम था मालती,, बहुत ही खूबसूरत, सीधी सादी, और उदात्त विचारों वाली,,, मध्यम स्तर की आर्थिक स्थिति होते हुए भी मेरी मां ने हम सब का बहुत ही उचित ढंग से लालन पालन किया,,, इकलौती बेटी होने के … Read more

दान-रक्षा गुप्ता

शहर में मंदिर बनने का काम जोर शोर से चल रहा था.. लाखों की तादाद में लोग मंदिर समिति को दान दे रहे थे जिससे मंदिर निर्माण में कोई रुकावट न आ सके.. रिक्शा चलाने वाला रामसेवक तीन दिन से रोज दान देने की इच्छा से जाता था और सोचता कि मैं भी कुछ दान … Read more

error: Content is Copyright protected !!