मेरी भाभी शेरनी है” – सुधा जैन

शीर्षक सुनकर पढ़कर चौंकिए मत “मेरी भाभी शेरनी है” से मेरा आशय यह है कि मेरी भाभी श्रेया बहुत बहादुर ,आत्मनिर्भर , आत्मविश्वास से परिपूर्ण नए जमाने की भाभी है। मेरे शुभम भैया की पसंद.. उनकी हमसफर ..कदम कदम पर साथ देने वाली ..मेरे भैया को आगे बढ़ाने वाली… मेरे बारे में सही राय देने … Read more

वापसी ( रिश्तों की)  आखिरी भाग-5 –  रचना कंडवाल

अब तक आपने पढ़ा कि बरखा सुनिधि को‌ उसके पापा के बारे में बताती है जिसे सुनकर सुनिधि दंग रह जाती है। उसके मन में अपनी मॉम के लिए नफरत भर जाती है। वह रियलाइज करती है कि उसके सास-ससुर और पति विपुल उसे कितना प्यार करते हैं। जिसे वह सास की टोका-टाकी समझती है … Read more

हाय मिर्ची – नीरजा कृष्णा

हमारी नीरू का हमारे  घर में बहुत रौब चलता है…..तीन भाइयों की इकलौती बहन….सबकी लाड़ली । पीहर में तो पूरा ठसका है  ही, ईश्वर की महती कृपा से ससुराल भी पीहर के टक्कर की मिली है। सबसे मज़ेदार बात या इसे संयोग भी कहा जा सकता है… नीरु दीदी के पति अविनाश बाबू भी तीन … Read more

मौत – बेला पुनिवाला

मौत दरवाज़े पे दस्तक दे रही है, में अपने  बिस्तर पे लेटा  हुआ था, मौत ने कहा, ” तेरा वक़्त आ चूका है तू चल मेरे साथ। “      पहले तो मुझे लगा, कि कोई सपना होगा, फ़िर दूसरी बार फ़िर से आवाज़ आई, ” तेरा वक़्त ख़तम हुआ, तू चल मेरे साथ।” मैंने पलट के … Read more

जब किसी दूसरे का दुख अपना सा लगे – मुकेश कुमार

राधिका का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था उसके ससुर बैंक में मैनेजर से रिटायर हुए थे और पति बिजली विभाग में नौकरी करते थे।  शादी से पहले राधिका भी प्राइवेट स्कूल में टीचर थी लेकिन शादी के बाद उसने अपना जॉब छोड़ दिया था।  राधिका की इकलौती बेटी भैरवी का कल जन्मदिन था उसकी मां … Read more

बड़ा भाई हो तो राम जैसा  – पुष्पा पाण्डेय

देवरानी और जेठानी दोनों ने मिलकर चावल की तीन बोरियों का कंकड़-पत्थर चुनकर एक दिन में ही रख दिया। संयुक्त परिवार था, एक साथ ही खरीद कर आ जाता था। सस्ता भी पड़ता था। राम और श्याम दोनों भाई का परिवार मिलकर एक साथ ही रहता था। दोनों भाईयों का प्रेम मोहल्ले में उदाहरण था। … Read more

समाजसेवा – सुषमा चौरे

“आज भी मेट्रो के रुकते ही वो लड़का दौड़कर आया और एक सीट पर बैठ गया “ ये उसका रोज का नियम था ,वर्माजी उसी मेट्रो से रोज़ ऑफिस जाते थे । वो रोज़ उस लड़के की ये हरकत देखते थे। वो लपक के चढ़ता सीट के लिए ,पर कुछ ही मिनटों में वो अपनी … Read more

बेबसी….. शुभांगी

आज नीला का मन बहुत उद्गिन था, जितनी तेजी से हाथ चल रहे थे उससे भी ज्यादा तेजी से मन के विचार चल रहे थे, अलमारी साफ़ करते हुए 25 साल का रिश्ता धराशाई हो गया, राघव कभी नीला से सीधे मुहँ बात नहीं करता था एक शो पीस की तरह इस्तेमाल करता था या … Read more

निस्वार्थ प्रेम – शुभांगी

बड़ा भाई पिता तुल्य आज मंजुल बहुत खुश था उसके भाई का विवाह था, अंशुल उससे 15 साल छोटा था,  गीता अपने देवर की बार बार बलैया ले रही थी, विवाह बहुत अच्छे से सम्पन्न हुआ और रूपाली बहु बनकर उनके घर चली आयी । लेकीन सिर्फ 5 दिन बाद ही अंशुल रूपाली को लेकर … Read more

इंकलाब – अरुण कुमार अविनाश

इंकलाब जिंदाबाद। जिंदाबाद — जिंदाबाद। आवाज़ दो – हम एक है। शाम के पाँच बज रहें थे – विशाल मैदान में विशाल भीड़ को नेता जी सम्बोधित कर रहें थे – नारें लगवा रहें थे। ” प्यारे दोस्तों,  जिस तरह कम्पनी की नीतियां है – अधिकारियों का कर्मचारियों के प्रति रवईया है – काम बढ़ता … Read more

error: Content is Copyright protected !!