तलाश – राम मोहन गुप्त

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(मायका_बेटियों का टूरिस्ट प्लेस) – राम मोहन गुप्त … _ … _ … _ … _ … _ … _ … ‘सुनिये, परसों मैं मम्मी से मिलने चली जाऊँ’ अनन्या ने नयन से, लगभग बताने वाले अंदाज में पूछा। ‘हाँ, क्यों नहीं, मैं भी साथ चलता हूँ, काफी वक्त हो गया सभी से मिले हुये … Read more

देने का सुख – अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

New Project 2024 04 29T104905.495

लंबे लॉकडाउन के बाद जब कॉलेज खुला तो अंतिमा अपनी साड़ी का ड्राअर खोलकर कंफ्यूज हो गई! इतने दिनों से साड़ी पहनने का कोई काम नहीं पड़ा था तो सब गड़बड़ हो गया! थोड़ा वजन बढ़ने से पुराने ब्लाउज के फिट आने की संभावना कम थी! वैसे भी सुबह जल्दी जल्दी उठकर भागम-भाग करने की … Read more

सीनियर सिटीज़न –  सीमा नेहरू दुबे 

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यहाँ सबसे पहले एक बात कही जायेगी कि मन की कोई उम्र नही होती, कम्बखत वो बुड्डा ही नही होता, उसकी उमंगे और तरंगे तो यू ही रहती है पर ये तन है जो सारी उम्र हर खुशी, गम और मुसीबतो को अपने उपर लेता है और बैचारा बुढापे की तरफ चल देता है, खैर … Read more

बेटी – रूद्र प्रकाश मिश्रा

 ” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more

भाभी माँ – कंचन शुक्ला

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वे मुझे इतनी पसन्द हैं कि मेरा मन होता है सदैव उनके आसपास रहूँ। उनसे दो पल की भी जुदाई मेरे मन को विचलित कर जाती है। भीनी भीनी सी उनके व्यक्तित्व की महक। कोयलों सी बोली, कानों में घुलकर, सब तनाव दूर कर देती है। भैया दो दिन के लिए टूर पर गए हैं। … Read more

एक वो रात थी -पुष्पा पाण्डेय

New Project 44

अक्सर ग्रामीण इलाकों में सरकार या सामाजिक संस्थाओं की ओर से मेडिकल कैम्प लगते रहते हैं। इस बार आँख की बीमारी का कैम्प  लगा था, जिसमें मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी होता था। इस कैम्प में दो डाॅक्टर और चार नर्सों का समूह था। उन नर्सों में एक सिनियर नर्स थी, पुतुल। पुतुल अपनी सौ प्रतिशत  … Read more

नीरजा -रीटा मक्कड़

कितनी खुशी खुशी से  शादी करके आयी थी  नीरजा ससुराल में। मन मे सतरंगी सपने लिए। मायके में पिता और भाई का इतना डर था कि किसी लड़के की ओर देखना तो दूर मन मे किसी का ख्याल लाने का दुःसाहस भी नही कर पाती थी। तो बस उस समय की बाकी सभी लड़कियों की … Read more

वृद्धाश्रम – सीमा बी.

New Project 45

बहुत दिनो बाद पापा से मिलने “आखिरी पड़ाव” वृद्धाश्रम आयी हूँ। पापा पिछले तीन सालों से देहरादून के इस प्रकृति की गोद में बने आश्रम में रह रहे हैं। माँ को हमने 3 साल 2 महीने पहले ही खो है। मैं और मेरा बड़ा भाई माँ के जाने के बाद एक मिनट को भी अकेला … Read more

सच्चा गोल्ड-मैडल – तरन्नुम तन्हा

New Project 46

बहुत साधन सम्पन्न घर में विवाह हुआ था मेरा। परिवार के सभी सदस्यों का प्रेम और सहयोग मिलने के कारण मैंने खुद को बेहद भाग्यशाली माना। और ईश्वर की कृपा से वास्तव में मैं सदैव भाग्यशाली रही भी हूँ। माता-पिता के घर में खुशहाली थी, और ससुराल में भी मिली। शुरुआती मौजमस्ती, घूमने-फिरने और नये … Read more

खामोश सा अहसास –  नीलम सिंघल

New Project 47

आस्था घर के बाहर बगीचे की सीढ़ियों पर बैठी थी, काले बादलों की अठखेलियाँ देखकर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, कितना अच्छा लगता था उसको कभी काले बादलों का घुमड़ घुमड़ कर आना, जिंदगी की आपाधापी में वो इन काले बादलों को भूल गयी हवा की सनसनाहट को तो कबसे महसूस ही नहीं हुई … Read more

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