पिता के नाम पत्र – रीटा मक्कड़

short story in hindi

आदरणीय पापा जी.. आप क्यों चले गए हमे छोड़ कर।इतनी जल्दी क्यों थी आपको जाने की। अभी तो बहुत कुछ करना बाकी था।अभी बहुत सी बातें थी मेरे मन मे जो अनकही ही रह गयी और वो अभी तक कह नही पायी ..कहूँ भी तो किससे.!!! जो बातें सिर्फ और सिर्फ आपसे ही कह सकती … Read more

वो पगली – Motivational Short Story In Hindi 

जोर जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज सुन कर मैंने भाग कर दरवाजा खोला तो एक औरत अजीब सा हुलिया ..अंदर घुस आई।मैं एक दम से बहुत ज्यादा डर गई थी।उसने मुझे कुछ नही कहा सीधा वाशरूम में घुस गई। बाहर आकर उसने वाशबेसिन से हाथ मुँह धोया, कुल्ला किया और जैसे आयी थी वैसे … Read more

आईना – डॉ पारुल अग्रवाल

रात को पार्टी थी। पीने-पिलाने का दौर कुछ देर तक चल पड़ा था। सुबह के 11 बजे तनुजा की आंख खुली तो उसने किसी तरह डगमगाते कदमों से बाथरूम की तरफ कदम बढ़ाया। मुंह पर जैसे ही पानी के छपके मारें तो आईने में उसे अपना एक झुर्रीदार भयावह सा चेहरा दिखाई दिया। ये देखकर … Read more

मेरे पापा – प्रीती सक्सेना

पहली बार अपने पापा के के लिए कुछ लिखने जा रही हूं,, मेरे पापा,, श्री बी. पी. सक्सेना,, एक ईमानदार, कर्तव्य निष्ठ, अफसर थे,,, बहुत ज्यादा शांत,,, सरल,, व्यवहार था पापा का,, उनकी दुनियां,, बस कलेक्ट्रेट तक जाना और लौटकर,,, एक बार अपने सभी बच्चों से मिलना, पढाई का पूछना,, बस यहीं तक सीमित  था,, … Read more

औरत की जीवन व्यथा – अनुपमा

इस चित्र के माध्यम से मैं आपको एक स्त्री होना क्या होता है कुछ शब्दों के माध्यम से बतलाना चाहती हू ,जो भी मैं लिखूंगी और जो औरतें महसूस करती है या यूं कहे की अपने जीवनकाल में वो सबकुछ भोगती है क्योंकि वो एक स्त्री है , शब्दों मैं शायद कुछ कमी रह जाए … Read more

“अस्मिता की ऊंची दीवार” – सुधा जैन

संजना अपने मन में सपनों का संसार सजाएं ससुराल आई। ससुराल भरा पूरा चार भाई, दो बहनें, घर में खेती-बाड़ी सब कुछ था ।संजना खूब पढ़ी-लिखी तो नहीं, लेकिन  समझदार ,सुशील और सुंदर है। चार भाइयों में उसके पति संजय तीसरे नंबर के हैं। वह भी खूब पढ़े-लिखे नहीं है, पर बहुत मेहनती  है, और … Read more

एक सुबह – सुनीता मिश्रा

सुबह के छह बज रहे होँगे,दिसम्बर का महीना,रजाई से निकलने के लिये हिम्मत बटोरनी पड़ती है।।जाग तो हम दोनों ही गये थे।पर उठे कौन।जो पहिले उठेगा वही चाय बनाएगा। पति पत्नी भले ही पूरी जिन्दगी लड़ते झगड़ते बिता दे पर बुढ़ापा सच्चे दोस्त की मानिन्द होता है।चलो आज बुढऊ को चाय बनाकर हम ही पिलाए।रजाई … Read more

मैं सज़ा दूंगी –  सुषमा यादव

,,, ,, कुछ समय की बात है,, मेरे घर में एक महिला खाना बनाने आती थी,, उसकी सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वह अपनी बेटी को तो प्रायवेट स्कूल में पढ़ाती थी, और सब गांव वालों की सोच के विपरीत अपने एकलौते बेटे को मेरे सरकारी स्कूल में पढ़ाती थी,,, मैं उससे कहती, तो … Read more

सिसकियाँ – अनुज सारस्वत

“आह सुबक सुबक (सिसकियों की आवाज)” कंचनजंघा(हिमालय की एक चोटी का नाम) ने देखा यह आवाज कहाँ से आ रही है ध्यान दिया तो देखा पर्वतराज हिमालय की आवाज थी फिर वो बोली। “क्या हुआ दादा आज आप इतने व्यथित क्यों हों ?आज से पहले आपका रूदन नही देखा” हिमालय कराहते हुये बोला “बेटा अब … Read more

बारिश और छाता – सुधा जैन

हम दोनों पति पत्नी शाम को 7:30 बजे के करीब प्रतिदिन घूमने जाते हैं ।प्रकाश नगर की ओर करीब 2 किलोमीटर की दूरी होती है। दिनभर की व्यस्तता, मेरा स्कूल, इनका आफिस ,फिर शाम का खाना, संध्या प्रार्थना, फिर घूमने जाना, वहां पर दो तीन मित्रों का परिवार भी मिलता है ।आपस में हंसी, आनंददायक … Read more

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