सुहाग चिन्ह – डाॅ उर्मिला सिन्हा
गंगा कावेरी दोनो बचपन की सहेलियां थी।दांतकाटी मित्रता थी दोनो में।साथ-साथ बडे़ हुये ,खेला पढाई की।गुड्डे गुड्डियों की व्याह रचायी ।गर्मी के दोपहरी में कच्ची अंबिया पिछवाडे़ से तोड़ नमक-मिर्च लगाकर चटखारे एक साथ लिये। “चल सावन के झूले लगे!” “हां हां कजरी गायेंगे।”संग संग सावन में पींगे भरी। सर्दियों में लाल पीली हरी नीली … Read more